क्रिकेट की एकेडमी का नाम रख दिया मेजर ध्यानचंद भवन, लेकिन राजस्थान में उनके खेल हॉकी को 15 साल से है पहचान का इंतजार
खिलाड़ियों को नहीं मिल रहा कोई लाभ
राजस्थान खेल परिषद ने हॉकी के सवाई मानसिंह स्टेडियम स्थित आरसीए की क्रिकेट एकेडमी का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद भवन रख दिया है।
जयपुर। राजस्थान खेल परिषद ने हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद को सम्मान देते हुए सवाई मानसिंह स्टेडियम स्थित राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (आरसीए) की क्रिकेट एकेडमी का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद भवन रख दिया है। यह कदम सराहनीय जरूर है, लेकिन यह सवाल भी खड़ा करता है कि जिस खेल के जरिए मेजर ध्यानचंद ने भारत का नाम दुनिया भर में रोशन किया, वही हॉकी राजस्थान में आज उपेक्षा का शिकार बनी है। प्रदेश में हॉकी का खेल पिछले करीब डेढ़ दशक से अपनी पहचान हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहा है। लेकिन राजस्थान स्पोर्ट्स एक्ट 2005 के तहत आज तक इस खेल का रजिस्ट्रेशन नहीं हो सका। इस कारण न तो खिलाड़ी किसी सरकारी योजना का लाभ ले पा रहे हैं और न ही उनकी उपलब्धियों को वह सम्मान मिल पा रहा है, जिसके वे हकदार हैं।
खिलाड़ियों को नहीं मिल रहा कोई लाभ :
प्रदेश में हॉकी खेल के हालात ऐसे बने हैं कि ग्रामीण इलाकों और छोटे शहरों में आज भी बच्चे हॉॅकी स्टिक थामे देश के अगले ध्यानचंद बनने का सपना तो देखते हैं, लेकिन कागजी मान्यता के अभाव में उनकी राह धुंधली दिखती है। खिलाड़ी लगातार अभ्यास करते हैं, प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेते हैं, राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचते हैं, लेकिन बिना पंजीकरण के उन्हें न तो खेल कोटे का लाभ मिलता है, न अनुदान मिलता है, न नौकरी और न ही सरकार की ओर से किसी प्रकार की सम्मान राशि।
अगर वास्तव में मेजर ध्यानचंद को सम्मान देना है तो सिर्फ भवन का नामकरण काफी नहीं, बल्कि उनके खेल को सम्मान देना जरूरी है। इसके लिए सबसे पहले राजस्थान में हॉकी को मान्यता दी जाए, उसका रजिस्ट्रेशन कराया जाए और खिलाड़ियों को वो सब सुविधाएं व सम्मान मिले जो अन्य खेलों को मिल रहे हैं। राजस्थान में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। यदि हॉकी को सही मायने में प्रोत्साहन मिले तो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के कई खिलाड़ी निकल सकते हैं।
अरुण सारस्वत, अध्यक्ष
हॉकी राजस्थान
यह रहा रजिस्ट्रेशन नहीं होने का कारण :
राजस्थान में 2005 में स्पोर्ट्स एक्ट लागू हुआ। तब 40 खेल संघों को एक्ट की सूची में शामिल किया गया। अन्य खेलों की तरह राजस्थान हॉकी संघ ने भी अपना रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत कराया। लेकिन 2008 में हॉकी में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आए बड़े बदलाव के बाद पुरुष और महिला हॉकी के विलय के साथ इसका नाम भी देश में हॉकी इंडिया और राजस्थान में हॉकी राजस्थान हो गया। हॉकी राजस्थान ने 2009 में नये सिरे से रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया लेकिन स्पोर्ट्स एक्ट की सूची में हॉकी राजस्थान नहीं होने की वजह से इसका रजिस्ट्रेशन नहीं हो सका। हालांकि राजस्थान खेल परिषद ने 2017-18 में अपनी एजीएम में एक प्रस्ताव पास कर राजस्थान हॉकी संघ को विलोपित करते हुए हॉकी राजस्थान को मान्यता दी, लेकिन स्पोर्ट्स एक्ट में यह बदलाव अभी तक नहीं हो सका है।
दो-दो दावेदार बने :
विगत दिनों राजस्थान हॉई कोर्ट के एक फैसले के बाद तो स्थिति और भी उलझ गई है। न्यायालय ने हॉकी राजस्थान को बिना रजिस्ट्रेशन के राजस्थान शब्द के प्रयोग पर पाबन्दी लगा दी। वहीं फैसले के बाद दोबारा अस्तित्व में आए राजस्थान हॉकी संघ ने एक दशक से न तो अपने चुनाव कराए हैं और न ही कोई प्रतियोगिता का आयोजन किया है। राजस्थान खेल परिषद जहां राजस्थान हॉकी संघ के साथ खड़ी हो गई वहीं हॉकी इंडिया की मान्यता अब भी हॉकी राजस्थान को है। यही नहीं पिछले दिनों रजिस्ट्रार ने राजस्थान हॉकी संघ को भी भंग करके एक एडहॉक कमेटी का गठन कर दिया लेकिन एडहॉक कमेटी निष्क्रिय पड़ी है। राष्ट्रीय टूर्नामेंटों में हॉकी राजस्थान की टीमें ही हिस्सा ले रही हैं।

Comment List