खेल परिषद की डेढ़ साल में कमाई 10 करोड़ से ज्यादा, फिर भी पेंशन के लिए भटक रहे हैं कर्मचारी, विभाग ने कहा- अपनी कमाई से करें भुगतान
निदेशालय को लेकर आशंका
राजस्थान खेल परिषद ने पिछले करीब डेढ़ साल में 10 करोड़ रुपए से अधिक का शुद्ध मुनाफा कमाया है।
जयपुर। राजस्थान खेल परिषद ने पिछले करीब डेढ़ साल में 10 करोड़ रुपए से अधिक का शुद्ध मुनाफा कमाया है। बावजूद इसके परिषद के 188 सेवानिवृत्त कर्मचारी पिछले दो महीनों से पेंशन से वंचित हैं, जबकि तीसरा महीना भी आधा बीत चुका है। हालात से परेशान इन कर्मचारियों ने गुरुवार को सचिवालय से लेकर खेल परिषद के दफ्तर तक अपनी पीड़ा व्यक्त की और परिषद अध्यक्ष के नाम ज्ञापन सौंपकर शीघ्र पेंशन भुगतान व स्थाई समाधान की मांग की।
188 कर्मचारियों को होता है 78 लाख रुपए भुगतान :
राजस्थान खेल परिषद कर्मचारी संघ के अध्यक्ष गजेन्द्र सिंह राठौड़ के अनुसार वर्तमान में राजस्थान खेल परिषद से 188 रिटायर कर्मचारी पेंशन लाभ प्राप्त कर रहे हैं। इन्हें प्रतिमाह करीब 78 लाख रुपए की राशि का भुगतान किया जाता है। मौजूदा वर्ष के अंत तक करीब 12 कर्मचारी और रिटायर होंगे और पेंशनधारियों की संख्या 200 हो जाएगी। ऐसे हुई 10 करोड़ की इनकम राजस्थान खेल परिषद ने पिछले डेढ़ साल में ही सभी खर्च निकालकर दस करोड़ से ज्यादा शुद्ध मुनाफा कमाया है। इसमें दो आईपीएल सीजन के 12 मैचों से मिली राशि के साथ स्वीमिंग पूल, एसएमएस स्टेडियम के मेन ग्राउण्ड, एकेडमी ग्राउण्ड, इंडोर स्टेडियम, बैडमिंटन इंडोर हॉल और अन्य खेल मैदानों की बुकिंग से हुई इनकम शामिल है।
विभाग का निर्देश :
खेल विभाग की शासन उप सचिव अनीता मीणा ने परिषद सचिव को लिखे पत्र में स्पष्ट किया कि वित्त विभाग की टिप्पणी के अनुसार सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन का भुगतान परिषद की निजी आय से किया जाए। साथ ही यह भी पूछा गया है कि पेंशन अंशदान की कटौती कब, क्यों और किन नियमों के तहत बंद की गई तथा क्या इसके लिए वित्त विभाग से सहमति ली गई थी।
निदेशालय को लेकर आशंका :
खेल निदेशालय बनाने की घोषणा के बाद परिषद के वर्तमान और रिटायर्ड दोनों वर्ग के कर्मचारी भविष्य को लेकर आशंकित हैं। राठौड़ का कहना है कि यह स्पष्ट नहीं है कि कर्मचारियों को निदेशालय में समायोजित किया जाएगा या नहीं। यदि नहीं, तो निदेशालय बनने के बाद उनकी समस्याएं कौन सुनेगा, यह बड़ा सवाल है।

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