मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने मणिपुर संकट पर एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की रिपोर्ट की निंदा की, एफआईआर दर्ज
राज्य के लोग कठिनाइयों का सामना कर रहे
मणिपुर सरकार ने एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) की रिपोर्ट की निंदा करते हुए रिपोर्ट बनाने वाले व्यक्तियों पर प्राथमिकी दर्ज कराई है।
इंफाल। मणिपुर सरकार ने एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) की रिपोर्ट की निंदा करते हुए रिपोर्ट बनाने वाले व्यक्तियों पर प्राथमिकी दर्ज कराई है।
मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि ऐसे समय जब राज्य के लोग कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं और विभिन्न सरकारी एजेंसियां संकट के समाधान का प्रयास कर रही हैं, तो निहित स्वार्थ वाले कुछ लोग स्थिति का उचित आकलन किए बिना रिपोर्ट देकर चल रहे संकट को भड़का रहे हैं।
सिंह ने कार्यालय में मीडिया से कहा कि मणिपुर संकट के बारे में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया द्वारा एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई है। उन्होंने रिपोर्ट तैयार करने के तरीके पर सवाल उठाते हुए पूछा कि इसे किसने प्रभावित किया, क्योंकि यह पता लगाने का कोई प्रयास नहीं किया गया। जब लोग मर रहे हैं और विस्थापित हो रहे हैं, तो ऐसी पक्षपातपूर्ण रिपोर्ट ने मणिपुर में स्थिति और खराब हो गयी।
मुख्यमंत्री ने पूछा कि ऐसी रिपोर्ट बनाने वाले आप कौन होते हैं आप कठिन स्थिति के बारे में, मणिपुर के इतिहास के बारे में कितना जानते हैं। ऐसे नाजुक समय में जब लोग पीड़ित हैं तो रिपोर्ट जारी करना और फैसला देना बेहद निंदनीय है।
उन्होंने कहा कि रिपोर्ट बनाने वाले चार व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करना जरूरी हो गया था क्योंकि उन्होंने आग में तेल डाला है।
मणिपुर सरकार के पास चुराचांदपुर जिले में 3 मई को सुबह 1030 बजे शुरू हुई आगजनी और हिंसा के बारे में सारी जानकारी है, लेकिन कोई बयान जारी नहीं किया गया है क्योंकि इससे शांति प्रक्रिया बाधित होगी और उच्चतम न्यायालय ने मामले की जांच करने का निर्णय लिया है।
उन्होंने कहा कि रिपोर्ट पूरी तरह से गलत है और इसे तैयार करने वालों को वन कानूनों की जानकारी नहीं है, आरक्षित वन क्षेत्रों में कोई भी काम करने के लिए केंद्र सरकार की मंजूरी की आवश्यकता होती है। जो लोग यहां के लोगों, इतिहास और वन कानूनों के बारे में नहीं जानते वे कुछ दिनों के लिए राज्य का दौरा करके ऐसी बेबुनियाद रिपोर्ट कैसे दे सकते हैं।
उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में बताया गया है कि केवल एक समुदाय द्वारा वन क्षेत्रों से लोगों को बेदखल किया गया, जो गलत है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2015 से अब तक आरक्षित वन क्षेत्रों में अतिक्रमण के खिलाफ चलाये गये अभियान में 413 मकानों को हटाया गया है। उन्होंने कहा कि मैतेई के करीब 143, मैतेई पंगल के 137, कुकी के 59, नागा के 38 और 36 नेपाली घर बेदलख किए गए।
इस बीच, ऑल मणिपुर वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन (एएमडब्ल्यूजेयू) और एडिटर्स गिल्ड ऑफ मणिपुर (ईजीएम) ने भी अफवाहों पर आधारित एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के प्रेरित आरोप का जोरदार खंडन किया। दोनों संगठनों ने कहा कि रिपोर्ट में संकट के लिए एक जातीय समूह को जिम्मेदार ठहराया गया है। ईजीआई 1972 के एक निश्चित हिल एरिया कमेटी अधिनियम को संदर्भित करता है, लेकिन ऐसा कोई अधिनियम अस्तित्व में नहीं है। मणिपुर वन विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार, मणिपुर में अंतिम आरक्षित वन 1990 में घोषित किया गया था।

Comment List