दिल्ली को नहीं मिला 1700 करोड़ का लाभ : नड्डा ने ठहराया पुरानी सरकारों को दोषी,कहा- राजनीति में फैसले अपने-पराए के आधार पर नहीं होते
आयुष्मान भारत पंजीकरण वैन को हरी झंडी दिखा कर रवाना किया
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जे.पी. नड्डा ने आरोप लगाया है कि स्वास्थ्य क्षेत्र में पूर्ववर्ती सरकारों की उपेक्षा का खामियाजा दिल्लीवालों को भुगतना पड़ा है
नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जे.पी. नड्डा ने आरोप लगाया है कि स्वास्थ्य क्षेत्र में पूर्ववर्ती सरकारों की उपेक्षा का खामियाजा दिल्लीवालों को भुगतना पड़ा है। नड्डा ने आज मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के साथ यहां विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में नवनियुक्त कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र वितरित किए और आयुष्मान भारत पंजीकरण वैन को हरी झंडी दिखा कर रवाना किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि पूववर्ती सरकारों ने सभी क्षेत्रों में उदासीनता दिखाई और स्वास्थ्य क्षेत्र तो पूरी तरह उपेक्षित रहा। इसी कारण दिल्ली के लोगों को भारी तकलीफों का सामना करना पड़ा।
उन्होंने कहा कि “प्रधानमंत्री-आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन के तहत हमने 2021 से फरवरी 2025 के बीच दिल्ली को 1700 करोड़ रुपये दिए थे, लेकिन एक पैसा भी खर्च नहीं हुआ और अब जन कल्याण के लिए इस निधि के खर्च की जिम्मेदारी रेखा के कंधों पर आ गई है।” उन्होंने परोक्ष रूप से आम आदमी पार्टी पर हमला करते हुए कहा कि राजनीति में फैसले अपने-पराये के आधार पर नहीं होते, बल्कि इस आधार पर होते हैं कि कौन आपके हितों की रक्षा कर सकता है। सितंबर 2017 से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 40 लाख गरीब दिल्लीवासियों को पांच लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज देने को तैयार थे, लेकिन आपने लोटा ही उल्टा किया हुआ था।
उन्होंने कहा कि “20 फरवरी को आपने लोटा सीधा किया, और आज आपको आयुष्मान भारत मिल गया। 1997 में एक स्वास्थ्य नीति लाई गई, जो कहती थी, पहले तुम बीमार बनो, फिर मैं तुम्हारा इलाज करुंगी। लेकिन 2014 में जब मोदी प्रधानमंत्री बने, तो उनके नेतृत्व में पूरे देश में परामर्श किया गया और 2017 में हम एक नई राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति लेकर आए।”
उन्होंने कहा कि इसके अंतर्गत हम सुनिश्चित करेंगे कि बीमारी ही न हो, फिर अच्छे स्वास्थ्य को हम बढ़ायेंगे ताकि लोग स्वस्थ रहे ,फिर जरूरत होगी तो इलाज करेंगे और बाद में ठीक भी करेंगे। हमने स्वास्थ्य को अब समावेशी और व्यापक बना दिया है। उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में टीबी के मामलों में करीब 17.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है, जबकि वैश्विक स्तर पर यह गिरावट मात्र आठ प्रतिशत रही है।

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