चीनी वीजा स्कैम केस में कार्ति चिदंबरम की बढ़ी मुश्किलें, राउज एवेन्यू कोर्ट ने तय किए आरोप, जानें क्या है पूरा मामला?
कार्ति चिदंबरम के खिलाफ साजिश का मामला
राउज एवेन्यू कोर्ट ने चीनी वीजा स्कैम में कार्ति चिदंबरम समेत अन्य पर आपराधिक साजिश के तहत आरोप तय किए। मामला 2011 का है। अगली सुनवाई 16 जनवरी 2026 को होगी।
नई दिल्ली। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने चीनी वीजा स्कैम केस में कार्ति चिदंबरम और अन्य के खिलाफ आपराधिक साजिश के तहत आरोप तय कर दिए हैं। कोर्ट ने इस मामले में भास्कर रमन को भी आरोपी बनाया है। बताया जा रहा है कि इस केस में अगली सुनवाई 16 जनवरी 2026 को होगी। कोर्ट के फैसल के बाद कार्ति चिंदबरम ने मीडिया से रूबरू होते हुए कहा कि कानून मुझे कई विकल्प देता है और में उन सभी का इस्तेमाल करूंगा।
जानें पूरा मामला
बता दें कि ये मामला साल 2011 का है, उस समय कार्ति चिदंबरम के पिता पी. चिदंबरम केंद्रीय गृह मंत्री थे। बता दें कि कार्ति चिदंबरम और उसके सहयोगियों पर आरोप है कि उन्होंने नियमों के विरूद्व जाकर करीब 263 चीनी नागरिकों को वीजा दिलाया था और इस काम के लिए इन सभी ने करीब 50 लाख रूपए की राशि वसूली थी। जिन चीनी नागरिकों को वीजा दिलाया गया था वो सभी पंजाब के वेदाता समूह की कंपनी तलवंडी साबो पावर लिमिटेड में काम कर रहे थे। प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में कार्ति चिदंबरम और अन्य आरोपियों पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था।
सीबीआई ने विकास मखारिया को सरकारी गवाह का दर्जा दे दिया है, जिनसे अभियोजन पक्ष के मामले में अहम भूमिका निभाने की उम्मीद है। सीबीआई की एफआईआर के अनुसार, पंजाब के मानसा स्थित एक निजी कंपनी (तलवंडी साबो पावर लिमिटेड) ने कथित तौर पर चीनी नागरिकों के लिए वीजा जारी करवाने में मदद के लिए बिचौलियों के माध्यम से 50 लाख रुपये का भुगतान किया।
यह कंपनी 1,980 मेगावाट का थर्मल पावर प्लांट स्थापित कर रही थी, जिसका निर्माण कार्य एक चीनी कंपनी को आउटसोर्स किया गया था। परियोजना में देरी होने के कारण, कंपनी ने कथित तौर पर गृह मंत्रालय (एमएचए) द्वारा निर्धारित वीजा सीमा से अधिक चीनी पेशेवरों को लाने की कोशिश की।
सीबीआई अधिकारियों ने बताया कि इन प्रतिबंधों को दरकिनार करने के लिए कंपनी के प्रतिनिधियों ने अपने सहयोगियों के माध्यम से चेन्नई स्थित एक व्यक्ति से संपर्क किया। आरोप है कि चीनी अधिकारियों को पहले दिए गए 263 प्रोजेक्ट वीजा का पुन: उपयोग करने की योजना बनाई गई, जिससे गृह मंत्रालय द्वारा निर्धारित सीमा को प्रभावी ढंग से दरकिनार किया जा सके।
इसके बाद, वीजा के पुन: उपयोग की मंजूरी के लिए गृह मंत्रालय को एक अनुरोध पत्र प्रस्तुत किया गया, जिसे एक महीने के भीतर मंजूरी मिल गई। जांचकर्ताओं के अनुसार, चेन्नई स्थित व्यक्ति ने 50 लाख रुपये की रिश्वत की मांग की, जिसे पंजाब स्थित फर्म ने अदा किया।
आरोप है कि यह पैसा मुंबई स्थित एक कंपनी के माध्यम से परामर्श और वीजा संबंधी कार्यों के लिए किए गए खर्चों के बहाने भेजा गया था। सीबीआई का दावा है कि मुंबई स्थित फर्म की वीजा प्रक्रिया में कोई भूमिका नहीं थी और वह वास्तव में औद्योगिक औजारों के व्यवसाय में लगी हुई
एजेंसी ने आगे आरोप लगाया है कि कार्ति चिदंबरम के पिता, वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने स्थापित नियमों का उल्लंघन करते हुए चीनी नागरिकों के लिए वीजा दिलाने में मदद की।

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