महिला भागीदारी की अद्भुत गौरवगाथा
माधवी लता का योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बना रहेगा
भारत की इंजीनियरिंग प्रतिभा और तकनीकी पराक्रम का जब भी कोई उदाहरण प्रस्तुत करना हो, तो जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में बना चिनाब रेल ब्रिज सर्वोच्च स्थान रखता है।
भारत की इंजीनियरिंग प्रतिभा और तकनीकी पराक्रम का जब भी कोई उदाहरण प्रस्तुत करना हो, तो जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में बना चिनाब रेल ब्रिज सर्वोच्च स्थान रखता है। यह न केवल दुनिया का सबसे ऊंचा रेल पुल है, बल्कि यह भारतीय समर्पण, साहस और संकल्प का अद्भुत प्रतीक भी है। इस अद्वितीय संरचना को साकार करने में जिन व्यक्तित्वों का योगदान अविस्मरणीय है, उनमें एक प्रमुख नाम है माधवी लता का। माधवी लता का जन्म आंध्र प्रदेश के एक सामान्य परिवार में हुआ। बाल्यकाल से ही वे पढ़ाई में मेधावी थीं। उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान से सिविल इंजीनियरिंग में स्रातक की डिग्री प्राप्त की और आगे चलकर संरचनात्मक डिजाइन तथा जटिल परियोजनाओं में विशेषज्ञता हासिल की। शिक्षा उनके लिए केवल ज्ञान अर्जन नहीं, बल्कि सामाजिक योगदान का माध्यम थी। अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने भारतीय रेलवे और कोकण रेलवे जैसी संस्थाओं में काम किया। उन्होंने पुल निर्माण, सुरंग प्रणालियां, पर्वतीय परियोजनाएं और जोखिम प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में लगभग दो दशकों तक गहन अनुभव प्राप्त किया। माधवी लता की खास बात यह थी कि वे केवल तकनीकी जानकारी तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि मैदान में जाकर चुनौतियों का प्रत्यक्ष रूप से सामना करना उनका कार्यशैली का हिस्सा रहा। चिनाब रेल ब्रिज एक बड़े सपने के साथ साथ एक कड़े संघर्ष की भी गौरवगाथा है। चिनाब ब्रिज चिनाब नदी पर बक्कल और कौरी गांवों के बीच बना एक आर्क ब्रिज है, जिसकी कुल ऊंचाई नदी की सतह से 359 मीटर है। यह एफिल टॉवर से भी अधिक ऊंचा है। यह पुल उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल परियोजना का अहम हिस्सा है, जो जम्मू-कश्मीर को भारत के शेष हिस्से से स्थायी रेल संपर्क देता है। इस परियोजना में किसी सामान्य पुल का निर्माण नहीं था,बल्कि चुनौतियों से भरे भौगोलिक क्षेत्र में दुनिया के सबसे ऊंचे ब्रिज का निर्माण करना था।
यद्यपि सभी चुनौतियों को अनुभव कर पाना कठिन है फिर भी कुछ का जिक्र करना अति आवश्यक हो जाता है जैसे भूगर्भीय और स्थलाकृतिक चुनौतियां, पुल जिस क्षेत्र में बनाए वह एक अत्यंत जटिल और भूस्खलन-प्रवण पर्वतीय इलाका है। यहां की चट्टानें अस्थिर थीं, जिससे नींव डालना कठिन था। गली माधवी लता ने विस्तृत जियो टेक्निकल सर्वे और सटीक रॉक एनालिसिस के जरिए टिकाऊ डिजाइन तय किया। भूकंपीय और पवन-गति संबंधी जोखिम, यह क्षेत्र उच्च भूकंपीय जोन में आता है और यहां पवन वेग 266 किमी प्रति घंटे तक पहुंच सकता है। इस चुनौती से निपटने के लिए पुल के डिजाइन में डंपर्स,विंड टनल टेस्टिंग और सीस्मिक रेस्टरेंट सिस्टम जोड़े गए।
सामरिक और सुरक्षा दृष्टिकोण, पुल का निर्माण एक रणनीतिक क्षेत्र में हो रहा था, जहां सुरक्षा जोखिम अधिक थे। इस परिस्थिति में निर्माण कार्य को लगातार जारी रखना और श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना एक बड़ी जिम्मेदारी थी, जिसे माधवी लता ने कुशलता से निभाया। मौसम की चरम स्थितियां जैसे सर्दियों में तापमान.20 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता था और बर्फबारी से काम बंद हो जाता था। ऐसे में सीजनल रिसोर्स प्लानिंग और हाइ एल्टीट्यूड वर्क प्रोटोकॉल्स तैयार किए गए, ताकि निर्माण कार्य स्थगित न हो। प्रौद्योगिकीय नवाचार की आवश्यकताए इस प्रोजेक्ट में कई अत्याधुनिक तकनीकों का प्रयोग हुआ जैसे कि इंक्रीमेंटल लॉन्चिंग, वैदर रेजिस्टेंट स्टील और रिमोट मॉनिटरिंग सिस्टम्स, जिनका समन्वय और क्रियान्वयन गली माधवी लता जैसे अनुभवी इंजीनियर ही कर सकते थे।
माधवी लता ने केवल तकनीकी टीम का नेतृत्व नहीं किया, बल्कि सामाजिक समावेशन पर भी बल दिया। उन्होंने स्थानीय कश्मीरी युवाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें परियोजना से जोड़ा, जिससे न केवल स्थानीय विश्वास बढ़ा, बल्कि रोजगार भी सृजित हुआ। वे भारतीय अभियंता बिरादरी में महिला सशक्तिकरण का एक उज्ज्वल उदाहरण हैं। कठिन परिस्थितियों में भी उनकी स्पष्ट दृष्टि, अनुशासन और संवेदनशील नेतृत्व ने यह साबित कर दिया कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में शीर्ष नेतृत्व कर सकती हैं। माधवी लता का जीवन केवल एक व्यक्तिगत सफलता की कहानी नहीं है, बल्कि यह राष्टÑनिर्माण में तकनीकी नेतृत्व की भूमिका का प्रतीक है।
चिनाब ब्रिज आज भारत के गौरव का प्रतीक है और इसके निर्माण में माधवी लता का योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बना रहेगा। जब ज्ञान, साहस और सेवा भावना एक साथ चलते हैं, तो सबसे कठिन लक्ष्य भी साकार हो सकते हैं।
-राजेंद्र कुमार शर्मा
यह लेखक के अपने विचार हैं।
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