बोरज तालाब की पाल टूटी : सैंकड़ों मकानोंं में आई दरारें, घरेलू सामान और वाहन बहे, करोड़ों रुपए का नुकसान
कलक्टर लोकबंधु लगातार हालात पर निगरानी बनाए हुए
पानी का वेग इतना तेज था कि रास्ते में पड़ने वाले मकानों के भीतर रखे पलंग, सोफे, अलमारी, कुर्सियां, बिस्तर, कपड़े, रसोई गैस सिलेण्डर, चूल्हे, बर्तन एवं अन्य सभी सामान मकानों की दीवारें तोड़कर बहा ले गया।
अजमेर। लगातार बारिश के चलते शहर के निकटवर्ती गांव बोराज में गुरुवार की देर रात बोराज तालाब की पाल टूट जाने के बाद आए पानी के सैलाब से करीब डेढ़ सौ से अधिक मकानों में करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है। पानी का सैलाब कई मकानों को तो आर-पार तोड़कर सारा सामान बहा ले गया। जिसके चलते लोगों के पास पहनने के कपड़े तो दूर की बात है, खाने के लिए राशन-खाना तक नहीं बचा। इस सैलाब ने लोगों के जीवन को बुरी तरह से प्रभावित किया है। गनीमत रही कि जिला प्रशासन ने गुरुवार की शाम को ही तालाब के रास्ते में पड़ने वाले स्वास्तिक नगर को लोगों से खाली करवा दिया था। जिसके चलते कम से कम वहां कोई जनहानि नहीं हुई। हादसे के बाद शुक्रवार को जिला प्रशासन ने प्रभावित लोगों के लिए भोजन-पानी और दवाओं का भी इंतजाम करवाया। वहीं एसडीआरएफ तथा एनडीआरएफ की टीमें भी लोगों की सहायता के लिए वहीं मौजूद रहीं। उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ दिनों से लगातार चल रही बारिश के चलते वरुण सागर (फॉयसागर) रोड स्थित गांव बोराज के बरसों पुराने तालाब की पाल दरारें पड़ जाने से गुरुवार को कमजोर पड़ गई। रात करीब 11.30 बजे तालाब की पाल टूट ही गई और पानी तेज वेग से बह निकला।
पानी का वेग इतना तेज था कि रास्ते में पड़ने वाले मकानों के भीतर रखे पलंग, सोफे, अलमारी, कुर्सियां, बिस्तर, कपड़े, रसोई गैस सिलेण्डर, चूल्हे, बर्तन एवं अन्य सभी सामान मकानों की दीवारें तोड़कर बहा ले गया। लोगों के मकानों के दरवाजे तक पानी के बहाव ने तोड़ डाले। लोगों के घरों के बाहर खड़े वाहन तक पानी अपने साथ बहा कर ले गया और उन्हें भी क्षतिग्रस्त कर दिया। लोगों का राशन-पानी तक इस कहर का शिकार हो गया। उनके पास ना खाने को कुछ बचा, ना पीने को पानी बचा। तालाब की स्थिति देखने के बाद जिला प्रशासन हालात को भांप कर गुरुवार की रात को ही स्वास्तिक नगर के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर चले जाने के लिए भेज दिया था। जिनके पास कहीं जाने की व्यवस्था नहीं थी। उन्हें इलाके के सरकारी स्कूल में भेज दिया गया था। कलक्टर लोकबंधु लगातार हालात पर निगरानी बनाए हुए थे। उसके पश्चात रात को जब हालात बेकाबू हुए और तालाब की पाल को तोड़कर पानी का सैलाब बह निकला तब भी जिला प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद था।

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