पुष्कर तीर्थ के चहुंओर महादेव विराजमान
पुष्कर में ख्याति प्राप्त कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा की ब्रह्म शिव महापुराण कथा संपन्न
पं. मिश्रा ने कहा कि दुख की घड़ी में कोई साथ नहीं देता है। वहीं सुख की घड़ी में सब साथ देते है। उन्होंने कहा कि कोई जल्दी बनता है, कोई देर से बनता है लेकिन महादेव को जल चढ़ाना वाला एक दिन सेठ जरूर बनता है।
पुष्कर। तीर्थनगरी पुष्कर में ख्याति प्राप्त कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा की सात दिवसीय श्री ब्रह्मा शिव महापुराण कथा मंगलवार को सम्पन्न हुई। कथा के अंतिम दिन पं. मिश्रा ने कहा कि पुष्कर राज सभी तीर्थों के गुरु के साथ-साथ हम सभी के भी गुरु के रूप में ही है। उन्होंने कहा कि कलियुग में जब दुख, रोग सम्पूर्ण जगत को घेरेगा तब यह शिवमहापुराण कथा ऐसी होगी जो जीव की तकलीफ और दुख को मिटाने का कार्य करेगी। इसलिए कोरोनाकाल में इस कथा को लोगों ने सुनने पर ज्यादा जोर दिया। जहां-जहां यह कथा होती है वहां सम्पूर्ण जीव का कल्याण होता है। भगवान वेदव्यासजी द्वारा रचियत शिवमहापुराण कथा के अनुसार महादेव कहते है कि जो कथा को सुनकर मुझसे हृदय से कामना करता है मैं खुद उसकी कामना पूर्ण करता हूं।
अजमेर के खण्डेलवाल परिवार की ओर से मेला मैदान में आयोजित देश की पहली श्री ब्रह्मा शिव महापुराण कथा के सातवे दिन मंगलवार सुबह 9 बजे पं. मिश्रा ने भगवान बाल कृष्ण, शिवमहापुराण की पूजा अर्चना कर की। व्यास पीठ का नमन करते हुए व्यास गद्दी पर विराजित हुए। तथा ऊं नम: शिवाय की संगीतमय प्रस्तुति देकर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। पं. मिश्रा ने कहा कि कथा के अंतिम दिन जब पुर्णाहुति होती है शिवमहापुरण कथा सभी भक्तों को कुछ ना कुछ देके जाती है। कोई पूर्व का पुण्य और सत्कर्म किया होता है जिस कारण हम मंदिर जा पाते, कथा सुन पाते है। पूर्व के पुण्य के कारण हमारा शरीर पूर्ण होता है और हमें धन, वैभव मिल पाते है और जब हमारे पूर्व के पुण्य समाप्त हो जाते है तब हम अगला जन्म तो लेते है लेकिन श्रेष्ट नहीं बन पाते है। पूर्व की कोई पुण्यता ही हमें भजन की ओर लेके जाती है। अगर हम कोई भी कार्य कर रहे है और अगर उसमें कोई संशय हो तो उस कार्य को भगवान पर चढ़ दो। पुष्कर तीर्थ तो ऐसी जगह जहां चारों ओर महादेव विराजमान है।
महादेव को जल चढ़ाने वाला सेठ जरूर बनता है
पं. मिश्रा ने कहा कि दुख की घड़ी में कोई साथ नहीं देता है। वहीं सुख की घड़ी में सब साथ देते है। उन्होंने कहा कि कोई जल्दी बनता है, कोई देर से बनता है लेकिन महादेव को जल चढ़ाना वाला एक दिन सेठ जरूर बनता है। महादेव अपना नाग, डमरू और त्रिशुल छोड़ सकते है लेकिन शंकर के मंदिर में जल चढ़ाने वाला का कभी साथ छोड़ नहीं सकते है। कर्जे, दुख, बीमारी और कष्ट में आने वाले को महादेव के जल चढ़ाना चाहिए तो महादेव उसकी पुकार सुनकर उसके सारे दुख दर्द दूर कर देते है।
कथा में जो आते है वो सब सुखी है
कथा में आने वाले ना बीमार है और ना ही इनके पास पैसे के कमी है। ये स्वस्थ्य है और ये पैसे खर्च करके यहां आए है। ये श्रोता दुखी होते तो ये अपना दुखड़ा किसी ओर को सुनाते यहां नहीं आते। यहां आया सभी श्रोता सुखी है और यहां जो इतनी दूर से पैदल चलकर कथा स्थल तक धूप, बारिश व आराम से बैठकर कथा सुनी है भोलेनाथ भी उनकी जल्द ही सुनेंगे। महादेव सबका हिसाब रखता है सब को देता है। अपनी चित्त वृति महादेव पर छोड़ देनी चाहिए तो महादेव सब संभाल लेते है। उन्होंने कहा कि भगवान महादेव की अविरल भक्ति प्राप्त करने के लिए शिव का अभिषेक सभी को करना चाहिए।
पुण्य करो फल जरूर मिलेगा
धन, सम्पदा से कोई सेठ नहीं होता है, सब यहीं छोड़कर जाते है। अगर आप किसी जरूरत मंद को भोजन करा दो, पुण्य करो, सद्कर्म करो तो आपकों स्वर्गलोक में सब कुछ मिलेगा। उन्होंने कहा कि जब भी सीधे हाथ से कुछ दान, पुण्य या पूजन करो तो अपने उल्टे हाथ को सीधे हाथ पर रखकर करना चाहिए।
महादेव ने पीया था विष
कथा कहती है कि देवता और राक्षसों ने मंथन किया तब सबसे पहले गऊ माता निकली, इसके बाद विष निकला। विष को पीने वाले का कंठ जलेगा। उस कंठ की जलन को रोकने के लिए गऊ माता का दूध रोक सकता है। कथा के अनुसार उस विष को सभी देवताओं ने महादेव के पास भेजा। महादेव ने जिस विष को पीया है वह साधारण विष नहीं है। महादेव ने विष पीते है नीचे भूमि पर बैठ गए। तब उनका कंठ नीला हो गया यह देखते ही पार्वती माता महादेव के कंठ पर जाकर विराजमान हो गई और उस विष को कंठ से नीचे नहीं उतरने दिया और माता पार्वती ने महादेव को जल समर्पित किया। मां पार्वती ने महादेव से कहा कि सब देवताओं के पास अमृत आया और आपको विष मिला है। आपका हृदय नहीं जलता है तब महादेव ने कहा कि जो दूसरों को खिलाकर खुश होता है वो जिंदगी में कभी नहीं रोता है।
तप, साधना, व्रत का एक अंश ब्रह्माजी को मिलता है
कथा कहती है कि ब्रह्माजी की पास इतनी शक्ति कहां से आई कि कोई भी असुर आता है और ब्रह्माजी उसे वो देते थे। कर्म पुराण के अनुसार संत, साधु, संयासी, साधक, पतिव्रत का पालना करने वाली नारी जो कोई व्रत, तप, साधना, उपवास करता है तो उसका एक अंश ब्रह्माजी के पास जाता है और ब्रह्माजी उससे हम जीवों का कल्याण करने के लिए वर प्रदान करते है। पं. मिश्रा ने कहा कि असुरों के होने से ही देवता प्रकट हुए थे।
12 ज्योर्तिलिंग की कथा सुनाई
पं. मिश्रा ने बताया कि कथा के अुनसार महादेव ने अपने जीव के कल्याण हेतु पृथ्वी पर 12 ज्योर्तिलिंग के रूप में विराजित हुए इनमें पहले ज्योर्तिलिंग में चन्द्र को काया के रोग से मुक्त किया सोमनाथ के रूप में विराजमान, दूसरे में कार्तिकेय को रूष्ट होने पर मल्लिकार्जन के रूप विराजमान, तीसरे में दूषण नाम के राक्षस का संहार कर महाकाल के रूप विराजमान, चौथे में बिंद नामक पर्वत ने तप करके भगवान शिव को प्राप्त कर औंकारेश्वर के रूप में विराजमान, 5वें में नर नारायण ने तप करके केदारनाथ के रूप में विराजमान, छठें में कुंभकरण की पत्नि करकटि का पुत्र भीम ने देवताओं से द्रोह रखा तो महादेव ने उसका संहार कर भीमांशकर के रूप में विराजमान, 7वें में मनु श्रतुपा ने तप कर शिव का प्रसन्न कर काशी विश्वनाथ के रूप में विराजमान, 8वें में गौतम ऋषि पर गौ हत्या के दोष को महादेव ने समाप्त कर त्र्यंबकेश्वर के रूप में विराजमान, 9वें में रावण शिवलिंग को लेकर जा रहा था शाम होने के कारण जहां विद्यमान किया वहां बैद्यनाथ के रूप में विराजमान, 10वें में दारूक नामक राक्षस का महादेव ने संहार किया तब वहां नागेश्वर के रूप में विराजमान, 11वें में भगवान राम ने महादेव की स्थापना की रामेश्वरम के रूप में विराजमान, 12वें ज्योर्तिलिंग में सुधर्म नामक ब्राह्मण की दो धर्मपत्नियां घुश्मा और सुदेहा। घुश्मा ने अपना पुत्र सुदेहा को दिया था। सुदेहा ने उसे बेटे के टुकड़े कर के तालाब में फेंक दिया। घुश्मा ने पार्थिव शिवलिंग का निर्माण व पूजन कर विसर्जन करने गयी थी तथा अपने पुत्र की कामना की तो उसका मरा हुआ बेटा उसने जीवित पाया वहां महादेव घृष्णेश्वर के रूप में विराजमान हुए।
पुष्कर के अटमटेश्वर महादेव की स्थापना को बताया
कथा के अनुसार ब्रह्माजी ने जब पुष्कर में यज्ञ किया तब महादेव को निमंत्रण दिया इसके बाद महादेव यहां पहुंचे तो उन्होंने देखा ब्रह्माजी को उनको यहां बुलाने की रुचि नहीं थी तो महादेव ने खेल रचते हुए तंत्र मंत्र विद्या के रूप धरकर कपाल हाथ लेकर ब्रह्माजी के द्वार आए और शिवजी ने कहा कि इतना बड़ा यज्ञ कर रहे हो दान दीजिए, तब ब्रह्माजी ने कहा कि दान दूंगा लेकिन यज्ञ के बाद। ब्रह्माजी उठे नहीं तब शिवजी ने कपालों को ढेÞर लगा दिया तो ब्रह्माजी ने यज्ञशाला में यह देखकर अंचभित रह गए। इसके बाद ब्रह्माजी ने शिवजी को रिझाने के लिए पुष्कर में अटमटेश्वर महादेव की स्थापना की। पं. मिश्रा ने कहा कि कोई दोष आता है तो उसको मिटाने के लिए शिव की स्तुति, स्मरण व भक्ति जरूरी है।
दुख में महादेव को जरूर याद करें
जिसके घर में धन, वैभव, सुख है फिर भी उसके घर में थोड़ा सा दुख जरूर होता है। इसलिए जब थोड़ा दुख आता है तब हम महादेव को जरूर याद करते है। जल को चढ़ाया क्यों जाता है, जल हम महादेव को महादेव के लिए नहीं बल्कि हम अपने लिए दे रहे है कि मेरे दुख, तकलीफ उस जल के रूप में महादेव पर चढ़ाकर महादेव से कह देते है।
विष पियों, उगलो नहीं
पं. मिश्रा ने कहा कि शंकर को जल, बेल्व पत्र, धूतरा चढ़ाना सरल है लेकिन महादेव के स्वरूप के गुण को अपने भीतर लाना बहुत कठिन है। महादेव के स्वरूप का सबसे अच्छा गुण यहीं है उन्होंने विष को पिया है विष को उगला नहीं है। जीवन में क्रोध, लोभ, काम, वासना, तृष्णा, आसक्ति, मोह का विष पी लिया है समझ लो उसने शिव तत्व का प्राप्त कर अपने जीवन को सार्थकता को प्राप्त कर लिया है। संसार के लोग विष पीते कम है उगले कम है।
महादेव के मंत्र रोगों को करते है दूर
पं. मिश्रा ने कहा कि ऊं नम: शिवाय, महामृत्युंज मंत्र, पंचाक्षर मंत्र, श्री शिवाय नमुस्तभ्यं सहित महादेव के सभी मंत्रों को जपने से हमारे रोगों, विकार, कष्ट को रोकते है और यह मंत्र हमारे शरीर के भीतर अहम को उतरने नहीं देते है।
15 जुलाई को आॅनलाईन होगा शिव अभिषेक
पं. मिश्रा ने बताया कि सावन माह की शिवरात्रि 15 जुलाई को अपने शहर, गांव के ब्राह्मण को घर बुलाकर महादेव का अभिषेक कराने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि जो नहीं करवा सकते है वे सभी उसी दिन रात्रि 9 बजे आस्था चैनल पर उनके माध्यम से 1 घंटे का आॅनलाइन अभिषेक कर सकते है। उन्होंने बताया कि अपने घर में थोड़ी मिट्टी लाकर थाली में पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर पूजन सामग्री के साथ अभिषेक किया जाएगा। पूजन सामग्री में 1 लोटा जल, गेंहू के 21 दाने, 5 कमल गट्टे, 108 साबुत चावल, 21 काली मिर्च, 1 चुटकी काली तिल, 1 धतूरा, 7 बेल्वपत्र, 7 शमी पत्र, 7 गुलाब या सफेद पुष्प, 3 गोल सुपारी, 2 जनेऊ जोड़ा, 2 देशी घी का दीपक, 5 फल, मिठाई प्रसाद, इत्र, पीला चंदन, मोली, कपूर, लोंग इलायची, पंचामृत के साथ अभिषेक करवाया जाएगा। बताया कि अभिषेक के बाद शिवलिंग का विसर्जन अपने पास में कही पर वृक्ष या पौधे में उसी दिन रात्रि में पूजन के बाद किया जाए। सावन की शिवरात्रि को किया गया अभिषेक अपने जीवन में सुख देने वाला होता है।
भक्तों के पत्र को पढ़ा
जयपुर के राजेन्द्र खण्डेलवाल ने पत्र में लिखा है कि 14 अगस्त 2021 को उसके लकवा हो गया था और 20 दिन तक आईसीयू में रहा। इसके बाद उसने टीवी पर कथा सुनी और महादेव से विनती करी कि सही होने पर मंदिर जाऊंगा। इसके बाद उसके घरवालों ने उसे धीरे धीरे मंदिर ले के जाने लगे तथा अब वह 90 प्रतिशत सही हो गया है। आगे पत्र में लिखा कि उसके बेटे के 8 वर्ष से संतान नहीं हो रही थी अब महादेव की कृपा से उसके बेटे के पुत्र का जन्म हुआ। पाली के विपिन ने पत्र में लिखा कि उसके पुत्र को सरकारी नौकरी नहीं लग रही थी। इसके बाद उसके पुत्र ने पशपुति व्रत किया और उसकी नौकरी लग गई। हरियाणा के शिवभक्त ने पत्र में लिखा कि उसका पुत्र बोल नहीं पाता था और उसकी नौकरी नही लग रही थी तब उसने कथा सुननी शुरू की और इसके बाद उसके पुत्र की सरकारी नौकरी लग गई। इसके लिए वह पुष्कर में कथा में महादेव के आभार व्यक्त करने आया।
आरती के साथ कथा का समापन
मंगलवार की शाम 4 बजे शिवमहापुराण की आरती के साथ सात दिवसीय कथा का समापन हुआ। इसके मौके पर कथा यजमान के साथ सांसद भागीरथ चौधरी, विधायक सुरेश सिंह रावत, अजमेर उप महापौर नीरज जैन, प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष नसीम अख्तर इंसाफ, एसपी चूनाराम जाट, अजमेर उप महापौर नीरज जैन, रावत महासभा राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष डा. शैतानसिंह रावत, कांग्रेस नेता महेन्द्र सिंह रलावता, जगदीश कुर्डिया, अरूण पाराशर, ज्योतिषाचार्य पं. कैलाशनाथ दाधीच, राजेन्द्र महावर, बाबूलाल दग्दी, जयनारायण दग्दी, राकेश भट्ट, लक्ष्मी पाराशर, हर्ष पाराशर, रविकांत शर्मा, शशिकांत शर्मा, गौरव मित्तल, विकास मुखिया सहित प्रबुद्धजनों ने कथा व्यास पं. मिश्रा से आशीर्वाद लिया।
सात दिनों में 6 लाख से अधिक शिवभक्त पहुंचे पुष्कर
तीर्थनगरी में सावन माह के मौके पर आयोजित सात दिवसीय देश की पहली श्री ब्रह्मा शिवमहापुराण कथा के दौरान पुष्कर में 5 लाख से अधिक शिवभक्त श्रोताओं ने कथा स्थल मेला मैदान में कथा श्रवण किया। इसमें महिलाओं की संख्या ज्यादा देखने को मिली। इस दौरान कस्बे में चहुंओंर शिवभक्तों का रैला दिखाई देखा गया था। कथा स्थल सहित पुष्कर की सभी धर्मशालाओं में शिवभक्तों ने 7 दिनों तक डेरा डाल रखा था। वहीं प्रतिदिन शिवभक्तों ने पवित्र सरोवर में स्रान, पूजन कर ब्रह्मा मंदिर के दर्शन कर पुण्य लाभ भी मनाया।
सुबह 5 बजे से ही उमड़ने लगी श्रोताओं की भीड़
मंगलवार को कथा के अंतिम दिन कथा सुबह 9 बजे से 12 बजे आयोजित की गई। वहीं कथा शुरू होने से पूर्व सुबह 5 बजे से ही शिवभक्तों से कथा स्थल मेला मैदान में श्रोताओं की भीड़ उमड़ने लगी और मेला मैदान खचाखच भर गया तथा वीआईपी गेट पर लाइने लग गई स्थिति इतनी विकट हो गई की भीड़ को नियंत्रण करने में पुलिस को खासी मशक्कत करनी पड़ी।
बसों की कमी पर शिवभक्तों ने किया रास्ता जाम
मंगलवार को दोपहर 12 बजे कथा समापन के बाद शिवभक्तों के पुन: अपने-अपने गन्तव्य स्थान जाने के लिए होड़ मची रही। वहीं कथा स्थल से अजमेर रोड तक पैदल चलने वालों का रैला दिखाई दे रहा था। उधर शिवभक्तों की भीड़ रामधाम तिराहे पहुंची जहां बसों की कमी से श्रोताओं ने अजमेर-पुष्कर मुख्य मार्ग पर बैठकर रास्ता जाम कर दिया। जिससे अजमेर-पुष्कर मार्ग पर जाम लग गया। इसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस को श्रोताओं ने जमकर खरी खोटी सुनाते हुए विरोध प्रदर्शन किया। इसके बाद पुलिस ने तुरंत बसों की व्यवस्था करवाकर शिवभक्तों को भिजवाया तथा रास्ता खुलवाया।
समाजसेवी परिवार ने पिलाया लाखों लीटर पानी
पुष्कर में आयोजित श्री ब्रह्मा शिव महापुराण कथा श्रवण करने आए शिव भक्त श्रोताओं के लिए कथा स्थल मेला मैदान सहित बाहरी क्षेत्र व पार्किंग स्थानों पर पुष्कर के समाजसेवी परिवार लिटिल इटली रेस्टोरेंट के संचालक कमल व हर्ष पाराशर परिवार की ओर से लाखों लीटर पीने के पानी की व्यवस्था की गई। हर्ष पाराशर ने बताया कि कथा स्थल के चारों तरफ प्रतिदिन 25 से अधिक टैंकर में ठंडे पानी के लिए बर्फ के साथ पानी की व्यवस्था की गई तथा खाली होने पर पुन: उसी समय भरे गए। बताया कि कथा स्थल के बाहर शिवभक्तों के लिए विभिन्न जगहों पर पानी के कैंपरों की लाइनें लगाई गई। इसके अलावा कथा स्थल के अंदर प्रतिदिन 10 हजार से अधिक पानी की बोतलें वीआईपी, पुलिसकर्मियों सहित श्रोताओं के लिए रखी गई। साथ ही सेवा के लिए 30 से अधिक व्यक्तियों को तैनात किए। बताया कि यह पुनीत कार्य उन्होंने अपने दादा स्व. विष्णु प्रसाद व पिता नारायण पाराशर की स्मृति में की। इसके अलावा कथा स्थल सहित कथा के मार्ग में अजमेर, पुष्कर सहित आस-पास के भामाशाहों ने शिव महापुराण कथा में आने वाले शिवभक्त श्रोताओं के लिए प्रतिदिन अधिक मात्रा में पानी की बोतले, बिस्कुट, मिल्क रोज, फल फ्रुट सहित खाने पीने की चीजे बांटी गई।
अव्यवस्थाओं के लिए सरकार व प्रशासन जिम्मेदार- रावत
पुष्कर के मेला मैदान में आयोजित हुई शिव महापुराण कथा के समापन पर विधायक रावत ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि सात दिवसीय कथा के दौरान श्रोताओं को राज्य सरकार व जिला प्रशासन की उदासीनता के चलते परेशानियों का सामना करना पड़ा। उन्होंने बताया कि 5 से 11 जुलाई तक आयोजित कथा में शिवभक्त श्रोताओं के लिए परिवहन विभाग द्वारा इतना बड़ा आयोजन होने के बावजूद भी रोडवेज बसों की माकूल व्यवस्था नहीं की गई जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। वहीं प्रतिदिन भक्तों की भीड़ दिन-ब-दिन बढ़ती गई लेकिन बसों की पर्याप्त व्यवस्था नहीं करने से भक्तों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। पुष्कर उपखंड अधिकारी और नगर पालिका के अधिशाषी अधिकारी को निर्देश देने के बावजूद कथा स्थल सहित कस्बे की साफ-सफाई, स्वच्छता की ओर ध्यान नहीं दिया गया। वहीं पुलिस प्रशासन की अपराधियों से सांठ गांठ के चलते कथा स्थल से सटकर ही मकानों में अवैध शराब की बिक्री हुई। इस मौके पर विधायक रावत ने दानदाताओं द्वारा प्रतिदिन श्रोताओं को पानी की बोतलें, बिस्किट, मिल्क रोज, फल फ्रुट, नींबू पानी सहित खाने पीने की चीजे बांटने पर आभार ज्ञापित किया।
विधायक ने की जिला कलक्टर से मुलाकात
पुष्कर की स्वच्छता, साफ सफाई और सौंदर्य बनाए रखने के लिए विधायक रावत ने जिला कलक्टर से भेंट की। उन्होंने बताया कि 7 दिवसीय कथा के कई जगह गंदगी और कचरे के ढेर जमा हो गए हैं और बारिश से गंदगी कीचड़ के रूप में फैल रही है। शीघ्र ही पुष्कर शहर की साफ सफाई, स्वच्छता और सौंदर्य को पूर्ववत बनाने की मांग क। जिस पर कलक्टर ने विधायक रावत को आश्वस्त किया। इसके अलावा विधायक रावत ने पुष्कर प्रशासन को कीटनाशक दवाओं का छिड़काव कराने के निर्देश दिए।
वैदिक मंत्रोंच्चार के बीच दी पं. मिश्रा को विदाई
श्री ब्रह्मा शिव महापुराण की कथा की समाप्ति के बाद मंगलवार शाम 3.15 बजे ख्याति प्राप्त कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा (सीहोर वाले) को तीर्थ पुरोहित संघ ट्रस्ट के पदाधिकारियों सहित पंडितों ने वैदिक मंत्रोंच्चार के साथ विदाई दी। इस अवसर तीर्थ पुरोहित संघ के संयोजक पं. श्रवण पाराशर, उपाध्यक्ष पुष्करनारायण आदाली, कोषाध्यक्ष विमल बादल पाराशर, हरिप्रसाद चुंडावत, गोविंद पाराशर, पं. गंगाधर पाराशर, अरूण पाराशर, पं. रविकांत शर्मा, शशिकांत शर्मा, मौसम शर्मा, राकेश भट्ट, वैंकटेश शास्त्री आदि ने पं. मिश्रा को माल्यार्पण कर पुष्प वर्षा व स्वस्तिवाचन मंत्र के साथ विदाई दी तथा पुन: पुष्कर आने का निमंत्रण भी दिया। इस मौके पर पं. मिश्रा ने खुशी प्रकट करते हुए कहा कि उन्हें तीर्थ नगरी में ब्राह्मणों सहित पुष्करवासियों का निस्वार्थ सेवाभाव बहुत पसंद आया। उन्होंने कहा कि वे जल्द वापस पुष्कर आएंगे, लेकिन कथा के लिए नहीं बल्कि सामान्य श्रद्धालु के रूप में पवित्र सरोवर का पूजन व जगतपिता ब्रह्मा जी के दर्शन करेंगे। इसके बाद से पं. मिश्रा पुष्कर से अलवर के लिए रवाना हुए जहां वे बुधवार से भक्तों को शिव महापुराण कथा का रसपान कराएंगे।

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