राजस्व मण्डल में दर्ज भू-राजस्व के मामलों की हकीकत : रेवेन्यू बोर्ड में पीढ़ियां लड़ रही केस, फिर भी जमीनी विवादों में फैसले नहीं
कई मामले 46 साल पुराने, 63316 मामले राजस्व मंडल में लंबित
विभिन्न राजस्व न्यायालयों में लंबित मामलों की संख्या तीन लाख 68 हजार के भी पार
जयपुर। राजस्व मण्डल में लंबित प्रकरणों के निस्तारण की गति धीमी होने के साथ ही भू-राजस्व के वाद रजिस्टर्ड होने की रफ्तार साल दर साल बढ़ती जा रही है। कई प्रकरण तो ऐसे है, जिनमें एक के बाद दूसरी पीढ़ी लड़ रही है, लेकिन उनमें अभी निर्णय होना बाकी है। मण्डल के साथ ही अधीनस्थ न्यायालयों में भी दायर वादों की लाखों तक पहुंच चुकी है, जिनमें अभी निर्णय होना बाकी है। प्रकरणों के निस्तारण में होने वाली देरी के कारण दायर केसों की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है। राजस्व मण्डल में 31 दिसंबर, 2018 तक लम्बित प्रकरणों की संख्या 63,316 थी, जो 31 जनवरी 2022 तक बढ़कर 64,736 हो गई। अधीनस्थ न्यायालयों में 31 दिसंबर, 2018 तक 3,68,999 प्रकरण लम्बित थे। जनवरी 2019 से जनवरी 2022 तक 3,85,786 प्रकरण दर्ज हुए एवं इस अवधि के दौरान 2,64,122 प्रकरणों के निस्तारण उपरान्त 4,90,663 प्रकरण लम्बित रहें। विधानसभा के एक सवाल में विभाग की ओर से यह जानकारी दी गई है। प्रकरणों के निस्तारण को गति देने के लिए जिला कलेक्टर का अपीलीय अधिकारी, राजस्व अपीलीय अधिकारी के स्थान पर संबंधित संभागीय आयुक्त को राजस्व अपील अधिकारी की शक्तियां देने के लिए राजस्व विभाग की ओर से अधिसूचना जारी की जा चुकी है।
केस नंबर-1
रेवेन्यू बोर्ड का सबसे पुराना यह प्रकरण 1976 से लंबित है। दो दिन पहले ही सिंग बैंच में रखा गया था, लेकिन निर्णित नहीं हो सका। यह केस 1975 में जिला कलेक्टर जोधपुर के यहां दिया गया था। इसके खिलाफ राजस्व अपील अधिकारी कोर्ट में गया। इसके बाद यह 1976 में रेवेन्यू बोर्ड में आया, तब से अब तक अनिर्णित है।
केस नंबर-2
हनुमानगढ़ में नोहर तहसील का एक मामला है, जो 1973 में एसडीएम के यहां पर डिग्री होने के बाद 1976 में कलेक्टर के बाद रेवेन्यू बोर्ड में पहली बार रेफेंरेंस में आया। ये मामला दो बार 1981 में हाईकोर्ट भी पहुंच चुका है। इसमें करीब 100-150 पक्षकार है और केस में करीब 12 वकील पैरवी कर रहे हैं।
राजस्व मण्डल में जनवरी 2019 से जनवरी 2022 तक राजस्व संबंधी 264122 प्रकरणों का निस्तारण किया गया। राजस्व नियमों में संशोधन एक सतत प्रक्रिया है। लोकहित एवं आवश्यकता के अनुरूप आवश्यक संशोधन समय-समय पर किए जाते है एवं भविष्य में भी आवश्यकतानुसार किए जाएंगे। -रामलाल जाट, राजस्व मंत्री
| किस कानून में कितने केस लंबित | |
| एक्ट नाम | कुल केस |
| एसचीट एक्ट 1956 | 23 |
| कोलोनाइजेशन एक्ट 1945 | 1966 |
| जमींदारी बिस्वेदारी अधि. 1959 | 8 |
| जागीर/एबोलेशन एक्ट 1959 | 34 |
| टीनेंसी एक्ट 1955 | 34697 |
| डायरेक्टर लैंड रिकॉर्ड | 46 |
| पब्लि.डिमांड रिकवरी एक्ट 1952 | 88 |
| फोरेस्ट एक्ट 1953 | 14 |
| राज.भू राजस्व अधि.1956 | 25493 |
| लैण्ड रिफॉर्म एएलओई 1963 | 15 |
| सीलिंग अधिनियम 1973 | 932 |
| कुल | 63316 |
| विभिन्न स्तर पर रजिस्टर्ड कुल केसों की स्थिति | ||
| कोर्ट का नाम | पेंडिंग | कुल रजिस्टर्ड |
| संभागीय आयुक्त | 5232 | 6690 |
| अति. संभागीय आयु. | 1708 | 3980 |
| राजस्व अपील अधि. | 20577 | 12496 |
भू.राजस्व अधि.पदेन | 12176 | 6042 |
जिला कलेक्टर | 11551 | 24741 |
| अति.जिला कलेक्टर | 18498 | 24124 |
| उपखंड अधिकारी | 245070 | 256780 |
| सहायक कलेक्टर | 25960 | 17987 |
सहा. कलेक्टर(एफटी) | 21174 | 18444 |
तहसीलदार | 4012 | 9781 |
| नायब तहसीलदार | 1482 | 4562 |
| उपनिवेशन | 1579 | 119 |
| कुल | 368999 | 385786 |
| कब से पेंडिंग चल रहे हैं केस | |
| वर्ष | पेंडिंग केस |
| 1976 | 1 |
| 1997 | 1 |
| 1998 | 8 |
| 1999 | 11 |
| 2000 | 65 |
| 2001 | 192 |
| 2002 | 409 |
| 2003 | 837 |
| 2004 | 930 |
| 2005 | 1565 |
| 2006 | 2577 |
| 2007 | 3938 |
| 2008 | 3571 |
| 2009 | 3177 |
| 2010 | 2757 |
| 2011 | 3362 |
| 2012 | 3362 |
| 2013 | 2741 |
| 2014 | 3288 |
| 2015 | 3492 |
| 2016 | 3834 |
| 2017 | 4089 |
| 2018 | 5086 |
| 2019 | 5083 |
| 2020 | 3622 |
| 2021 | 5275 |
| 2022 | 465 |
| कुल | 64736 |

Comment List