रानीपुरा बांध की पाल क्षतिग्रस्त, पानी का हो रहा रिसाव

तालाब टूटने की आशंका से किसान और ग्रामीण चिंतित

रानीपुरा बांध की पाल क्षतिग्रस्त, पानी का हो रहा रिसाव

रानीपुरा डेम का निर्माण सिंचाई विभाग द्वारा कई वर्षों पहले कराया गया था इस डेम में पानी की भराव क्षमता 22 फीट है लेकिन इसको सिंचाई विभाग ने कुछ सालों से पंचायत समिति के सुपुर्द कर दिया जब से इस तालाब की सार संभाल ठीक तरीके से नहीं हो रही है। साथ ही तालाब की पाल जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है।

 राजपुर। एक और तो सरकार लाखों करोड़ों रुपए का बजट जारी कर जल संरक्षण के नाम पर तालाब और बांधों का निर्माण करा रही है ताकि जल संरक्षण हो सके और भूमि का जलस्तर भी बढ़ सके, लेकिन बरसों पहले लाखों रुपए की लागत से बने रानीपुरा डेम की जल भराव क्षमता 22 फीट है। उसके बावजूद भी प्रशासन ने इस प्राचीन रानीपुरा डेम को सिंचाई विभाग से अलग कर पंचायत समिति के अधीन कर दिया है जो अब अपनी दुर्दशा के आंसू बहाने को मजबूर है।  आदिवासी अंचल क्षेत्र के सेमली फाटक ग्राम पंचायत के अंतर्गत आने वाले रानीपुरा डेम का निर्माण सिंचाई विभाग द्वारा कई वर्षों पहले कराया गया था इस डेम में पानी की भराव क्षमता 22 फीट है लेकिन इसको सिंचाई विभाग ने कुछ सालों से पंचायत समिति के सुपुर्द कर दिया जब से इस तालाब की सार संभाल ठीक तरीके से नहीं हो रही है। साथ ही तालाब की पाल जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है। इससे डेम की पाल से पानी निकासी हो रहा है इस डैम की फूटने की आशंका बनी हुई है। इससे किसान और भील बस्ती गांव के लोग डरे और सहमे हुए हैं। इसकी कई बार शासन को शिकायत भी की गई है लेकिन मामले को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है, अगर यह तालाब फूटता है तो बड़ी जनहानि हो सकती है। हजारों बीघा के खेत किसानों बर्बाद हो सकते हैं। इस डेम से पहले पानी की सिंचाई सात आठ गांवों के किसानों को होती थी इसकी नहर भी क्षतिग्रस्त हो चुकी है। 

 तालाब का निर्माण हुआ था उसी समय तालाब की पाल के नीचे सिंचाई  विभाग का भवन भी बना था लेकिन रानीपुरा डेम को पंचायत समिति में के अधीन सौंप दिया है। जब से इस डेम की कोई सुध नहीं ली गई है। भू माफियाओं ने सरकारी सिंचाई भवन की बिल्डिंग को भी क्षतिग्रस्त कर नामोनिशान मिटा दिया है और फॉरेस्ट विभाग की भूमि पर पत्थरों की चारदीवारी कर कृषि योग्य भूमि तैयार कर ली है।  ग्रामीण पूरब चंद मेहता रामजीलाल मेहता, जीवनलाल सहरिया तुलसीराम मेहता, सुकलाल भील कृष्णा भील , धनराज भील , हरिओम मेहता आदि ने बताया कि रानीपुरा डेम की पाल दो जगह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है। बड़ी मात्रा में पानी निकासी हो रही है अगर इस पानी को रोका नहीं गया तो डेम की पाल मे बड़ा सुराग हो जाएगा और बड़ी जनहानि झेलनी पड़ेगी। इस मामले को कई वर्षों से प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को अवगत कराते आ रहे हैं लेकिन मामले को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। प्रशासन को इस मामले को गंभीरता से उठाना चाहिए। ताकि डेम की ठीक तरीके से सार संभाल हो सके और लोगों को इसका फायदा मिल सके।।

भराव क्षमता 22 फीट, फिर भी की जा रही अनदेखी
 किसानों का कहना है कि रानीपुर डेम की पानी के भराव क्षमता को लेकर बात की जाए तो 22 फीट है। इसमें हजारों किसानों को डैम से सिंचाई के लिए पानी मिलता था। जिससे किसानों को रोजी रोटी का जुगाड़ ठीक तरीके से चल जाता था लेकिन इस रानीपुरा डैम की अनदेखी जनप्रतिनिधि और प्रशासन द्वारा की गई है। जिसके चलते यह डैम खस्ताहाल अवस्था में पहुंच चुका है और डैम की पाल से पानी की निकासी निरंतर हो रही है। अगर इस डैम की पाल दुरुस्त नहीं कराई गई तो यह कई किसानों को बर्बाद कर देगी और काफी पशु जन धन हानि हो सकती है। आखिरकार इस रानीपुरा डैम को क्यों सिंचाई विभाग ने अपने रिकॉर्ड से अलग कर दिया है। किसानों ने रानीपुर डैम को सिंचाई विभाग के अधीन करने की मांग की है ताकि इस डैम की मरम्मत हो सके। 

लंबे समय से नहीं हुई रानीपुरा बांध की मरम्मत
किसान पुरुषोत्तम, रामदयाल, किराड हरिचरण, कालीचरण, मुरारीलाल सहरिया कन्हैया भील, सियाराम सहरिया, उमेश सिंह आदि किसानों का कहना है कि रानीपुरा डैम की मरम्मत बरसों से नहीं हुई है। ऐसे में यह डैम जगह-जगह से जर्जर हालत में होता जा रहा है।  डैम की कोठी भी क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। जिन से निरंतर पानी बह रहा है। जगह-जगह नहर भी टूटी पड़ी है।  

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सिंचाई विभाग को रानीपुरा डेम को देने की मांग
 क्षेत्र के किसानों का कहना है कि रानीपुरा डेम को सिंचाई विभाग के सुपुर्द करना चाहिए ताकि इस डेम का ठीक तरीके से काम हो सके, क्योंकि इस डेम की जल भराव क्षमता 22 फिट है, अगर इस डेम को सिंचाई विभाग अपने कब्जे में लेकर और इसका काम करवाता है तो हजारों किसानों को फायदा मिलेगा। क्षेत्र का वाटर लेवल भी बढ़ जाएगा और गर्मी के मौसम में क्षेत्र के लोगों को पानी की समस्या से नहीं जूझना पड़ेगा। 

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किसान महापंचायत के कल्याण सिंह मेहता, मोहन सिंह मेहता रामचरण, अमर सिंह भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा मंडल अध्यक्ष रामदयाल मेहता ने बताया कि लंबे समय से किसान इस रानीपुरा डैम को सिंचाई विभाग के सुपुर्द करने की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। प्रशासन को इस डैम को सिंचाई विभाग के सुपुर्द करना चाहिए।

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 रानीपुरा डैम का निर्माण सिंचाई विभाग द्वारा 35-40 वर्ष पहले कराया गया था। जिसकी जलभराव क्षमता 22 फीट है, लेकिन अब इस डैम की सार संभाल नहीं की जा रही है। इससे यह जर्जर हालात में पहुंच चुका है प्रशासन को इस डैम की मरम्मत करवाना चाहिए।
 - कल्याण सिंह मेहता, अध्यक्ष, किसान महापंचायत, शाहाबाद

 रानीपुरा डैम पहले सिंचाई विभाग के अधीन था लेकिन बाद में यह ग्राम पंचायत पंचायत समिति के अधीन है। इसके चलते इस डैम की मरम्मत नहीं हो रही है। लोग लंबे समय से इस डैम को सिंचाई विभाग को सौंपने की मांग करते आ रहे हैं। डैम की स्थिति में सुधार आ सके। इस संबंध में उच्चाधिकारियों को कई बार अवगत भी करा दिया है।
- रामदयाल मेहता, अध्यक्ष, भाजपा किसान मोर्चा मंडल शाहाबाद

 रानीपुरा डैम की पाल क्षतिग्रस्त है। इस संबंध में कई बार संबंधित विभाग को अवगत भी करा दिया। डैम की पाल से पानी की निकासी हो रही है। रानीपुरा डैम की स्थिति दयनीय बनी हुई है, अगर ध्यान नहीं दिया गया तो यह बड़ी जनहानि पहुंचा सकता है। जिम्मेदारों को इस मामले को गंभीरता से देखना चाहिए।
- अखिलेश भार्गव, किसान। 

 रानीपुरा बांध की पाल से पानी निकल रहा है। इसकी सूचना मिली है। बेहटा सरपंच को मौके पर पहुंचा दिया है और मिट्टी डलवाने का काम करवाया जा रहा है ताकि कुछ पानी रुक सके कल सिंचाई विभाग के अधिकारियों से वार्ता कर टीम भेजी जाएगी। सरकार से इस डेम के निर्माण को लेकर एक करोड़ की बजट राशि की घोषणा हुई है। जल्दी इसका मरम्मत निर्माण सिंचाई विभाग की कार्यकारी एजेंसी द्वारा किया जाएगा।
- छुट्टनलाल मीणा, विकास अधिकारी, शाहाबाद। 

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