दुगारी अस्पताल वेटिंलेटर पर , कैसे होगा उपचार!

लापरवाही : अस्पताल की छत में लगे सरिए गलने लगे , टपकती छत के नीचे उपचार लेने को मजबूर

दुगारी अस्पताल वेटिंलेटर पर , कैसे होगा उपचार!

अस्पताल में जिम्मेदार के अभाव में लाखों रुपए के भवन के जर्जर हालत बनने से यहां पर कर्मचारियों, रोगियों सहित तीमारदारों को भी खतरा बना हुआ है।

भण्डेड़ा। भण्डेड़ा क्षेत्र के दुगारी कस्बे में स्थित राजकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर संबंधित विभाग के जिम्मेदार अधिकारी नहीं होने से यहां पर इस समय सभी कक्षों की छत टपक रही है। सभी कक्षों में छत का प्लास्तर उखड़ गया है। छत में सरिए तक गलने की कगार पर है। अस्पताल में आए रोगियों सहित तीमारदारों को भी टपकती छत में रहकर उपचार लेने की मजबूरी है। बुधवार को यहां आए रोगियों का धैर्य टूट गया है। उन्होंने अस्पताल के गेट पर आधे घंटे तक जमकर आक्रोश जताया है। क्षेत्रीय मरीजों ने बताया कि यहां अव्यवस्थाएं होने से बांसी, नैनवां, देई, जिला अस्पताल में पहुंचकर उचित इलाज के लिए भागादौड़ी करनी पड़ती है। जानकारी के अनुसार बांसी-नैनवां मुख्य मार्ग पर दुगारी अस्पताल के सभी कक्षों की छत से पानी टपकते हुए लगभग आठ रोज बीत गए है। इन कक्षों की छत से सरिए जगह-जगह से नजर आ रहे है। वह भी सरिया गलता हुआ नजर आ रहा है। यहां पर जिम्मेदार अधिकारी की अनदेखी के चलते अस्पताल के कक्षों में दरारें तक नजर आ रही है। इस केंद्र को ही उपचार की दरकार पर संबंधित विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। यहां पर उपचार के लिए आंगतुक रोगियों सहित तीमारदारों को टपकती छत में रहकर उपचार लेनी की मजबूरी बनी हुई है। यहां छत से भी खतरा बना हुआ है। एक भी कक्ष ऐसा नही है, जिसमें छत टपकती नहीं हो। अस्पताल में मिलने वाली दवा कक्ष, प्रसव भर्ती कक्ष, जांच कक्ष, परामर्श कक्ष सहित मुख्य गेट में प्रवेश करने पर गिलेयरी से ही छत का टपकना शुरू है, जो कक्षों की दीवारो में भी सीलन पहुंच चुकी है। यहां पर छत के हालात खराब हो रहे है, अस्पताल में जिम्मेदार के अभाव में लाखों रुपए के भवन के जर्जर हालत बनने से यहां पर कर्मचारियों, रोगियों सहित तीमारदारों को भी खतरा बना हुआ है। इतनी दयनीय स्थिति के बावजूद जिम्मेदार मौन धारण किए हुए हैं। यहां किसी बड़ी घटना घटित होने का इंतजार हो रहा है।

जांच मशीन लंबे समय से बंद
सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में केंद्र पर बीमारी का समय पर मालूम करने के लिए सीबीसी मशीन उपलब्ध करवाते हैं, पर केंद्र पर जिम्मेदार की लापरवाही की वजह से प्राइवेट लैबो की मौज हो रही है। यहां मशीन लंबे समय से बंद है, पर अभी तक इसको सुधार नहीं करवाया है। अस्पताल में सीबीसी मशीन लंबे समय से ही बंद है। बुधवार को एक वृद्ध महिला लूंगी बाई बंजारा आंव का खेडा से अपनी विकलांग बच्ची को दिखाने आई थी। चिकित्सक को दिखाने पर खून, पेशाब की जांच लिखी। बुजुर्ग महिला से यहां जांच बंद होने की बात कही। जिसके बाद वृद्धा विकलांग बच्ची को कंधे पर बिठाकर प्राइवेट लैब पर पहुंची। जहाँ पर जांच करवाई गई है। यहां पर जांच मशीनें भी धूल खा रही है। मगर जिम्मेदार अधिकारी अनजान बनकर बैठे हुए। इनकी अनदेखी रोगी सहित तीमारदारों की परेशानी बढती जा रही है।  इस तरह की समस्या को लेकर अस्पताल पहुंचे मुकुट बिहारी दाधीच, सुवालाल सैनी, गरिमा कहार, चौथमल कहार, रमेशचंद सैनी, मोहित दाधीच, शोएब, मीरा बाई, सरला कहार, शैलेंद्र कुमार गौत्तम आदि ने संबंधित विभाग के खिलाफ आधे घंटे तक नारेबाजी करते हुए आक्रोश जताया। आक्रोशित लोगों का कहना है कि जल्द अव्यवस्थाओं में सुधार नहीं हुआ, तो दूसरा रास्ता अपनाया जाएगा। संबंधित विभाग की अनदेखी परिसर में उपचार के लिए आए ग्रामीणों की जिंदगी दांव पर लगी हुई है। कभी भी अनहोनी घटना दस्तक दे सकती है।  

दुगारी अस्पताल में बरसात में टपकते छत से बचने के लिए जगह नहीं है, यहां पूरी छत टपकती है। उपचार के लिए आते है, मगर यहां पर बरसात के बचाव के लिए जगह नहीं रहती है। संबंधित विभाग के जिम्मेदार अधिकारी अस्पताल की समस्याएं को गंभीरता से लेकर देखें। केंद्र की छत की मरम्मत करवाएं तो रोगियों व तीमारदारों को जर्जर भवन की हालत से राहत मिलें।
- गरीमा कहार, ग्रामीण

आंव का खेड़ा निवासी वृद्धा महिला का कहना है कि विकलांग बेटी को लेकर यहां उपचार के लिए आई हूँ, यहां आई तब से टपकती छत के नीचे रहना पडा है। चिकित्सक ने विकलांग बेटी की खून व पेशाब की जांच लिखी है, पर जांच मशीन बंद होने से बेटी को कंधे पर लेकर प्राइवेट लैब पर जाना पडा है। जांच मशीन का भी लाभ नही मिल रहा है। मजबूरन निजी लैबों के धक्के खाने पड़ रहे है।
- लूंगी बाई बंजारा, निवासी आंव का खेड़ा 

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दुगारी पीएचसी पर लंबे समय से अव्यवस्थाओं का आलम है। संबंधित विभाग द्वारा अभी तक जांच मशीन सहित भवन की जर्जर हालत को लेकर गंभीरता नहीं बरतना इस लापरवाही को केंद्र पर उचित उपचार की मंशा लेकर आनेवाले भुगत रहे है। जिम्मेदार केंद्र की जल्द सुध लेकर राहत पहुंचाए।
- सुवालाल सैनी, स्थानीय निवासी

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मेरा गांव सोरण है, जो पांच किमी दूरी पर पड़ता है। आधुनिक युग में भी पैदल चलकर आई हूँ, यहां पर पहुंची तो अस्पताल में छिपने के लिए जगह नही है। क्या करें मजबूर है। यहां जब तक इलाज के लिए मौजूद है, तब तक टपकती छत में भीगना पड़ रहा है। 
- मीरा बाई बैरवा, निवासी सोरण 

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दुगारी केंद्र की छत टपक रही है। प्रसव कक्ष भी पूरी तरह से छत से पानी टपक रहा है। यहां पर आंगतुक प्रसव वाली महिलाओं को रहने में भारी परेशानी होती है। 
- सरला देवी कहार, निवासी दुगारी 

दुगारी अस्पताल जिम्मेदार के अभाव में उपेक्षा का शिकार हो रहा है। केंद्र पर पूरी छतें टपक रही है, कक्षों का प्लास्तर उखड़कर सरिए नजर आ रहे है। दीवारो में सिलन आ रही है। यहां पर आगंतुक रोगियों सहित तीमारदारों को यह छत देखकर घबराहट होती है। कही छत नही गिर जाए यहां की नि:शुल्क जांच मशीने लंबे समय से बंद है। समस्या का समाधान होना चाहिए। 
- मुकुट बिहारी दाधीच, स्थानीय युवा

दुगारी अस्पताल में चिकित्सक का लंबे समय से पदरिक्त चल रहा था। जो विभाग ने मुझे डेपोटेशन पर हफ्ते में तीन रोज यहां पर लगा रखा है। इस समस्या को लेकर पहले के चिकित्सक ने बताया नहीं है। यह मेरे को मालूम नहीं है, मैं यहां आया, तत्कालीन समय से सीबीसी मशीन बंद है। 
- डॉ. लालचंद बागड़ी, चिकित्सक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र दुगारी

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