पापड़ी माइनर में भरी मिट्टी से अटका जल प्रवाह टेल क्षेत्र के किसानों में बढ़ी चिंता
बिना मरम्मत नहर चालू
नहरों में जल प्रवाह शुरू, खेतों तक पानी ले जाने वाली नालियों का निर्माण अधूरा ।
देईखेड़ा। क्षेत्र में चंबल नहरों का जल प्रवाह शुरू कर दिया गया है, लेकिन प्रशासन ने नहरी तंत्र की मरम्मत और सफाई की स्थिति की अनदेखी करते हुए जल्दबाजी में जल प्रवाह आरंभ कर दिया। पाटन ब्रांच की पापड़ी माइनर में स्थिति सबसे अधिक चिंताजनक है, जहां वर्षों से जमी मिट्टी और अवैध रास्ते के कारण पानी आगे नहीं बढ़ पा रहा है। जानकारी के अनुसार पापड़ी रेल्वे फाटक के समीप मेगा हाइवे किनारे स्थित इस माइनर में किसानों द्वारा खेतों में हंकाई और जुताई के लिए ट्रैक्टर ले जाने से बीचों-बीच रास्ता बन गया। लगातार आवाजाही से माइनर में मिट्टी भर गई और जल मार्ग अवरुद्ध हो गया। इसके बावजूद विभागीय अधिकारियों ने बिना आवश्यक मरम्मत कराए ही जल प्रवाह शुरू कर दिया, जिससे पानी शुरूआती हिस्से में ही रुक गया।
किसान रामावतार मीणा ने बताया कि जल प्रवाह शुरू होने से पहले कई बार अधिकारियों को समस्या से अवगत कराया गया था। अधिकारी मौके पर पहुंचे भी, लेकिन नहर की सफाई और मरम्मत का कार्य नहीं करवाया गया। किसानों का कहना है कि इस तरह की लापरवाही से टेल क्षेत्र तक पानी पहुंचना मुश्किल हो जाएगा और आगामी रबी फसल के लिए सिंचाई संकट गहरा सकता है। किसानों ने मांग की है कि पापड़ी माइनर की तुरंत सफाई कर जल प्रवाह को सुचारु बनाया जाए, ताकि खेतों तक पानी का बराबर वितरण सुनिश्चित हो सके।
किसानों ने नहर की स्थिति से अवगत करवाया है विभाग के उच्चाधिकारियों को स्थिति से अवगत करवा कर तत्काल मरम्मत के लिये कहा है
-के सी वर्मा जिला परिषद सदस्य
जाड़ला माइनर के धोरों पर नालियां नहीं, सरसों-गेहूं के पलेवे पर संकट
पाटन ब्रांच की जाड़ला माइनर में चंबल नहर प्रणाली का जल प्रवाह शुरू हो गया है, लेकिन नहर पक्की होने के बावजूद धोरों पर नालियां नहीं रखने से किसानों की चिंता और बढ़ गई है। वर्षों पुरानी मांग के बाद माइनर का पक्का निर्माण तो पूरा कर दिया गया, किन्तु खेतों तक पानी ले जाने वाली नालियों का निर्माण अधूरा ही छोड़ दिया गया। ऐसे में सरसों और गेहूं के पलेवे का समय करीब आते ही किसानों के सामने सिंचाई का संकट खड़ा हो गया है। जिला परिषद सदस्य के.सी. वर्मा, माइनर अध्यक्ष कमला शंकर मीणा, किसान रामावतार मीणा, टिन्नू मीणा और कमलेश मीणा सहित अन्य किसानों ने बताया कि धान की फसल के दौरान भी नालियां नहीं होने से उन्हें डीजल पम्पों से पलेवा करना पड़ा था, जिससे हजारों रुपये का अतिरिक्त खर्च वहन करना पड़ा। अब एक बार फिर उसी स्थिति की पुनरावृत्ति हो रही है।
किसानों का कहना है कि उन्होंने कई बार विभागीय अधिकारियों को समस्या से अवगत कराया, लेकिन हर बार केवल आश्वासन मिला। ठेकेदार की मनमर्जी और कार्य में लापरवाही के कारण नालियों का निर्माण आज भी अधूरा पड़ा है, जिससे आगामी फसल सीजन पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
किसान का पक्ष
नालियां नहीं होने से खेतों तक पानी पहुंचाना मुश्किल हो रहा है। नहर निर्माण के साथ ही नालियां रखनी चाहिए थीं, लेकिन लगातार अवगत कराने के बावजूद अब तक कार्य नहीं हुआ है, जबकि फसलों में पलेवे का समय आ चुका है।
- रामावतार मीणा, किसान।
अधिकारी का पक्ष
टेल क्षेत्र में नहर का पक्का कार्य पूरा कर दिया गया है। नालियां रखने में ठेकेदार द्वारा देरी की गई है। उसे तीन दिन में आवश्यक स्थानों पर नालियां रखने के निर्देश दिए गए हैं। यदि कार्य समय पर नहीं हुआ तो ठेकेदार के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
- विष्णु सैनी, कनिष्ठ अभियंता, सीएडी विभाग।

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