झालाना प्रदेश का पहला जंगल, जहां लेपर्ड को दिए नाम

झालाना प्रदेश का पहला जंगल, जहां लेपर्ड को दिए नाम

सबसे पहले मादा लेपर्ड को नाम दिया था आरती

जयपुर। राजधानी जयपुर में 19.78 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला झालाना जंगल लेपर्ड साइटिंग के लिए विख्यात है। घनी आबादी क्षेत्र के समीप बसे इस जंगल में करीब 44 लेपर्ड रहते हैं। इसकी बदौलत जंगल ने कम समय में प्रदेश ही नहीं बल्कि देशभर में लेपर्ड साइटिंग के लिए पहचान बना ली है। खासबात ये है कि यहां रहने वाले लेपर्ड्स को नथवाली, मिसेज खान, फ्लोरा, जलेबी, एलके फिमेल सहित अन्य नामों से पहचाना जाता है। ये नाम वन विभाग ने नहीं बल्कि वन्यजीव प्रेमियों ने उन्हें दिए हैं। वन्यजीव प्रेमियों का कहना है कि लेपर्ड्स को नाम उनके शरीर के निशान, आवास और खूबसूरती देखकर दिए जाते हैं। इससे पहले प्रदेश के टाइगर रिजर्व और बायोलॉजिकल पार्कों में टाइगर, लॉयन, भालू और लेपर्ड्स को नाम दिए जाते हैं, लेकिन अब लेपर्ड रिजर्व में भी लेपर्ड्स को नामों से पुकारा जाता है। प्रदेश में ऐसा कोई दूसरा जंगल नहीं है, जहां लेपर्ड्स के नाम रखे गए हैं।  

मंदिर में आरती के समय रहता था मूवमेंट, सबसे पहला नाम बिग फुट

झालाना लेपर्ड रिजर्व में सबसे पहले मादा लेपर्ड को उसकी आइडेंटिफिकेशन के जरिए नाम दिया था। वन्यजीव प्रेमी धीरज कपूर ने बताया कि एक मादा लेपर्ड का मूवमेंट रिजर्व के आसपास बने मंदिर में आरती के समय होता था। ऐसे में मादा लेपर्ड का नाम आरती रखा। वहीं मेल लेपर्ड में सबसे पहला नाम बिग फुट रखा गया था। मादा लेपर्ड आरती की मृत्यु हो गई तो वहीं बिग फुट अब दिखाई नहीं देता। इसके अतिरिक्त जिन मेल और फिमेल लेपर्ड्स को नाम दिए गए हैं, उनकी फोटो नाम सहित लेपर्ड रिजर्व के इंटरप्रिटेशन सेंटर में देखने को मिलती है।


ऐसे दिए जाते हैं नाम

    नथवाली : एम मादा लेपर्ड के नाम पर नथनुमा निशान होने से उसे वन्यजीव प्रेमियों ने नथवाली नाम दिया।
    एलके फिमेल : जंगल में बने लाला कुंड पर रहने वाले एक मादा लेपर्ड को एलके फिमेल नाम
दिया गया।
    मिसेज खान : ये लेपर्ड जंगल में खान क्षेत्र में रहती है, ऐसे में उसे मिसेज खान नाम दिया गया।
    फ्लोरा : इस मादा लेपर्ड के सिर पर फूल जैसा निशान है, ऐसे में इसे फ्लोरा नाम दिया गया।
    जलेबी : सिर पर जलेबी जैसा निशान था।

13 शावक रिकॉर्डेड
    19.78 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला है झालाना वन क्षेत्र।
    यहां 44 लेपर्ड्स की संख्या है।
    रोजाना 100 से अधिक पर्यटक आते हैं सफारी करने
    शनिवार और रविवार को बुकिंग मिलना मुश्किल
    झालाना में 17 एडल्ट लेपर्ड हैं, इनमें 12 फिमेल और 5 मेल लेपर्ड हैं।
    14 सब एडल्ट हैं, इनमें 6 फिमेल और 8  मेल लेपर्ड, जबकि 13 शावक रिकॉर्डेड हैं।

झालाना वन क्षेत्र में लेपर्ड्स को उनके अनुकूल वातावरण मिल रहा है। वन्यजीव प्रेमियों ने लेपर्ड्स को उनके शारीरिक पहचान के आधार पर दिए हैं। यहां लेपर्ड्स की संख्या करीब 44 है। -जनेश्वर चौधरी, रेंजर

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