प्रदेशवासियों के साथ नहीं किया जा सकता पशुवत व्यवहार : हाईकोर्ट

हीटवेव को लेकर प्रसंज्ञान

प्रदेशवासियों के साथ नहीं किया जा सकता पशुवत व्यवहार : हाईकोर्ट

गृह मंत्रालय, भारतीय मौसम विभाग, भारतीय आपदा प्रबंधन और राज्य के सीएस, एसीएस गृह व एसीएस वित्त से मांगा जवाब 

जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश में हीट वेव और जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेते हुए केन्द्र सरकार के गृह मंत्रालय, भारतीय मौसम विभाग, भारतीय आपदा प्रबंधन और राज्य के सीएस, एसीएस गृह व एसीएस वित्त सहित अन्य से जवाब देने के लिए कहा है। अदालत ने सीएस को निर्देश दिए हैं कि वे हीट एक्शन प्लान व स्वास्थ्य प्रणालियों की तैयारी को मजबूत करने के लिए बनाई गई विभिन्न योजनाओं की प्रभावी क्रियान्विति के लिए सभी विभागों को साथ लेकर एक समन्वय समिति बनाए। जस्टिस अनूप कुमार ढंड ने यह आदेश स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेते हुए दिए। अदालत ने कहा कि समान मामले में गत वर्ष मई माह में स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लिया गया और सरकार को निर्देश जारी किए, लेकिन करीब दस माह बीतने के बाद भी राज्य सरकार की ओर से कोई एक्शन प्लान नहीं बनाया गया। यहां तक की सड़कों पर पानी की छिड़काव करने के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं की गई और ना ही सड़कों पर छाया स्थल विकसित किए गए।

इसके अलावा लू से बचाव के लिए ओआरएस पैकेट, आम पन्ना आदि का वितरण भी नहीं किया गया। सरकार की ओर से अभी तक हीट एक्शन प्लान तक नहीं बनाया गया। अदालत ने कहा कि प्रदेशवासियों के साथ पशुवत व्यवहार नहीं किया जा सकता और अदालत आंख बंद कर नहीं रह सकती है। अदालत ने कहा कि राजस्थान का तापमान दिन-प्रतिदिन गर्म होता जा रहा है। आगामी ग्रीष्मकाल जन स्वास्थ्य, लू और हीट स्ट्रोक के मामले एक बड़ी चुनौती है। ऐसे में राज्य सरकार को हीट वेव और हीट स्ट्रोक से मुक्त रखने के लिए सभी स्तरों पर उचित कदम उठाए जाने की जरूरत है। अदालत ने केन्द्र सरकार के एएसजी आरडी रस्तोगी, राज्य के एएजी और अन्य वकीलों को कहा है कि वे इस मामले में अदालत को सहयोग करे। 

क्यों ना सड़क के दोनों और हरित स्थान बनाए जाएं : अदालत ने केन्द्र व राज्य सरकार से कहा है कि क्यों ना राज्य के प्रत्येक जिले में रोड के दोनों ओर वृक्षारोपण तथा जनहित में हरित सार्वजनिक स्थान बनाए जाए। क्यों ना हीट एवं कोल्ड वेव से होने वाली मृत्यु की रोकथाम विधेयक, 2015 को अधिनियम के रूप में क्रियान्वित करने व उसे तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए। अदालत ने यह भी पूछा है कि क्यों ना हीटवेव के कारण जान गंवाने वालों के आश्रितों को उचित मुआवजा राशि का भुगतान किया जाए।  अदालत ने केंद्र व राज्य सरकार सहित सभी जिला कलेक्टरों को निर्देश दिया है कि वे आगामी सुनवाई 24 अप्रैल को अंतरिम निर्देशों की पालना के लिए उठाए कदमों की रिपोर्ट अदालत में पेश करें।


 

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