बघेरों की रेडियो कॉलर लगाकर होगी निगरानी : शहर में बढ़ती आवाजाही से वन विभाग सतर्क, प्रयोग के तौर के लिए बेंगलुरु से मंगाए गए हैं कॉलर 

मोबाइल पर आएगा मूवमेंट का मैसेज 

बघेरों की रेडियो कॉलर लगाकर होगी निगरानी : शहर में बढ़ती आवाजाही से वन विभाग सतर्क, प्रयोग के तौर के लिए बेंगलुरु से मंगाए गए हैं कॉलर 

शहर के आबादी क्षेत्रों में बघेरों के बढ़ते प्रवेश को देखते हुए वन विभाग ने सुरक्षा और निगरानी को मजबूत करने के लिए कवायद शुरू कर दी है। इसके तहत विभाग ने पांच विशेष टीमें गठित की हैं, जो रोजाना शाम 7 से सुबह 7 बजे तक संवेदनशील इलाकों में रात्रि गश्त कर रही है। इन टीमों की सहायता के लिए रणथम्भौर से अनुभवी ट्रैकर्स भी बुलाए गए हैं, जो बघेरों की गतिविधियों पर बारीकी से नजर रखने में मदद करेंगे।

जयपुर। शहर के आबादी क्षेत्रों में बघेरों के बढ़ते प्रवेश को देखते हुए वन विभाग ने सुरक्षा और निगरानी को मजबूत करने के लिए कवायद शुरू कर दी है। इसके तहत विभाग ने पांच विशेष टीमें गठित की हैं, जो रोजाना शाम 7 से सुबह 7 बजे तक संवेदनशील इलाकों में रात्रि गश्त कर रही है। इन टीमों की सहायता के लिए रणथम्भौर से अनुभवी ट्रैकर्स भी बुलाए गए हैं, जो बघेरों की गतिविधियों पर बारीकी से नजर रखने में मदद करेंगे। वन विभाग के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार बघेरों की मूवमेंट को समझने और उनकी निगरानी को प्रभावी बनाने के लिए एक योजना तैयार की है। इसके तहत अब बघेरों के रेडियो कॉलर लगाए जाएंगे।

सूत्रों के अनुसार इसके लिए बेंगलुरु से दो कॉलर प्रायोगिक तौर पर मंगवाए गए हैं। यह संभवत: पहला मौका होगा जब बघेरों को रेडियो कॉलर लगाकर उनकी गतिविधियों का अध्ययन किया जाएगा। प्रारंभिक चरण में झालाना लेपर्ड रिजर्व क्षेत्र के बघेरों को कॉलर लगाए जाने की संभावना है, जिससे पता चल सके कि वे एक दिन में कितना क्षेत्र कवर करते हैं। साथ ही अगर वह जंगल से बाहर इंसानी बस्ती की ओर मूवमेंट भी करता है तो इसकी भी जानकारी मिलेगी।

मोबाइल पर आएगा मूवमेंट का मैसेज 
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार बघेरे को लगाए जाने वाले रेडियो कॉलर को संबंधित अधिकारी के मोबाइल से कनेक्ट किया जाएगा और एक निश्चित समय पर उसके मूवमेंट के मैसेज आने की व्यवस्था होगी। इससे पता चलता रहेगा कि बघेरा शहर की ओर बढ़ रहा है या जंगल से बाहर निकलकर कितनी दूरी तय कर रहा है। यदि कोई बघेरा बार बार आबादी क्षेत्र की ओर रुख करता है तो उसे पकड़कर दूसरे सुरक्षित वन क्षेत्र में स्थानांतरित किया जा सकता है। बताया गया कि बेंगलुरु से मंगवाए जा रहे इन कॉलरों की कीमत लगभग डेढ़ लाख रुपए है। 

Related Posts

Post Comment

Comment List

Latest News

चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी ने बरकरार रखी ओवरऑल चैंपियनशिप, ओलंपियन तैराक श्रीहरि नटराज बने केआईयूजी के सबसे सफल एथलीट चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी ने बरकरार रखी ओवरऑल चैंपियनशिप, ओलंपियन तैराक श्रीहरि नटराज बने केआईयूजी के सबसे सफल एथलीट
5वें खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी ने 67 पदकों (42 स्वर्ण) के साथ लगातार दूसरी बार ओवरऑल खिताब...
महिला वेश में पहाड़ में छुपा था आरोपी : गैराज में खड़ी 18 लग्जरी कारों में लगाई थी आग, पुलिस ने दबोचा 
आज का भविष्यफल     
युवक की संदिग्ध मौत, शरीर पर मिले चोट के निशान : पुलिस ने अंतिम संस्कार की प्रक्रिया रुकवाई, कब्जे में लिया शव
मलेरिया से लड़ने के नए तरीकों का इस्तेमाल करके दस लाख लोगों की जानें बचाई, जानें पूरा मामला  
दूल्हा-दुल्हन अपने ही रिसेप्शन में ऑनलाइन हुए शामिल, इंडिगो संकट का असर
जोबनेर बाग में 30 लाख की लागत से बनेगी सीसी रोड, विधायक ने किया शुभारंभ