त्र, चै, दुम, सबधर जैसे शब्दों से महावत और हाथियों के बीच बनी बॉण्डिंग
चै - इधर आ, मेलअगत- चलना, त्र- लेट जाओ
हाथी गांव या आमेर में हाथी महावत सवारी के दौरान अक्सर ऐसे शब्दों का प्रयोग करते हैं। जिन्हें सुनकर कुछ अजीब लगता है, लेकिन कम ही लोगों को पता है कि वे सवारी के दौरान हाथी कहां मुड़े, कैसे चले इन सब के दिशा-निर्देश देते हैं।
जयपुर। गुलाबी शहर घूमने आने वाले पर्यटक यहां की ऐतिहासिक इमारतों के इतिहास से रूबरू होते हैं। वहीं आमेर महल और हाथी गांव में संचालित हाथी सवारी का भी लुत्फ उठाते हैं। इस बीच हाथी महावत और हाथियों के बीच अच्छी बॉण्डिंग देखने को मिलती है। महावतों के कहने पर हाथी तुरंत रेस्पॉन्स देते हैं। जिन शब्दों का अर्थ आम आदमी नहीं समझ सकता। उन शब्दों को सुनकर चन्दा, पुष्पा सहित हाथी गांव में रहवास कर रही हथिनी समझकर तुरंत रेस्पॉन्स देती हैं। एक हाथी का वजन साढ़े तीन टन से अधिक होता है, लेकिन महावत के एक बार कहने पर उनके पीछे-पीछे चलना शुरू कर देता है। आम लोगों को आज तक पता नहीं होगा कि वे शब्द या भाषा क्या है, जिन्हें सुनकर और समझकर हाथी तुरंत प्रतिक्रिया देते हैं। दैनिक नवज्योति पाठकों को कुछ ऐसी ही जानकारी दे रहा है।
इन शब्दों को सुनकर तुरंत देते हैं प्रतिक्रिया
इस भाषा को समझते हैं...
हाथी गांव या आमेर में हाथी महावत सवारी के दौरान अक्सर ऐसे शब्दों का प्रयोग करते हैं। जिन्हें सुनकर कुछ अजीब लगता है, लेकिन कम ही लोगों को पता है कि वे सवारी के दौरान हाथी कहां मुड़े, कैसे चले इन सब के दिशा-निर्देश देते हैं। कुछ ऐसे ही शब्द हैं..... चै - इधर आ, मेलअगत- चलना, त्र- लेट जाओ, घूम- चारों ओर घूमों, धत- जहां हो वहीं रुक जाओ, उठाबिले- पैर उठाओ, दुम- पूंछ हिलाना रोकने के निर्देश, धर- खाना खाओ, सबधर- पूरा खाना खाओ, बैठ- बैठ जाओ, अगत- आगे चलो।
तीन माह का लगता है समय
हाथी मालिक बल्लू खान का कहना है कि इस भाषा और हाथी के व्यवहार को समझने, उसका विश्वास जीतने में महावत को करीब 3 से 4 माह का समय लगता है। इसके लिए बाकायदा इनकी ट्रेनिंग होती है फिर महावत और हाथी के बीच बॉण्डिंग बढ़ती जाती है।

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