हर अस्पताल में बनेगा दिव्यांग सर्टिफिकेट ऑनलाइन कार्ड डिलिवरी की होगी सुविधा, प्रदेश में 15 लाख से अधिक हैं दिव्यांगजन, अधिनियम के प्रावधान को लागू किया

अस्पतालों में बोर्ड गठन जरूरी होगा, स्वालंबन पोर्टल पर अस्पताल ही करेंगे अपलोड

हर अस्पताल में बनेगा दिव्यांग सर्टिफिकेट ऑनलाइन कार्ड डिलिवरी की होगी सुविधा, प्रदेश में 15 लाख से अधिक हैं दिव्यांगजन, अधिनियम के प्रावधान को लागू किया

राजस्थान में अब दिव्यांगजनों को यूडीआईडी दिव्यांगता आईडी बनाने के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।

जयपुर। राजस्थान में अब दिव्यांगजनों को यूडीआईडी दिव्यांगता आईडी बनाने के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। प्रदेश के 15 लाख से अधिक दिव्यांगजनों को राहत देते हुए सरकार ने अब हर सरकारी अस्पताल में दिव्यांगता सर्टिफिकेट बनाने का फैसला किया है। 

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम में व्याप्त प्रावधानों के तहत भेजे प्रस्ताव पर चिकित्सा एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने इसे मंजूरी दे दी है। अस्पतालों को सर्टिफिकेट बनाने के लिए तीन सदस्यीय बोर्ड बनाना अनिवार्य होगा। बोर्ड की अप्रूवल के बाद सर्टिफिकेट को स्वालंबन पोर्टल पर दिव्यांग के यूडीआईडी कॉर्ड बनाने की प्रक्रिया को अपलोड भी करना होगा। इसके बाद दिव्यांग ऑनलाइन इसकी डिजिटल डिलेवरी ले सकेगा।

दिव्यांगजनों को बोर्ड रूम अलग बनेगा :

सर्टिफिकेट बनाने के लिए दिव्यांगजन की सुविधा अनुसार अलग से बोर्ड रूम बनेगा, जिसमें गठित बोर्ड उनकी दिव्यांगता का मूल्यांकन कर सर्टिफिकेट जारी करने, स्वालंबन पोर्टल पर अपलोड करेगा। एक नोडल अधिकारी भी यहां होगा, जो इससे संबंधित सभी प्रशासनिक कार्य देखेगा, रिकॉर्ड का संधारण भी करेगा।

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दिव्यांगजनों की सुविधा को यह प्रावधान भी हुए :

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अस्पताल में एक्सपर्ट नहीं तो रैफरल करेंगे
यदि किसी अस्पताल में दिव्यांगजन की बीमारी अनुरूप बोर्ड को एक्सपर्ट डॉक्टर नहीं है तो उन्हें संबंधित अस्पताल उच्च अस्पताल में रैफरल करेगा। रैफरल अस्पताल जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, कोटा, अजमेर, उदयपुर, बाडमेर, भरतपुर, अलवर, चित्तौडगढ़, झुंझुनूं, करौली, बांसवाड़ा में चिन्हित किए गए हैं। जिनमें अधिकतर मेडिकल कॉलेज अस्पताल हैं।

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अपील एथॉरिटी भी बनाई
दिव्यांगजन अगर सर्टिफिकेट में दिव्यांगता प्रतिशत मूल्यांकन से सहमत नहीं हों तो वे स्वास्थ्य विभाग के निदेशक आरसीएच के यहां अपील कर सुधार की गुहार भी लगा फैसले में संशोधन करा सकेगा।

न्यूरोलॉजी के डॉक्टर की अनिवार्यता समाप्त
अस्पताल में अगर कोई न्यूरोलॉजी से जुड़ी बीमारी का दिव्यांगजन आएगा और यहां इसका विशेषज्ञ नहीं होगा तो मेडिसिन रोग विशेषज्ञ सर्टिफिकेट जारी करने को अधिकृत्त होंगे। 

सैनिकों के परिवार को खास सुविधा
जयपुर और जोधपुर के सेना के अस्पतालों में ही सैनिकों के परिवार को दिव्यांगजन सर्टिफिकेट और यूडीआईडी कॉर्ड बना सकेंगे। खास बीमारी के एक्सपर्ट यहां नहीं तो पास के अस्पताल में वे रैफर कर सकेंगे। 

दिव्यांगता की श्रेणी में यह लोग हैं शामिल :

21 शारारिक समस्याओं को दिव्यांगता की श्रेणी में रखा गया है, इनमें अंधता, निम्न दृष्टि, कुष्ठ रोग, बधिर, लोको-मोटर यानी पैर में समस्या, बौनापन, बौद्धिक दिव्यांगता, मानसिक रूग्णता, आॅटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर, सर्रिबल्स पल्सी, मस्कुलर डिस्ट्रोफी, क्रोनिक न्यूरोलॉजिकल्स कंडीशन, स्पेसिफिक लर्निंग डिसएबिलिटी, मल्टीपल स्कलेरोसीस, स्पीच एंड लंग्वेज डिसएबिलिटी, थैलेसीमिया, हैमोफिलिया, सिक्कल सेल डिजीज, बहु-दिव्यांगता, एसिड अटैक पीड़ित, पार्किंसस रोग।

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