जलदाय का पेयजल बिलिंग सिस्टम बेपटरी : पिछले साल का नहीं वसूल सके 1200 करोड़
बिल वितरण में देरी के कारण
बिल वितरण में देरी, नई फर्म का चयन नहीं और संग्रहण व्यवस्था की कमजोरी का राजस्व प्राप्ति पर गंभीर असर
जयपुर। गांव-शहरों में पीने का पानी मुहैया करवाने के लिए जलदाय विभाग की ओर से सिस्टम तैयार किया गया है, जिसके पेटे उपभोक्ताओं से राजस्व वसूली होती है, लेकिन पिछले कुछ सालों से राजस्व वसूली सिस्टम बेपटरी है, जिसके कारण तय सालाना लक्ष्य को हासिल करना संभव नहीं हो पा रहा हैं। इसका मुख्य कारण बिल वितरण में देरी, नए संवेदक का चयन नहीं और संग्रहण व्यवस्था की कमजोरी के चलते राजस्व प्राप्ति पर गंभीर असर पड़ा है। राज्य की वित्तीय व्यवस्था में पेयजल बिलिंग प्रणाली की प्रभावशीलता अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि समय रहते सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए, तो न केवल राजस्व घाटा बढ़ेगा, बल्कि उपभोक्ता सेवाओं की गुणवत्ता भी प्रभावित होगी।
मुख्य तथ्य
2024-25 में केवल 64.33 प्रतिशत राजस्व प्राप्ति हुई, जबकि लक्ष्य 861.37 करोड़ रखा गया था।
एक अप्रैल 2024 को कुल बकाया 1455.24 करोड़ था, जिसमें से मार्च 2025 तक 171.99 करोड़ की ही वसूली हो सकी।
वर्ष 2025-26 के लिए 937.81 करोड़ का लक्ष्य निर्धारित है, जबकि जून 2025 तक केवल 15.35 प्रतिशत अर्थात 143.93 करोड़ की ही प्राप्ति हो सकी है।
बिल वितरण में देरी के कारण
बांसवाड़ा शहर में पिछले एक वर्ष से किसी भी ठेकेदार की ओर से सेवा नहीं दी जा रही, जिससे बिलिंग प्रक्रिया ठप है। भीनमाल में संविदा समयावधि पूर्ण हो चुकी, लेकिन दो माह में दो बार निविदाएं आमंत्रित होने के बावजूद किसी ठेकेदार की ओर से कार्य नहीं शुरू किया गया।
निष्कर्ष एवं सुझाव
बकाया वसूली के लिए विशेष अभियान चलाए जाएं, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां संग्रहण अत्यधिक कम है।
सर्वे एजेंसियों के अनुबंध समय पर नवीनीकृत किए जाएं ताकि बिल वितरण में बाधा न आए।
जहां बिलिंग ठप है, वहां अंतरिम समाधान के रूप में मैन्युअल बिल वितरण की योजना तैयार की जाए।
राजस्व संग्रहण का रियल टाइम डैशबोर्ड तैयार किया जाए, जिससे उच्चस्तरीय मॉनिटरिंग संभव हो।
अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाए, जिन क्षेत्रों में संग्रहण की दर अत्यंत निम्न है।

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