राजस्थान के निर्यात में भारी गिरावट : पिछले एक साल में 30% की कमी, देश में हिस्सेदारी भी घटी
लॉजिस्टिक्स की ऊंची लागत के कारण निर्यात महंगा हो गया
राजस्थान के निर्यात में पिछले एक साल में 30% की चौंकाने वाली गिरावट दर्ज की गई है
जयपुर। राजस्थान के निर्यात में पिछले एक साल में 30% की चौंकाने वाली गिरावट दर्ज की गई है। यह गिरावट राज्य के पूर्व अध्यक्ष और राजस्थान निर्यात संवर्धन परिषद (REPC) के प्रमुख रहे राजीव अरोड़ा के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने इसे केवल एक आंकड़ा नहीं, बल्कि राज्य की औद्योगिक और आर्थिक नीतियों की विफलता का प्रतीक बताया है।
निर्यात में 30% की कमी, देश में हिस्सेदारी भी घटी
आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2023-24 में राज्य का निर्यात ₹83,704 करोड़ था, जो 2024-25 में घटकर मात्र ₹59,511 करोड़ रह गया। इस भारी गिरावट ने देश के कुल निर्यात में राजस्थान की हिस्सेदारी को भी 2.4% से घटाकर 1.8% कर दिया है। अरोड़ा ने याद दिलाया कि जब उन्होंने REPC की जिम्मेदारी संभाली थी, तब राज्य का निर्यात लगातार दो वर्षों तक रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा था। उन्होंने कहा कि "जब प्रदेश से 70 हजार करोड़ रुपये का निर्यात हुआ था, तब हमने अगले दो वर्षों में इसे एक लाख करोड़ रुपए तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा था।" लेकिन, वर्तमान स्थिति इसके ठीक विपरीत है।
प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों पर असर
राजीव अरोड़ा ने बताया कि यह गिरावट इंजीनियरिंग गुड्स, रेडीमेड गारमेंट्स, यार्न और केमिकल्स जैसे प्रमुख निर्यात क्षेत्रों को बुरी तरह प्रभावित कर रही है। उन्होंने कहा कि औद्योगिक हब जैसे भिवाड़ी और नीमराना, जो राज्य के प्रमुख निर्यात केंद्र हैं, वहां की स्थिति भी खराब है। उन्होंने कहा कि नई फैक्ट्रियां नहीं लग पा रही हैं और लॉजिस्टिक्स की ऊंची लागत के कारण निर्यात महंगा हो गया है, जिससे प्रतिस्पर्धी बाज़ार में राज्य पिछड़ रहा है।
गुजरात और महाराष्ट्र से तुलना
अरोड़ा ने राजस्थान की तुलना गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे राज्यों से करते हुए कहा कि ये राज्य अपने मजबूत औद्योगिक आधार और प्रगतिशील नीतियों के कारण वैश्विक बाज़ार में अपनी जगह बनाए हुए हैं। जबकि, राजस्थान में प्राकृतिक संसाधनों और पारंपरिक उद्योगों की अपार संभावनाएं होने के बावजूद, नीतिगत ठहराव और उदासीनता के कारण राज्य पिछड़ रहा है।
समाधान की आवश्यकता
अरोड़ा ने इस स्थिति से निपटने के लिए एक गंभीर मंथन और ठोस कार्ययोजना की मांग की। उन्होंने कहा कि सरकार को उद्योगपतियों और निर्यातकों की वास्तविक समस्याओं को समझना होगा, बुनियादी ढांचे में सुधार करना होगा और समय पर प्रोत्साहन देना होगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि इन कदमों से न केवल राजस्थान का निर्यात पटरी पर आएगा, बल्कि यह देश के अग्रणी राज्यों की तरह रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकता है। उन्होंने अपने कार्यकाल का उदाहरण देते हुए कहा कि पारदर्शिता, उद्यमियों की समस्याओं को सुनना और ईमानदार प्रयासों से ही निर्यात और आर्थिक विकास को गति दी जा सकती है।

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