Hight court says : पेड़ लगाना पक्षकारों की भगवान और प्रकृति के प्रति आस्था को बढ़ाएगा
मंदिर परिसर में 25-25 पेड़ लगाकर उनकी देखभाल करें
निचली अदालत में चल रहे केस का निस्तारण होने तक हर साल जुलाई माह के प्रथम सप्ताह में इन पेड़ों की फोटोग्राफ अदालत में पेश करने को कहा है।
जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने शहर की म्यूजियम रोड पर स्थित मंदिर में मूर्तियों और कृष्णानंदजी की तस्वीर पर चंदन लगाने से जुडे़ मामले में दोनों पक्षकारों को निर्देश दिए हैं कि वे एक माह में मंदिर परिसर में 25-25 पेड़ लगाकर उनकी देखभाल करें। इसके साथ ही अदालत ने निचली अदालत में चल रहे केस का निस्तारण होने तक हर साल जुलाई माह के प्रथम सप्ताह में इन पेड़ों की फोटोग्राफ अदालत में पेश करने को कहा है।
जस्टिस अनूप ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश भानू प्रकाश शर्मा व अन्य की ओर से दायर याचिका का निस्तारण करते हुए दिए। अदालत ने कहा कि पेड़ लगाना पक्षकारों की भगवान और प्रकृति के प्रति आस्था को बढ़ाएगा।
प्रतिमा पर मिलावटी दूध, दही, कुमकुम या गुलाल चढ़ाने की अनुमति भी नहीं दी जा सकती
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि यह हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह हमारी संस्कृति और विरासत की रक्षा करें। इसके अलावा किसी को मूर्ति या प्रतिमा को नुकसान पहुंचाने का अधिकार नहीं है, लेकिन किसी को मंदिर में पूजा-अर्चना करने से रोकने का भी अधिकार नहीं है। अदालत ने कहा कि प्रतिमा पर मिलावटी दूध, दही, कुमकुम या गुलाल चढ़ाने की अनुमति भी नहीं दी जा सकती है। चंदन की आड में किसी को पेंट करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। वहीं व्यक्ति की धार्मिक भावनाएं भी आहत नहीं की जा सकती।
याचिकाकर्ता ने कहा: सेवा-पूजा करने से रोका जा रहा
याचिका में कहा गया कि वह म्यूजियम रोड स्थित शिव मंदिर में स्वामी कृष्णानंदजी की फोटो पर करीब तीन दशक से चंदन लगाते हैं और उस पर नाम लिखते हैं, लेकिन अब उसकी धार्मिक भावनाएं आहत कर ऐसा करने से रोका जा रहा है। निचली अदालत के आदेश की आड में उन्हें सेवा-पूजा करने से रोका जा रहा है। इसलिए निचली अदालत के आदेश को रद्द किया जाए।
मंदिर की तरफ से कहा गया: प्रतिमा को नुकसान पहुंचा रहे
विरोध में मंदिर की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता को पूजा करने से नहीं रोका जा रहा है, लेकिन वे धार्मिक भावना की आड में मंदिर की प्रतिमा को नुकसान पहुंचा रहे हैं। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने माना की मंदिर की प्रतिमा को नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता, लेकिन किसी को पूजा करने से भी नहीं रोका जा सकता।

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