2027 में आएगी जयपुर कैंसर वैक्सीन : फिलहाल पांच तरह के कैंसर का इलाज होगा संभव, 27 वर्षों से इस पर हो रहा है काम; वैक्सीन के बारे में वह सब जो आप जानना चाहते हैं
महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज जयपुर में वैक्सीन तैयार करने में जुटे मेडिकल विशेषज्ञ
देश में ही नहीं बल्कि राजस्थान में ही कैंसर मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। पुरुषों में मुंह का कैंसर, फेफड़ों का कैंसर और महिलाओं में ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं
जयपुर। देश में ही नहीं बल्कि राजस्थान में ही कैंसर मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। पुरुषों में मुंह का कैंसर, फेफड़ों का कैंसर और महिलाओं में ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। हर साल दो लाख से ज्यादा मरीज कैंसर के सामने आ रहे हैं। अकेले जयपुर स्थित राजस्थान स्टेट कैंसर सेंटर में बीते साल 75 हजार मरीज रजिस्टर्ड हुए थे। कैंसर विशेषज्ञों की मानें तो राजस्थान में कैंसर मरीजों को तीसरी और चौथी स्टेज में कैंसर का पर चलता है जो लाइलाज होता है। इसलिए मौतों का आंकड़ा यहां 55 प्रतिशत के करीब है लेकिन अब प्रदेश में कैंसर वैक्सीन विकसित की जा रही है जोकि पूरी तरह से स्वेदशी होगी।
ये वैक्सीन महज 10 हजार रुपए के खर्च में कैंसर का इलाज करने में सक्षम होगी। महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज जयपुर के श्रीराम कैंसर सेंटर में इस वैक्सीन के पहले फेज का ट्रायल किया जाएगा और इसके लिए कॉलेज को डेंड्रिटिक सेल वैक्सीन बनाने की अनुमति मिल गई है। इस वैक्सीन से पांच तरह के कैंसर का इलाज संभव होगा। इसके देश की पहली स्वदेशी कैंसर वैक्सीन का दावा किया जा रहा है। इस वैक्सीन पर रिसर्च कर रहे महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी जयपुर के सेंटर फॉर कैंसर इम्यूनोथेरेपी के निदेशक डॉ. अनिल सूरी से दैनिक नवज्योति ने इस संबंध में विशेष बातचीत की।
सवाल: क्या है यह वैक्सीन और किस तरह हो रही है तैयार?
जवाब: 27 साल की रिसर्च के बाद हम इस वैक्सीन की तकनीक तक पहुंचे हैं। यह डेंड्रिटिक सेल (एक तरह की प्रतिरक्षा कोशिकाएं होती हैं) वैक्सीन एक इम्यूनोथेरेपी आधारित कैंसर वैक्सीन है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कैंसर कोशिकाओं को पहचानने और नष्ट करने के लिए प्रशिक्षित करती है। यह वैक्सीन हर मरीज के कैंसर टाइप के हिसाब से तैयार होगी। यह कैंसर के महंगे इलाज का सस्ता विकल्प बन सकेगी।
सवाल: कैसे काम करती है वैक्सीन?
जवाब: इसमें मरीज के शरीर से डेंड्रिटिक कोशिकाएं निकाली जाती हैं। डेंड्रिटिक सेल इम्युनिटी सिस्टम में मौजूद सफेद रक्त कोशिकाओं यानी वाइट ब्लड सेल्स का एक प्रकार होती हैं। ये इम्यून सिस्टम को सक्रिय करने में मदद करती हैं। वैक्सीन बनाने के लिए डेंड्रिटिक सेल मरीज के ब्लड से निकाली जाती हैं। पहले चरण में इन डेंड्रिटिक कोशिकाओं को लैब में कैंसर कोशिकाओं से संपर्क कराकर उन्हें कैंसर की पहचान करना सिखाया जाता है। इन्हें ट्यूमर एंटीजन के साथ ट्रेंड किया जाता है, ताकि ये शरीर में जाकर कैंसर कोशिकाओं को पहचान सकें। इसके बाद ट्रेंड की गई डेंड्रिटिक सेल को शरीर में वापस इंजेक्ट किया जाता है। ये सेल टी-सेल यानी रोग प्रतिरोधक सेल्स को सक्रिय करती हैं जो सीधे कैंसर कोशिकाओं पर हमला करते उन्हें नष्ट कर देती हैं।
सवाल: वैक्सीन अभी किस कौनसी स्टेज पर है?
जवाब: यह वैक्सीन फिलहाल फेज टू में है। पहले चरण में सुरक्षा मानकों की जांच हुई थी, अब इसके प्रभाव की पुष्टि की जा रही है।
सवाल: वैक्सीन बनाने में कितना समय लगा, मरीजों तक वैक्सीन कब पहुंचेगी?
जवाब: इस वैक्सीन की खोज 1998 में की गई थी और बीते 27 वर्षों से इस पर हम काम कर रहे हैं। सभी शोध पेटेंट हमारे पास हैं। वर्ष 2027 तक यह वैक्सीन मार्केट में आ सकती है।
सवाल: वैक्सीन कैंसर का इलाज करेगी या कैंसर बचाव भी करेगी?
जवाब: यह थेराप्यूटिक वैक्सीन है जो उन मरीजों के लिए बनाई गई है, जिनके कैंसर का पारंपरिक इलाज पूरा हो चुका है। यानी यह वैक्सीन उन लोगों के लिए कारगर है जिनकी कीमोथेरेपी, रेडियोग्राफ, टू लाइन आॅफ ट्रीटमेंट का कोर्स पूरा हो चुका है और अब कोई उम्मीद नहीं बची है।
सवाल: इस वैक्सीन के कोई साइड इफेक्ट्स भी हैं?
जवाब: यह एक प्रकार की कैंसर इम्यूनोथेरेपी है, जिसे मरीज की ही कैंसर कोशिकाओं और इम्यून सिस्टम से तैयार किया जाता है। सबसे अच्छी बात यह है कि इसका कीमोथैरेपी और रेडिएशन या अन्य कैंसर ट्रीटमेंट्स की तरह कोई साइड इफेक्ट्स नहीं है। इसे सीधे त्वचा में इंजेक्ट कर ट्रेंड सेल्स को शरीर में पहुंचाया जाएगा जहां ये शरीर में मौजूद कैंसर सेल्स को नष्ट कर देंगी।
सवाल: वैक्सीन लगने के बाद कैंसर दुबारा होने के चांस होंगे?
जवाब: वैक्सीन लगने के बाद इंसानी शरीर ट्यूमर सेल के पहचानने लगेगा, इससे कैंसर दोबारा लौटने का खतरा कम हो जाएगा।
सवाल: वैक्सीन से कितने तरह के कैंसर का इलाज मुमकिन होगा?
जवाब: अभी तक की शोध में पांच तरह के कैंसर पर काम कर लिया है। ये ओरल कैविटी कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, गॉल ब्लैडर कैंसर, ओवेरियन कैंसर पर काम करेगी। यह वैक्सीन सभी सॉलिड ट्यूमर पर असरदार हो सकती है अगर कैंसर सेल्स के प्रोटीन की पहचान संभव हो।
सवाल: डेंड्रिटिक सेल वैक्सीन की सक्सेस रेट कितनी है?
जवाब: यह मरीज की स्थिति पर निर्भर करती है। अब तक के परीक्षणों में 90 प्रतिशत तक सकारात्मक परिणाम मिले हैं।
सवाल: वैक्सीन बनाने का काम कब तक पूरा होने की उम्मीद है?
जवाब: अभी वैक्सीन बनाने की मंजूरी मिली है, जिसका इंसानों पर ट्रायल किया जाएगा। उम्मीद है दो से ढाई साल में ये काम पूरा होगा।
सवाल: क्या यह पूरी तरह स्वदेशी वैक्सीन होगी?
जवाब: हां, यह वैक्सीन मेक इन इंडिया पहल के तहत विकसित की जा रही है। 2020 से महात्मा गांधी मेडिकल यूनिवर्सिटी में इसे तैयार किया जा रहा है।
सवाल: अभी रूस ने भी वैक्सीन बनाने का दावा किया है, ये उससे कितनी अलग है?
जवाब: इस वैक्सीन की पर्सनलाइज्ड अडॉप्टेशन और टारगेट इम्यून रिस्पांस जैसी विशेषताएं इसे अन्य कैंसर वैक्सीन से अलग बनाती हैं। रूस में बनने वाली वैक्सीन एमआरएनए से अलग होने के साथ-साथ काफी किफायती भी है।
सवाल: यह वैक्सीन मरीजों के लिए कितनी किफायती होगी?
जवाब: विदेश में जो कैंसर वैक्सीन 25 से 50 लाख रुपए में लगती है, वही आम राजस्थानी या देश के किसी भी नागरिक के लिए कैंसर के प्रकार के आधार पर कम से कम 10 हजार से 50 हजार के खर्च में तैयार हो सकेगी।
सवाल: मंजूरी मिलने से पहले इस वैक्सीन के आपने ट्रायल किए होंगे, उनमें कितने संतोषजनक नतीजे आए हैं?
जवाब: यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर कैंसर इम्यूनोथेरेपी ने टीका बनाकर वैक्सीन बनाने का पहला चरण पूरा कर लिया है। इसके रिजल्ट अभी तक पब्लिक डोमेन में जारी नहीं किए गए हैं। हालांकि अब तक के सभी चरण सफल रहे हैं। उन्हीं नतीजों को देखते हुए ड्रग कंट्रोलर जनरल आॅफ इंडिया ने एक निजी विश्वविद्यालय को इसे बनाने की मंजूरी दी है।
सवाल: ट्रायल के लिए मरीजों को कैसे तैयार करेंगे?
जवाब: हमारी विशेषकर उन मरीजों से विशेष अपील है जो कि कैंसर की चौथी स्टेज पार चुके हैं और जिन्होंने कीमोथैरेपी, रेडियोथैरेपी, इम्यूनोथैरेपी जैसी सभी थैरेपी ले ली है और कारगर साबित नहीं हुई हैं। ऐसे मरीज ट्रायल में शामिल हों। ट्रायल में किसी प्रकार का कोई साइड इफेक्ट नहीं होगा।
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