ईटीपी एवं जेडएलडी प्लांट से उपचारित जल से अब जलधारा गार्डन होगा हरा-भरा
जयपुर डेयरी का अभिनव जल संरक्षण प्रयास
फौजदार एवं डेयरी के अधिकारी कर्मचारियों ने राज्य सरकार के वंदे गंगा जल संरक्षण जन अभियान के अंतर्गत मियांवारी तकनीक से पौधरोपण एवं तुलसी के पौधे वितरण का कार्यक्रम आयोजित किया गया।
जयपुर। शहर को हराभरा बनाने के लिए जयपुर डेयरी ने जल संरक्षण के क्षेत्र में एक अनुकरणीय पहल करते हुए अब जयपुर विकास प्राधिकरण के जलधारा गार्डन को हराभरा करने के लिए करीब दो लाख लीटर पानी प्रतिदिन उपलब्ध कराया जाएगा। यह जल अत्याधुनिक इफल्यूअंट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) एवं जीरो लिक्विड डिसचार्ज (जेडएलडी) प्रणाली के माध्यम से पूरी तरह उपचारित है। जयपुर डेयरी के प्रबंध संचालक मनीष फौजदार ने बताया कि डेयरी में प्रतिदिन दुग्ध उत्पादन में प्लांटों की साफ सफाई, पनीर बनाने में उपयोग आने वाले पानी सहित अन्य कार्यों के लिए 15 से 19 लाख लीटर पानी प्रतिदिन उपयोग में लिया जाता है। यह जल आवश्यकता मुख्य रूप से बीसलपुर जल योजना तथा जल टैंकरों के माध्यम से पूरी की जाती है। प्रसंस्करण के उपरांत निकलने वाले अपशिष्ट जल को ईटीपी एवं जेडएलडी प्रणाली के माध्यम से पूरी तरह उपचारित कर पर्यावरण के अनुकूल बनाया जाता है।
उन्होंने बताया कि इस उपचारित जल का उपयोग विभिन्न सार्वजनिक स्थलों को हराभरा रखने के लिए किया जा रहा है। वर्तमान में यह जल एमएनआईटी को 2 लाख लीटर तथा जवाहर सर्किल गार्डन को 4.30 लाख लीटर प्रतिदिन उपलब्ध कराया जा रहा है। अब जलधारा गार्डन को भी इस योजना में सम्मिलित किया गया है, जिससे शहरी हरियाली को नया जीवन मिलेगा और जल संसाधनों पर भी दबाव कम होगा।
फौजदार ने बताया कि जयपुर डेयरी राजस्थान की पहली ऐसी डेयरी इकाई है, जिसे भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय की ओर से वर्ष 2024 के नेशनल वाटर अवार्ड में बेस्ट इंडस्ट्री कैटेगरी के लिए भी शॉर्टलिस्ट किया गया है। हालही में मंत्रालय के अधिकारियों ने डेयरी परिसर का दौरा कर जल संरक्षण संबंधी नवाचारों की सराहना की।
उन्होंने बताया कि जयपुर डेयरी का यह सतत प्रयास न केवल उसकी जल खपत और भूजल पर निर्भरता को कम कर रहा है, बल्कि यह प्रदेशभर की अन्य संस्थाओं के लिए भी प्रेरणास्रोत सिद्ध हो रहा है। फौजदार एवं डेयरी के अधिकारी कर्मचारियों ने राज्य सरकार के वंदे गंगा जल संरक्षण जन अभियान के अंतर्गत मियांवारी तकनीक से पौधरोपण एवं तुलसी के पौधे वितरण का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसका उद्देश्य समाज में जल एवं पर्यावरण संरक्षण के प्रति जन जागरूकता को बढ़ाना रहा।

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