भारत को विश्व गुरु बनाना एक व्यक्ति के वश में नहीं, सबको साथ आना होगा: भागवत
आरएसएस के शताब्दी वर्ष पर कार्यक्रम: कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में ‘उद्यमी संवाद: नए क्षितिज की ओर’ पर चर्चा
संघ पूरे समाज को ही संगठित करना चाहता है। पूरा समाज संघ बन जाए यानी प्रमाणिकता से निस्वार्थ बुद्धि से सब लोग देश के लिए जीएं।
जयपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहनराव भागवत ने जयपुर के पांच दिवसीय दौरे के दूसरे दिन दिनभर भारती भवन में संघ नेताओं से संवाद और आगामी गतिविधियों को लेकर चर्चा की। शाम को संघ के शताब्दी वर्ष पर आयोजित कांस्टीट्यूशन क्लब में ‘उद्यमी संवाद: नए क्षितिज की ओर’ में मुख्य वक्ता के रूप में पहुंचे और उद्यमियों से चर्चा की। उन्होंने कहा कि देश की विविधताओं को कैसे संभालना है यह हमें दुनिया को सिखाना है क्योंकि दुनिया के पास ऐसा तंत्र नहीं है जो भारत के पास है। उन्होंने कहा कि संघ को प्रत्यक्ष अनुभव किए बिना संघ के बारे में राय मत बनाइए। संघ से जुड़ने के लिए शाखा में आइए। संघ पूरे समाज को ही संगठित करना चाहता है। पूरा समाज संघ बन जाए यानी प्रमाणिकता से निस्वार्थ बुद्धि से सब लोग देश के लिए जीएं। भावगत ने कहा कि शताब्दी वर्ष के कार्यक्रम कोई सेलिब्रेशन नहीं है बल्कि अपने कार्य की वृद्धि का विचार करने के लिए ये हो रहे हैं। राष्ट को विश्वगुरु बनाना किसी एक व्यक्ति के वश में नहीं है। नेता, नारा, नीति, पार्टी, सरकार, विचार, महापुरुष, अवतार और संघ जैसे संगठन इसमे सहायक हो सकते हैं परन्तु मूल कारण नहीं बन सकते। यह सबका काम है और इसके लिए सबको साथ लेकर चलना है। संघ की स्थापना किसी एक विषय को लेकर नहीं हुई। संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार ने अनुभव किया कि समाज में डेढ हजार साल से जो दुर्गुण आ रहे थे उन्हें दूर करना जरूरी है। उन्हें महसूस हुआ कि संपूर्ण हिन्दू समाज को संगठित किए बिना भारत इस पुरानी बीमारी से मुक्त नहीं होगा। इसलिए उन्होंने संघ की स्थापना की। राजस्थान क्षेत्र संघचालक रमेश चंद्र अग्रवाल ने कार्यक्रम की प्रस्तावना रखी। कार्यक्रम का संचालन डॉ. हेमंत सेठिया ने किया। भागवत शुक्रवार को सुबह धानक्या जाएंगे। इसके बाद मुरलीपुरा में उनका दोपहर भोज का कार्यक्रम है।
संघ किसी को नष्ट करने को नहीं बना
मोहन भागवत ने कहा कि संघ किसी को नष्ट करने के लिए नहीं बना है। भारत वर्ष में हमारी पहचान हिन्दू है। हिन्दू शब्द सबको एक करने वाला है। हमारा राष्ट संस्कृति के आधार पर एक है। संघ व्यक्ति निर्माण का काम करता है। संघ संगठन करता है और स्वयंसेवक तैयार करता है। सारा समाज देश हित में जिए, ये संघ का आगे का काम है। सामाजिक समरसता का वातावरण बने। परिवार के सभी सदस्य सप्ताह में कम से कम एक बार एकत्र हों, अपना भोजन एवं भजन अपनी भाषा और अपनी परंपरा के अनुसार साथ करें। पर्यावरण संरक्षण के कार्यों के लिए भी आगे आएं। स्व का बोध और स्वदेशी का भाव सबके मन में जागृत हो। सहकार, कृषि और उद्योग हमारे विकास के आधार स्तंभ हैं। छोटे और मध्यम उद्योग अर्थव्यवस्था को विकेंद्रित करते है। इनको चलने का वातावरण देना, ये बड़े उद्योगों का काम है।

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