न रुकी, न थकी, 140 साल पुरानी मशीन अब भी ऑन ड्यूटी : अल्बर्ट हॉल में तकनीकी विरासत का अद्भुत नमूना
लंदन में बनी मशीन इतने सालों से बिना रुके कर रही काम
संग्रहालय के अधीक्षक कार्यालय के सामने स्थित इस मशीन को एक बार सर्विसिंग की आवश्यकता पड़ी, लेकिन इसके अलावा यह आज तक बिना किसी खराबी के नियमित रूप से कार्य कर रही है।
जयपुर। तकनीक के इस तेजी से बढ़ते युग में जहां हर प्रक्रिया डिजिटलीकृत हो चुकी है। वहीं राजधानी जयपुर के ऐतिहासिक अल्बर्ट हॉल संग्रहालय में आज भी एक ऐसी मशीन है, जो 140 वर्षो से बिना रुके पर्यटकों की संख्या की सटीक गणना कर रही है। यह मशीन एक तकनीकी धरोहर की तरह आज भी संग्रहालय की पहचान बनी हुई है। यह एनालॉग मशीन संग्रहालय के निर्माण के समय, ब्रिटिश काल में विशेष रूप से लंदन से बनवाकर मंगाई गई थी। इसका उद्देश्य देशी और विदेशी पर्यटकों की संख्या दर्ज करना था। संग्रहालय के अधीक्षक कार्यालय के सामने स्थित इस मशीन को एक बार सर्विसिंग की आवश्यकता पड़ी, लेकिन इसके अलावा यह आज तक बिना किसी खराबी के नियमित रूप से कार्य कर रही है।
आज भी आती है उपयोग में
हालांकि आज के समय में बारकोड स्कैनिंग, क्यूआर कोड और अन्य डिजिटल माध्यमों से पर्यटकों की उपस्थिति दर्ज की जाती है, फिर भी इस ऐतिहासिक मशीन का उपयोग सामान्य भीड़ के समय अब भी किया जाता है। मशीन में पर्यटक संख्या देखने के लिए पीतल से बना ढ़क्कन चाबी से खोला जाता है। यह तरीका आज भी संग्रहालय की परंपरा को जीवित रखे हुए है।
तकनीक और विरासत का अद्भुत संगम
अल्बर्ट हॉल संग्रहालय न सिर्फ अपनी स्थापत्य कला और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह 140 साल पुरानी इस मशीन के कारण तकनीकी विरासत का भी हिस्सा बन गया है। यह मशीन इस बात का उदाहरण है कि पुरानी तकनीकें भी समय की कसौटी पर खरी उतर सकती हैं।
अधीक्षक कार्यालय के सामने की ओर लगी यह मशीन करीब 140 वर्ष पुरानी है। यह आज भी बेहतर तरीके से कार्य कर रही है और पर्यटकों की गिनती में पूरी तरह सक्षम है। यह मशीन लंदन में बनी थी और अपने समय की तकनीक का बेजोड़ उदाहरण है।
-महेन्द्र कुमार निम्हल, अधीक्षक,
अल्बर्ट हॉल संग्रहालय

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