ओबीसी-एससी वर्ग से अध्यक्ष संभव संगठन महामंत्री संघ की पसंद से बनेगा
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष पद पर किसी नए चेहरे को मौका दे सकती है
लोकसभा चुनाव भाजपा ने बिना संगठन महामंत्री के ही लड़ा। विधानसभा चुनावों के बाद 2024 को चन्द्रशेखर को हटाकर उन्हें तेलंगाना की जिम्मेदारी दे दी गई थी।
जयपुर। प्रदेश में विधानसभा और लोकसभा चुनावों में राजस्थान भाजपा ने प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा। वे तीसरी बार चित्तौडगढ़ से सांसद बने हैं। दोनों चुनावों के बाद अब सियासी समीकरणों के मुताबिक भाजपा प्रदेशाध्यक्ष पद पर किसी नए चेहरे को मौका दे सकती है। वहीं संगठन महामंत्री का पांच माह से खाली पड़े पद पर भी संघनिष्ठ चेहरे की जल्द नियुक्ति हो सकती है। प्रदेश में विधानसभा चुनावों के बाद भजनलाल शर्मा को सीएम बनाए जाने के बाद ही सीपी जोशी की जगह किसी नए चेहरे को लाने की चर्चाएं शुरू हुई थी, क्योंकि सीएम और प्रदेशाध्यक्ष दोनों ही ब्राह्मण वर्ग से हो गए थे। लेकिन सिर पर लोकसभा चुनाव होने के कारण जोशी को बदलने का फैसला तब टाल दिया गया था। अब भाजपा प्रदेश की वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों के मुताबिक नये चेहरे को प्रदेशाध्यक्ष बना सकती है। इस पद पर भाजपा ओबीसी या एससी वर्ग के चेहरे को मौका दे सकती है। वहीं प्रदेश संगठन महामंत्री पद की अहमियत भाजपा में अध्यक्ष पद से कमत्तर नहीं है, क्योंकि संगठन और संघ में कोर्डिनेशन सहित पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत करने का काम संगठन महामंत्री के जिम्मे ही होता है। लेकिन लोकसभा चुनाव भाजपा ने बिना संगठन महामंत्री के ही लड़ा। विधानसभा चुनावों के बाद 2024 को चन्द्रशेखर को हटाकर उन्हें तेलंगाना की जिम्मेदारी दे दी गई थी। पांच माह से खाली पड़े इस पद पर भी भाजपा अब संघ की सहमति से किसी संघनिष्ठ को जल्द ला सकती है।
ओबीसी-एससी वर्ग से संभावित चेहरे
पूर्व प्रदेशाध्यक्ष व मंत्री रहे सतीश पूनियां, तिजारा से विधायक बाबा बालकनाथ, राज्यसभा सांसद राजेन्द्र गहलोत, पूर्व मंत्री व वर्तमान प्रदेश उपाध्यक्ष प्रभुलाल सैनी, राज्यसभा सांसद मदन राठौड, एससी वर्ग से पांच बार की विधायक अनिता भदेल, पूर्व सांसद रामकुमार वर्मा, पूर्व सांसद रंजीता कोली का नाम चर्चा में है।
अनुभव को तवज्जों मिली तो इन पर भी दांव
पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़, मोदी-2 सरकार में लोकसभा अध्यक्ष रहे कोटा सांसद ओम बिरला, राज्य सरकार में कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा, पूर्व विधायक व राष्ट्रीय महामंत्री अलका गुर्जर।
ओबीसी-एससी की दावेदारी अध्यक्ष पद पर मजबूत क्यों
राजस्थान में विधानसभा चुनावों में ओबीसी का बड़ा वर्ग जाट समाज का है। विधानसभा चुनावों में भाजपा को जाट वर्ग के वोट सरके थे, जिसके चलते जाट बैल्ट में भाजपा को उम्मीद मुताबिक सीटें नहीं मिली थी। भाजपा ने इसे लोकसभा चुनावों से पहले भांपकर डैमेज कन्ट्रोल की कोशिश नहीं की, इसके चलते लोकसभा चुनावों में जाट बैल्ट की 6 सीटों चूरू, नागौर, सीकर, झुंझुनूं, बाडमेर और अजमेर लोकसभा सीटों में से केवल एक अजमेर सीट ही पार्टी जीत सकी। वहीं एससी-एसटी सीटों पर भी भाजपा को लोकसभा में भरतपुर, करौली-धौलपुर, बीकानेर, गंगानगर में से भाजपा केवल बीकानेर सीट ही जीत सकी क्योंकि एससी वर्ग में मोदी सरकार के प्रचंड बहुमत आने पर आरक्षण खत्म होने की अफवाह फैल गई। वर्ग का वोट भाजपा से बड़ी मात्रा में सरक गया। ऐसे में भाजपा इन दोनों वर्गो के सरके वोटों को फिर से अपने पक्ष में लाने की जुगत में है। पार्टी इन वर्गों से किसी चेहरे को प्रदेशाध्यक्ष बना कर ओबीसी-एससी वर्ग को तवज्जो देने का मैसेज दे सकती है।
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