सरदार पटेल साइबर नियंत्रण एवं वॉर रूम केंद्र की स्थापना से होंगे कई सुधार, स्मार्ट पुलिसिंग से जघन्य अपराधी होंगे जेल की सींखचों के पीछे

महिला सुरक्षा के लिए चलाई जा रही योजनाएं

सरदार पटेल साइबर नियंत्रण एवं वॉर रूम केंद्र की स्थापना से होंगे कई सुधार, स्मार्ट पुलिसिंग से जघन्य अपराधी होंगे जेल की सींखचों के पीछे

स्मार्ट पुलिसिंग से अपराध पर अंकुश लगेगा और अपराधी को यह भय बना रहेगा, कि वह तकनीक के माध्यम से पुलिस की नजरों से ज्यादा समय तक दूर नहीं रह सकता हैं।

जयपुर। राज्य में अपराधियों पर नकेल कसने के लिए स्मार्ट पुलिसिंग की ओर बढ़ा जा रहा है ताकि जघन्य अपराधियों को जेल की सींखचों के पीछे पहुंचाया जा सकें। इसके लिए पुलिस को आधुनिक, प्रभावी और पारदर्शी बनाने पर फोकस है। समय की धारा के साथ अपराध के तरीके बदल गए, लेकि न पुलिस का ढर्रा पुराना ही रहा, ऐसे मे आधुनिक तरीके से अपराध की जांच पर भी फोकस किया जा रहा है। इसका उद्देश्य डिजिटल तकनीकों का उपयोग करके अपराध नियंत्रण, त्वरित कार्रवाई और नागरिक केंद्रित सेवाओं में सुधार करना है। वर्ष 2025-26 के बजट में इस पहल को और मजबूती देने के लिए सरदार पटेल साइबर नियंत्रण एवं वॉर रूम केंद्र की स्थापना का प्रस्ताव रखा गया है, जिसके लिए 350 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं।

तकनीकी एकीकरण
राजस्थान पुलिस अब सीसीटीवी कैमरे, फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम और एकीकृत कमांड केंद्रों का उपयोग कर रही है। इससे सार्वजनिक स्थानों की निगरानी और अपराधों पर त्वरित प्रतिक्रिया संभव हो रही है।

अभय कमांड सेंटर
स्मार्ट शहरों में अभय कमांड सेंटर स्थापित किए गए हैं, जो पुलिस और अन्य विभागों के बीच समन्वय स्थापित करने में सहायक हैं। ये सेंटर रियल टाइम डाटा एनालिसिस करके अपराध रोकथाम में मदद कर रहे हैं।

साइबर सुरक्षा
साइबर अपराधों से निपटने के लिए विशेष साइबर कंट्रोल सेंटर की स्थापना की योजना बनाई गई है। यह केंद्र आॅनलाइन गतिविधियों की निगरानी कर साइबर अपराधियों पर कड़ी नजर रखेगा।

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डेटा आधारित निर्णय
अपराध विश्लेषण और आंकड़ों का उपयोग करके हॉटस्पॉट क्षेत्रों की पहचान की जा रही है, जिससे पुलिस बलों की तैनाती और संसाधनों का बेहतर उपयोग हो पा रहा है।

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नागरिक सहभागिता
जनता की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और मोबाइल ऐप विकसित किए जा रहे हैं, जिससे लोग आसानी से अपराधों की रिपोर्ट कर सकें और पुलिस की सहायता ले सकें।

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स्मार्ट पुलिसिंग के प्रभाव
स्मार्ट पुलिसिंग के कारण राजस्थान में अपराध दर में कमी, त्वरित अपराध नियंत्रण, पारदर्शिता और प्रशासनिक दक्षता में सुधार हुआ है। अभय कमांड सेंटरों और डेटा एनालिटिक्स के माध्यम से अपराधों पर तुरंत प्रतिक्रिया दी जा रही है। 

क्या आया बदलाव
जनवरी, 2024 में मेवात का डीग जिला देश में साइबर कग्राइम का सबस बड़ा हॉट स्पाट बना हुआ था, जहां से पूरे दश के करीब 21 प्रतिशत अपराध हो रहे थे, ऑपरशन एण्टी वायरस चलाकर पिछले 11 माह में चार सौ प्रकरण दर्ज कर 1453 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया। अपराध 21 प्रतिशत से घटकर 6 प्रतिशत रह गया।

महिला सुरक्षा के लिए चलाई जा रही योजनाएं : महिला गरिमा हैल्प लाईन 1090 में फोन कर महिला संकट के समय सहायता प्राप्त कर सकती है। 

निर्भया स्क्वायड
महिला के साथ होने वाली छेड़छाड़ रोकने के लिए पेट्रोलिंग की जाती है। 
महिला हेल्प डेस्क-. वर्ष 2004 से राज्य के सभी पुलिस थानों में संचालित है, जिसके द्वारा पीड़ित महिला की समस्याओं को सुनकर उनकी समस्याओं का उचित समाधान किया जाता है। वर्तमान में 1024 पुलिस थानों पर महिला हेल्प डेस्क संचालित है, जिनमें 1004 महिला हेल्प डेस्क पर महिलाकर्मी पदस्थापित हैं। 

महिला सलाह एवं सुरक्षा केन्द्र
राज्य महिलाओं के प्रति होने वाली किसी भी प्रकार की हिंसा, घरेलू प्रताड़ना अथवा शोषण सम्बन्धी समस्याओं के सफ ल समाधान के लिए महिला सलाह एवं सुरक्षा केन्द्र राज्य के सभी पुलिस जिलों में वृत्ताधिकारी कार्यालय स्तर पर कार्यरत है। 

पुलिस मुख्यालय की ओर से संचालित नवीन योजनाएं
एण्टी रोमियो स्क्वायड
राज्य के सार्वजनिक स्थानों, भीड़भाड़ वाले स्थान एवं अन्य संवेदनशील स्थलों पर होने वाली छेड़छाड़, छीटाकशी, चैन स्रैचिंग एवं अन्य अप्रिय घटनाओं की प्रभावी रोकथाम के लिए राज्य में 65 एण्टी रोमियो स्क्वॉड का गठन कर संचालित किया जा रहा है। 

कालिका पेट्रोलिंग यूनिट
राज्य में सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं के साथ होने वाली छेड़छाड़ की घटनाओं की रोकथाम के लिए एवं बच्चियों और महिलाओं को भयमुक्त वातावरण देने के लिए राज्य में 500 कालिका पेट्रोलिंग यूनिट का गठन प्रस्तावित है। प्रथम चरण में 250 कालिका पेट्रोलिंग यूनिट के संचालन के लिए समस्त जिला पुलिस अधीक्षक और उपायुक्त को निर्देशित किया जा चुका है। 

स्मार्ट पुलिसिंग से अपराध पर अंकुश लगेगा और अपराधी को यह भय बना रहेगा, कि वह तकनीक के माध्यम से पुलिस की नजरों से ज्यादा समय तक दूर नहीं रह सकता हैं। इससे ना सिर्फ अपराध कम होंगे और अपराध का खुलासा भी जल्द होगा।
-यू.आर.साहू, पुलिस महानिदेशक, जयपुर 

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