जलदाय विभाग में घोटाला : मैसर्स यादव कंस्ट्रक्शन कंपनी पर कसा शिकंजा, उच्च स्तरीय जांच समिति गठित
निविदा शर्तों के तहत 6 पंप हाउसों पर सोलर प्लांट लगाए जाने थे
जलदाय विभाग में एक और घोटाला उजागर हुआ है। मैसर्स यादव कंस्ट्रक्शन कंपनी पर पेयजल योजनाओं में व्यापक भ्रष्टाचार का आरोप लगा है
जयपुर। जलदाय विभाग में एक और घोटाला उजागर हुआ है। मैसर्स यादव कंस्ट्रक्शन कंपनी पर पेयजल योजनाओं में व्यापक भ्रष्टाचार का आरोप लगा है। कंपनी द्वारा बिना कार्य पूर्ण किए करोड़ों रुपये का फर्जी भुगतान उठाया गया। मामले को लेकर क्वालिटी कंट्रोल एसई विश्वजीत सिंह नागर की अध्यक्षता में जांच समिति गठित की गई है।
जांच में खुलासा हुआ कि निविदा शर्तों के तहत 6 पंप हाउसों पर सोलर प्लांट लगाए जाने थे, लेकिन एक भी स्थान पर सोलर प्लांट नहीं लगाया गया। सैकड़ों वाल्व चैंबर के निर्माण में सीमेंट-कांक्रीट के बजाय ईंटों का उपयोग कर घटिया निर्माण किया गया। 108 गांवों के लिए पाइपलाइन बिछाने की योजना अधूरी पाई गई, जबकि कई जगह बिना आबादी वाले क्षेत्रों में पाइपलाइन डालकर फर्जी भुगतान उठाया गया।
कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र भी नियमों के विरुद्ध फर्जी तरीके से जारी किए गए। 137 करोड़ के वर्क ऑर्डर की जगह 161 करोड़ का फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र बनाया गया। स्काडा सिस्टम बंद पड़े हैं और कंप्यूटर, लैपटॉप व प्रिंटर कार्यालय में उपलब्ध नहीं करवाए गए। जलदाय विभाग के एसीएस भास्कर ए सावंत ने उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। क्वालिटी कंट्रोल एसई विश्वजीत सिंह नागर की अध्यक्षता में जांच समिति गठित की गई है। यह घोटाला विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहा है।
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