अरावली मानदंड पर भाजपा का पलटवार: राजनीति नहीं, तथ्य देखें गहलोत, 100 मीटर का नियम कांग्रेस काल का, ‘90% खत्म’ का दावा गलत : राठौड़
अरावली मानदंड पर भाजपा का पलटवार
अरावली पर्वतमाला को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयानों पर भाजपा ने तथ्यात्मक जवाब दिया है। पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि 100 मीटर ऊंचाई का मानदंड नया नहीं है और यह कांग्रेस सरकार के समय तय हुआ था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश वैज्ञानिक आधार पर हैं और सरकार अरावली संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है।
जयपुर। अरावली पर्वतमाला को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयानों पर भाजपा ने स्पष्ट और तथ्यात्मक जवाब दिया है। भाजपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि अरावली से जुड़ा 100 मीटर ऊंचाई का मानदंड न तो नया है और न ही वर्तमान सरकार का फैसला, बल्कि यह कांग्रेस शासनकाल में ही तय किया गया था और वर्षों तक उसी के आधार पर काम हुआ।
राठौड़ ने बताया कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने 20 नवंबर 2025 को अरावली संरक्षण और खनन को लेकर जो आदेश दिया है, वह पूरी तरह वैज्ञानिक तथ्यों और पूर्व न्यायिक निर्णयों पर आधारित है। इससे पहले 8 अप्रैल 2005 को 100 मीटर से अधिक ऊंचाई को ‘हिल’ मानने का मानदंड तय हुआ था। साथ ही, 19 अगस्त 2003 को जिलेवार नक्शे तैयार करने के निर्देश भी अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री रहते जारी किए गए थे।
उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री के उस बयान को भ्रामक बताया, जिसमें कहा गया था कि “90 प्रतिशत अरावली समाप्त हो जाएगी।” राठौड़ के अनुसार, अरावली क्षेत्र का करीब 25 प्रतिशत हिस्सा पहले से ही अभ्यारण्य, राष्ट्रीय उद्यान और आरक्षित वनों में शामिल है, जहां खनन पूरी तरह प्रतिबंधित है। पूरे अरावली क्षेत्र में केवल लगभग 2.56 प्रतिशत हिस्सा ही कड़े नियमों के तहत खनन के दायरे में आता है।
राठौड़ ने स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार विस्तृत वैज्ञानिक मैपिंग और सस्टेनेबल माइनिंग प्लान तैयार होने तक कोई नया खनन पट्टा जारी नहीं होगा। उन्होंने कहा कि सरकार का रुख बिल्कुल साफ है—अरावली की सुरक्षा, पर्यावरण संतुलन और कानून का पालन सर्वोपरि है।

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