देश में एक साथ चुनाव से देश का होगा विकास, राजनीतिक वैमनस्यता होगी कम : सुनील बंसल
विकसित भारत को एक राष्ट्र एक चुनाव महत्वपूर्ण कदमः मदन राठौड़
भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल ने मंगलवार को राजधानी जयपुर में एक राष्ट्र एक चुनाव अभियान को लेकर युवा, छात्र एवं नवमतदाता संवाद कार्यक्रम को संबोधित किया
जयपुर। भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल ने मंगलवार को राजधानी जयपुर में एक राष्ट्र एक चुनाव अभियान को लेकर युवा, छात्र एवं नवमतदाता संवाद कार्यक्रम को संबोधित किया। जेएलएन मार्ग स्थित पंचायती राज संस्थान के सभागार में आयोजित संवाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बंसल ने कहा कि देश में एक साथ चुनाव होते है तो देश में राजनीति कम होगी और देश का विकास ज्यादा होगा। दीर्घकालीन सरकारों पर केवल विकास का ही दबाव होगा, युवाओं को अधिक अवसर मिलेंगे और देश में परिवारवाद को बढ़ावा देने वाली पार्टियों को नुकसान होगा। इतना ही नहीं, राजनीतिक वैमनस्यता कम होगी और वर्क परफॉर्मेंस की पॉलिटिक्स को बढ़ावा मिलेगा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विकसित भारत 2047 के सपने को साकार करने की दिशा में यह कदम मील का पत्थर साबित होगा। पिछले 30 सालों से लगातार हर साल चुनाव प्रक्रिया चलने से देश के मतदाता में कहीं ना कहीं निरसता आई है।करीबन 40 प्रतिशत लोग मतदान ही नहीं कर रहे लेकिन एक साथ लोकसभा, राज्य विधानसभा चुनाव कराने और इसी दौरान 100 दिनों में अन्य निकायों के चुनाव संपन्न कराने से मतदाता की निरसता भी दूर होगी और एक स्वस्थ एवं मजबूत लोकतंत्र की ओर देश बढ़ेगा। वहीं दूसरी ओर बार बार चुनाव कराने से आर्थिक बोझ भी देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। एक रिपोर्ट के अनुसार गत लोकसभा चुनाव में करीबन 1 लाख 37 हजार करोड़ तक का खर्चा आया था। इस लोकसभा चुनाव में एक वोट का खर्चा करीबन 1400 रूपए पड़ा। एक साथ चुनाव कराने से देश की जीडीपी में करीबन 1.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी, जो विकसित भारत की दिशा में बेहद कारगर साबित होगी।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा कि भारत सरकार ने 2 सितंबर 2023 को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक साथ चुनाव कराने पर उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था। समिति ने इस मुद्दे पर व्यापक स्तर पर सार्वजनिक और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं मांगीं थी। देश के 47 राजनीतिक दलों ने इस विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए। इनमें से 32 दलों ने संसाधनों के सर्वाेत्तम उपयोग और सामाजिक सद्भाव जैसे लाभों का हवाला देते हुए एक साथ चुनाव कराने का समर्थन किया। समिति ने भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीशों, पूर्व चुनाव आयुक्तों और विधि विशेषज्ञों से परामर्श किया। इनमें से अधिकाधिक लोगों ने एक साथ चुनाव कराने की अवधारणा का समर्थन किया।
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