यह पब्लिक नहीं, पब्लिसिटी इंटरेस्ट पिटीशन: हाईकोर्ट
छात्रसंघ चुनाव नहीं कराने के खिलाफ दायर जनहित याचिका को याचिकाकर्ता की
राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश के विश्वविद्यालय और कॉलेजों में इस शैक्षणिक सत्र में छात्रसंघ चुनाव नहीं कराने के खिलाफ दायर जनहित याचिका को याचिकाकर्ता की ओर से वापस लेने के आधार पर खारिज कर दिया।
जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश के विश्वविद्यालय और कॉलेजों में इस शैक्षणिक सत्र में छात्रसंघ चुनाव नहीं कराने के खिलाफ दायर जनहित याचिका को याचिकाकर्ता की ओर से वापस लेने के आधार पर खारिज कर दिया।
सीजे एजी मसीह और जस्टिस समीर जैन की खंडपीठ ने यह आदेश अधिवक्ता शांतनु पारीक की पीआईएल को खारिज करते हुए दिए।
अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि यह पब्लिक इंटरेस्ट पिटीशन नहीं पब्लिसिटी इंटरेस्ट पिटीशन है।
सुनवाई के दौरान अदालत ने इस मुद्दे पर जनहित याचिका पेश करने पर नाराजगी जताते हुए याचिकाकर्ता से पूछा कि प्रकरण में जनहित याचिका पेश करने के क्या आधार हैं। जिसका याचिकाकर्ता कोई ठोस जवाब नहीं दे सका। अदालत के पूछने पर याचिकाकर्ता ने कहा कि वह पेशे से अधिवक्ता है और सोशल मीडिया पर निशुल्क विधिक जागरूकता देने का काम करता है। इस पर अदालत ने कहा कि आपके साथ ये ही तो दिक्कत है कि आप इस मुद्दे को पब्लिसिटी के लिए कर रहे हैं।
अदालत ने याचिकाकर्ता को चेतावनी देते हुए कहा कि या तो वे पीआईएल को वापस लें वरना कोर्ट उसे हर्जाने के साथ खारिज करेगा। इस पर याचिकाकर्ता ने पीआईएल को वापस ले लिया। याचिकाकर्ता की ओर से छात्रसंघ चुनाव का मौलिक अधिकार होने की बात कहने पर अदालत ने कहा कि छात्र अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हैं।
उनको लगेगा तो हाईकोर्ट में याचिका पेश कर देंगे। इसके अलावा राज्य सरकार चुनाव कराने को लेकर परिस्थितियों के आधार पर निर्णय करती है। सरकार ने चुनाव बैन भी नहीं किए हैं, सिर्फ इस बार चुनाव नहीं कराने का निर्णय लिया है। अदालत ने कहा कि आप वकील है तो इसका अर्थ यह नहीं है कि आप कुछ भी करने के लिए स्वतंत्र हैं।

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