विश्व हेड एंड नेक कैंसर दिवस आज : 70% से अधिक रोगियों की देशभर में पहचान होती है एडवांस स्टेज में, नतीजा इलाज में देरी
पहली स्टेज में कैंसर की पहचान और उपचार से 90 प्रतिशत तक संभव है रिकवरी
तंबाकू हैड एंड नेक कैंसर का बड़ा कारण, लेकिन वायरस, नुकीले दांत और ओरल हाइजीन भी हैं बड़े फैक्टर
जयपुर। नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार देश में मुंह और गले के कैंसर से ग्रसित 70 प्रतिशत से अधिक रोगी एडवांस स्टेज में अस्पताल पहुंचते हैं। राजस्थान में भी यही स्थिति है। भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल में संचालित कैंसर रजिस्ट्री के अनुसार 2024 में कुल 10,363 नए कैंसर मरीज पंजीकृत हुए, जिनमें से लगभग 40 प्रतिशत मरीज हेड एंड नेक कैंसर के थे। आॅन्को-सर्जन डॉ. नरेश लेडवानी का कहना है कि आमतौर पर धारणा है कि सिर्फ गुटखा, तंबाकू, सिगरेट के कारण ही हैड एंड नेक कैंसर होता है, लेकिन एचपीवी एवं ईबीवी वायरस, नुकीले दांत, ओरल हाइजीन की कमी के कारणों से भी यह कैंसर हो सकता है। इन कारणों की वजह से जहां पहले यह बीमारी आमतौर पर 45 वर्ष की उम्र के बाद देखने को मिलती थी, अब 35 वर्ष से कम उम्र के सैकड़ों युवा इसकी चपेट में आ चुके हैं।
समय पर स्क्रीनिंग एवं उपचार है जरूरी
रेडिएशन आॅन्कोलॉजिस्ट डॉ. नरेश जाखोटिया ने बताया कि इन कैंसर की शुरुआती स्तर पर जांच हो इसके लिए लोगों को ज्यादा से ज्यादा संख्या में स्क्रीनिंग में भाग लेना चाहिए। नियमित स्क्रीनिंग के चलते रोग की प्रारंभिक अवस्था में पहचान कर उपचार की शुरुआत की जा सकती है।
एनसीआर ने भी जारी की रिपोर्ट
नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम इंडिया की ओर से 2020 में एक रिपोर्ट जारी की गई। जिसमें बताया गया कि 2020 में देश में 13.92 लाख कैंसर रोगी हैं। इनमें से सर्वाधिक कैंसर रोगी स्तन, लंग, मुंह, सर्विक्स और जीभ के है। रिपोर्ट में बताया गया कि मुंह एवं गले के कैंसर के 66.6 प्रतिशत रोगी, सर्विक्स कैंसर के 60 प्रतिशत, ब्रेस्ट कैंसर के 57 प्रतिशत और पेट के कैंसर के 50.8 प्रतिशत रोगी बीमारी की एडवांस स्टेज में उपचार के लिए पहुंचते है।
हेड एंड नेक के कैंसर के केसेज जहां एक ओर तेजी से बढ़ रहे हैं वहीं दूसरी ओर ट्रीटमेंट में भी काफी एडवांसमेंट आया है। मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. पवन अग्रवाल ने बताया कि इन कैंसर में अब इम्यूनोथेरेपी की कई अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं। सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. नरेश लेडवानी ने बताया कि अब आॅर्गन को प्रोटेक्ट करते हुए सर्जरी करने के साथ ही मिनिमल इनवेसिव सर्जरी पर अब ज्यादा फोकस किया जाता है। रेडिएशन में लीनियर एक्सीलेटर मशीन के जरिए कम्प्यूटराइज ट्रीटमेंट होता है। अब मरीज के रेडिशन के बाद भी ना तो स्किन काली होती है और ना ही खाना निगलने में कोई दिक्कत होती है। लार ग्रंथि भी सही से काम कर पाती है।

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