डॉक्टर सुसाइड मामला : रेजिडेंट डॉक्टर्स ने की पेनडाउन हड़ताल, बाजू पर काली पट्टी बांधी, पूर्ण कार्य बहिष्कार की चेतावनी
रेजिडेंट-सीनियर डॉक्टर आमने-सामने
डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज के फामार्कोलॉजी विभाग के एचओडी राजकुमार राठौड़ का कहना है, कि रेजिडेंट डॉक्टर पहले से मानसिक रूप से परेशान थे और उनका इलाज चल रहा था।
जोधपुर। डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज के रेजिडेंट डॉक्टर राकेश विश्नोई के सुसाइड मामले को लेकर रेजिडेंट डॉक्टर्स ने बुधवार को दो घंटे की पेनडाउन हड़ताल रखी। सुबह आठ से दस बजे तक मेडिकल कॉलेज के सभी रेजिडेंट डॉक्टरों ने काली पट्टी बांध ओपीडी, आईपीडी व ट्रोमा वार्ड सहित विभागों में यह हड़ताल की। हड़ताल के चलते मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा। रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. हीरालाल यादव ने बताया, डॉ. राकेश के सुसाइड मामले को लेकर अब तक प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। एसोसिएशन ने संबंधित व्यक्ति को तत्काल पद से हटाने, पीड़ित परिवार की बात सुनकर स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच करने और सभी रेजिडेंट को मानसिक सुरक्षा और काम करने का वातावरण उपलब्ध करवाने की मांग की है। इन मांगों पर कार्रवाई नहीं की जाती है तो आगे चलकर रेजिडेंट पूर्ण कार्य बहिष्कार करेंगे।
रेजिडेंट-सीनियर डॉक्टर आमने-सामने
इस मामले में जोधपुर में रेजिडेंट और सीनियर डॉक्टर आमने सामने हो गए है। एक तरफ जहां एमडीएम अस्पताल के सीनियर डॉक्टर राजकुमार के खिलाफ रेजिडेंटस की ओर से कार्रवाई की मांग की जा रहीं है। वहीं सीनियर डॉक्टरों ने प्रिंसिपल को लेटर जारी कर आरोपी डॉ. राजकुमार के लिए कहा कि बगैर जांच के डॉक्टर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाए। रेजिडेंट डॉक्टर राकेश के पूर्व में भी अवसाद में ग्रसित करने की खबरें है। इसलिए बिना जांच के चिकित्सक शिक्षक पर कार्यवाही नहीं की जाएं।
यह था डॉक्टर राकेश का सुसाइड मामला
रेजिडेंट डॉक्टर राकेश ने 13 जून को जहर खा लिया था। गंभीर हालत में पहले उन्हें जयपुर रेफर किया जहां 14 जून की रात उनकी मौत हो गई। डॉक्टर ने मौत से पहले एक वीडियो में कहा, कि फामार्कोलॉजी विभाग के एचओडी थीसिस को लेकर परेशान कर रहे हैं। जिसके चलते मैंने ये कदम उठाया। इसके बाद राकेश के भाई की रिपोर्ट पर शास्त्रीनगर पुलिस ने एचओडी राजकुमार के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया। इधर डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज के फामार्कोलॉजी विभाग के एचओडी राजकुमार राठौड़ का कहना है, कि रेजिडेंट डॉक्टर पहले से मानसिक रूप से परेशान थे और उनका इलाज चल रहा था।

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