पशुपालन ने थामा एआई का दामन, मैसेज करते ही उपचार के लिए पहुंचेंगे पशु चिकित्सक
विभाग ने शुरू की व्हाट्स एप चैटबॉट सुविधा
पशुपालकों को बेहतर सुविधा देने के लिए पशुपालन विभाग ने अब एआई का दामन थामा है
कोटा। पशुपालकों को बेहतर सुविधा देने के लिए पशुपालन विभाग ने अब एआई का दामन थामा है। इसके जरिए मवेशियों को घर पर ही उपचार मिलेगा। महज एक मैसेज कर पशुपालक पशु चिकित्सक को घर पर बुलवाकर बीमार पशुओं का उपचार करवा सकेंगे। साथ ही आवश्यकता पर चिकित्सक से परामर्श भी मिल सकेगा। विभाग की ओर से इस सुविधा को मोबाइल वेटनरी यूनिट से जोड़ा गया है। यानी की पशुपालकों को 1962 के द्वारा ही यह सुविधा दी जाएगी। विभागीय अधिकारियों की मानें तो मोबाइल वैटेरीनरी यूनिट्स से संबंधित यह चैटबॉट एक नवाचार है। पशुपालन विभाग ने 1962-एमवीयू राजस्थान (चैटबॉट नंबर 9063475027) का हाल ही में लोकार्पण कर सेवा की शुरुआत की।
रोबोटिक्स व नैनो तकनीक का भी बढ़ा उपयोग
पशु चिकित्सकों के अनुसार आज एआई आधारित इमेजिंग, आनुवंशिक परीक्षण, और डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से बीमारी की शुरूआती अवस्था में ही पहचान और उपचार संभव हो पा रहा है। एआई का उपयोग पशु प्रजनन नीति सुधार, स्वास्थ्य निगरानी और डेटा एनालिटिक्स में हो रहा है। वहीं नैनोटेक्नोलॉजी के जरिए दवाएं सीधे प्रभावित कोशिकाओं तक पहुंचाई जा रही हैं, जिससे सटीक और लक्षित उपचार सुनिश्चित किया जा सके। सर्जरी के क्षेत्र में भी रोबोटिक तकनीक के उपयोग से पशुओं की सर्जिकल प्रक्रियाएं और अधिक सुरक्षित व कुशल बन रही हैं। अब इन सुविधाओं का विस्तार करने की प्रकिया चल रही है।
विशेषज्ञों से बीमारी के बारे में मिलेगी सलाह
विभागीय अधिकारियों के अनुसार एआई आधारित नवाचारों द्वारा पारदर्शिता लाने के लिए व्हाट्स एप आधारित चैटबॉट सेवा शुरू की गई है। इसमें पशुपालक टेली कंसल्टेंसी के माध्यम से अपने पशुओं की समस्या के उपचार के लिए विशेषज्ञों से सलाह ले सकते हैं। चैटबॉट शुरू होने से पशुपालक दोहरा लाभ ले सकते हैं। व्हाट्स एप पर मैसेज करने के बाद कॉल सेंटर से कॉल आएगा। इसमें पशुपालक से पूछा जाएगा कि वो परामर्श लेना चाहता है या उपचार के लिए वैन बुलवाना चाहता है। यदि पशुपालक परामर्श चाहता है तो उसे चिकित्सक से परामर्श दिलाया जाएगा। अन्यथा मोबाइल वेटनरी वैन भेजी जाएगी। इसे भविष्य में और अधिक सुदृढ़ बनाया जाएगा जिससे विभाग की समस्त सेवाओं को एक ही छतरी के नीचे लाया जा सके।
कारगर साबित हो रही एआई तकनीक
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का विभिन्न क्षेत्रों में प्रयोग होने लगा है और यह कारगर भी साबित हो रही है। इस कारण अब पशुपालन विभाग ने भी पशुओं के उपचार में इस तकनीक का इस्तेमाल करने का निर्णय किया है। आज निदान, उपचार और रोगों की शुरूआती पहचान में एआई आधारित इमेजिंग, आनुवंशिक परीक्षण और दूरस्थ निगरानी तकनीकें कारगर साबित हो रही हैं। इयूनोथेरेपी, जीन एडिटिंग और स्टेम सेल थेरेपी जैसी उन्नत विधाएं अब कैंसर जैसे जटिल रोगों के इलाज में भी आशा की किरण बन रही हैं। वहीं, नैनोटेक्नोलॉजी और रोबोटिक्स से दवा वितरण और सर्जरी में नई दक्षता आई है। इन नवाचारों का लक्ष्य पशु स्वास्थ्य और कल्याण को अधिक वैज्ञानिक और सटीक बनाना है।
फैक्ट फाइल
- जिले में कुल पशु-6.40 लाख
- जिले में पशु चिकित्सा इकाइयां-180
- प्रथम श्रेणी के पशु चिकित्सालय-16
- पशु चिकित्सालय- 36
- पशु चिकित्सा उप केंद्र- 124
इनका कहना
अभी ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित पशु अस्पतालों में पर्याप्त संसाधन नहीं होने से बीमार पशुओं का उपचार कराने में परेशानी होती है। अब विभाग द्वारा नई सुविधा करने से काफी राहत मिलेगी। खासकर जिला मुख्यालय से दूर स्थित गांवों के लिए यह सुविधा कारगर हो सकती है।
-ओमशंकर खटाणा, पशुपालक
पशुपालन विभाग ने व्हाट्स एप आधारित चैटबॉट सेवा शुरू की गई है। इसमें पशुपालक टेली कंसल्टेंसी के माध्यम से अपने पशुओं की समस्या के उपचार के लिए विशेषज्ञों से सलाह ले सकते हैं। चैटबॉट शुरू होने से पशुपालकों को दोहरा लाभ मिलेगा।
- डॉ. गिरीश सालफळे, उप निदेशक, पशुपालन विभाग

Comment List