देश भर में कोचिंग संस्थानों की जांच, कोटा में केवल लाइब्रेरियां खंगाली

हादसा कोचिंग के बेसमेंट में हुआ, जांच की हॉस्टलों में

देश भर में कोचिंग संस्थानों की जांच, कोटा में केवल लाइब्रेरियां खंगाली

कोचिंग संस्थान संचालकों को जान बूझकर दिया समय।

कोटा। शिक्षा नगरी कोटा में जहां सबसे अधिक कोचिंग संस्थान है। वहां के बेसमेंट में कक्षाएं व व्यवसायिक गतिविधियां संचालित हो रही हैं या नहीं इसकी अभी तक नगर निगम के फायर अनुभाग ने जांच तक नहीं की है। दिल्ली के राजेन्द्र नगर स्थित कोचिंग के बेसमेंट में पानी भरने से वहां तीन विद्यार्थियों की मौत के बाद देश भर में कोचिंग संस्थानों की जांच की गई। लेकिन कोचिंग नगरी कोटा में किसी भी कोचिंग संस्थान में जाकर फायर अनुभाग झांका तक नहीं। वाह-वाही लूटने को केवल हॉस्टल्स के बेसमेंट चेक किए गए। घटना के दस दिन गुजरने के बाद भी अब तक कोचिंग संस्थानों की जांच नहीं की गई है।  यह हालात तब हैं जब सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि कोचिंग सेंटर डेथ चैंबर बन गए हैं। लोगों का आरोप है कि बड़ी-बड़ी अट्टालिकाओं के मालिक रसूखदार कोचिंग संस्थानों को समय देने के लिए यह कार्रवाई नहीं की गई है। इससे दोनों ही नगर निगम के महापौर,उच्चाधिकारी और फायर अनुभाग पर अंगुली उठ खड़ी हुई है।

श्कोचिंग संस्थानों के दर्जनों भवन
शहर में कई बड़े कोचिंग संस्थान है। जिनमें से अधिकतर के तो दर्जनों भवन है। हर भवन बहुमंजिला है। उन भवनों में बेसमेंट भी है। फिर चाहे बारां रोड नया नोहरा स्थित कोरल पार्क हो या नदी पार कुन्हाड़ी क्षेत्र स्थित लैंड मार्क सिटी। जवाहर नगर डिस्ट्रिक्ट सेंटर हो या राजीव गांधी नगर। इंद्र विहार हो या विज्ञान नगर, तलवंडी हो या दादाबाड़ी क्षेत्र। सभी जगहों पर हजारों बच्चे देशभर से आकर मेडिकल व इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। कोचिंग संस्थान संचालक अपने यहां बच्चों की अधिक संख्या को देखते हुए उनकी जान की परवाह किए बिना बेसमेंट में भी कक्षाएं संचालित कर रहे हैं। लेकिन किसी भी संस्थान की पिछले दस दिन में जांच नहीं की गई।

जहां हादसा हुआ वहां जाच होनी चाहिए थीह्ण
दिल्ली के कोचिंग बेसमेंट में पानी भरने से तीन विद्यार्थियों की मौत होना बड़ी घटना है। कोटा में भी दर्जनों बड़े कोचिंग संस्थान है। यहां कोचिंगों में उस तरह की गतिविधि हो रही है या नहीं इसकी जांच की जानी चाहिए। पहले कोचिंग की जांच की जानी चाहिए थी बाद में अन्य भवनों की होनी चाहिए थी।
- सागर जैन, तलवंडी

शहर में बड़े-बड़े कोचिंग संस्थानों की बहुमंजिला इमारतें हैं। हर इमारत में बेसमेंट है। वहां कक्षाएं चलती रही हैं ।  इसकी प्रशासन को पहले जांच करवानी चाहिए थी। लेकिन प्रशासन ने कोचिंगों में पहले जांच नहीं कर उन्हें संभलने का मौका दिया है। अब जांच करने का उतना फायदा नहीं होगा जितना पहले होता। 
- महेश शर्मा, विज्ञान जिम्मेदारों का कहना

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दिल्ली की घटना होने के बाद निगम अधिकािरयों को मौखिक ही निर्देश दिए गए थे। सभी जगह पर बेसमेंट में संचालित गतिविधियों की जांच करने को कहा गया था। यदि कोचिंग में जांच नहीं की गई तो यह गलत है। अब अधिकारियों को इसके लिए विशेष रूप से निर्देशित किया जाएगा। 
- राजीव अग्रवाल, महापौर, नगर निगम कोटा दक्षिण

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दिल्ली की घटना के बाद निगम अधिकािरयों की टीमों ने सभी जगह पर बेसमेंट की जांच तो की है। जहां बेसमेंट में लाइब्रेरी चल रही थी उन्हें बंद भी कराया है। कोचिंग संस्थानों की जांच की जानकारी नहीं है। इस बारे में पता कर कार्रवाई के लिए निर्देश दिए जाएंगे।          
- मंजू मेहरा महापौर, नगर निगम कोटा उत्तर 

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दिल्ली की घटना के अगले ही दिन शहर के हॉस्टलों व व्यवसायिक भवनों के बेसमेंट  में संचालित लाइब्रेरी, गेम जोन व मैस की जांच की गई। कोचिंग संस्थानों में फायर एनओसी देते समय सभी से अंडरटेकिंग ली जाती है कि वे बेसमेंट में कोई व्यवसायिक गतिविधियां संचालित नहीं करेंगे। पूर्व में समय-समय पर कोचिंगों की जांच की गई है। अधिकतर के पास फायर एनओसी है। उनके यहां बेसमेंट में स्टोर या पार्किंग ही बने हुए हैं। दिल्ली की घटना के बाद लैंडमार्क के कोचिंग की जांच की थी वहां कोई व्यवसायिक गतिविधि नहीं मिली थी। घटना के बाद कोचिंग की जांच करनी थी लेकिन किसी न किसी काम में व्यस्तता के कारण नहीं जा सके। शीघ्र ही इनकी भी जांच की जाएगी। कोचिंग संस्थानों को संभलने का मौका देने जैसी कोई बात नहीं है। हॉस्टलों में बड़ी संख्या में लाइब्रेरी व गेम जोन संचालित होने की सूचना पर उन्हें बंद करवाना प्राथमिकता थी। - राकेश व्यास, सीएफओ, नगर निगम कोटा उत्तर दक्षिण  

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