निगम हटा रहा अतिक्रमण, खुद की जमीन पर मुर्गा मंडी
पुरानी सब्जीमंडी क्षेत्र में मेन रोड पर मंडी से लोगों को हो रही परेशानी
मुर्गा मंडी लगने से दिनभर दुर्गंध आती है। जिससे सभी को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
कोटा । नगर निगम कोटा उत्तर व दक्षिण की ओर से शहर में एक तरफ तो अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जा रही है। वहीं दूसरी तरफ खुद निगम की जमीन पर अतिक्रमण हो रहा है। यह हालत है निगम की पुरानी सब्जीमंडी स्थित भूमि की। कांग्रेस सरकार के समय में ज्वाला तोप के पास पुरानी सब्जीमंडी स्थित जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराया गया था। करीब 9 हजार वर्ग मीटर की इस जमीन पर नगर निगम कोटा उत्तर का भवन बनना था। लेकिन सरकार बदलने के बाद वह प्रोजेक्ट तो खत्म हो गया। नगर निगम की ओर से इस जमीन पर चार दीवारी बनवाकर गेट लगवा दिया था। जिससे यहां अतिक्रमण नहीं हो। लेकिन हालत यह है कि उस जगह पर भी अतिक्रमण हो रहा है। हालांकि चार दीवारी के भीतर फिलहाल संवेदक के वाहन खड़े हो रहे हैं। वहीं चार दीवारी के बाहर की तरफ बड़ी संख्या में वाहनों में मुर्गा मंडी लग रही है। यह मंडी पिछले काफी समय से चल रही है। जिससे वहां से निकलने वालों व आस-पास के मार्केट वालों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि कुछ समय पहले तो यह मंडी चार दीवारी के भीतर ही लग रही थी।
लोगों का कहना है कि यहां मुर्गा मंडी लगने से दिनभर दुर्गंध आती है। जिससे सभी को परेशानी का सामना करना पड़ता है। सुबह से शाम तक यहां मुर्गों की बिक्री होने से भीड़ लगी रहती है। हालत यह है कि नगर निगम की ओर से शहर में अतिक्रमण हटाने व अवैध मांस-मीट की दुकानों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। जबकि निगम की खुद की जमीन पर अतिक्रमण हो रहा है और अवैध रूप से मुर्गा मंडी चल रही है। जिस पर निगम द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह तो वही बात हो रही है कि घर का पूत कुवांरा डोले पड़ौसी का फेरा।
शीघ्र करेंगे कार्रवाई
नगर निगम कोटा उत्तर के आयुक्त अशोक त्यागी ने बताया कि उन्होंने कुछ समय पहले जब सब्जीमंडी स्थित जगह का निरीक्षण किया था। उस समय यह मुर्गा मंडी चार दीवारी के अंदर लगने लगी थी। जिन्हें उस समय वहां से हटवा दिया था। अब यदि वे बाहर की तरफ खड़े होने लगे हैं तो उसे दिखवाकर शीघ्र ही हटाने की कार्रवाई की जाएगी। आयुक्त त्यागी ने बताया कि इस जमीन का विकास किया जाना है। नगर निगम या केडीए दोनों में से जो भी संस्था को आदेश होगा वही यहां विकास कार्य करवाएगी।

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