बायोलॉजिकल पार्क में मंडराया पैंथर-भालू का खतरा
बाहरी मांसाहारी वन्यजीवों का शाकाहारी जानवरों पर हमले की आशंका
सुरक्षा दीवार टूटे हुए 6 माह बीतने के बाद भी पक्की दीवार का निर्माण नहीं करवाया जा सका।
कोटा। अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में शाकाहारी वन्यजीवों पर बाहरी मांसाहारी जानवरों के हमले का खतरा मंडरा रहा है। चीतल के एनक्लोजर के नजदीक सुरक्षा दीवार टूटी हुई है। जिसकी अब तक मरम्मत नहीं करवाई गई। जबकि, पूर्व में पैंथर द्वारा बायोलॉजिकल पार्क में घुसकर ब्लैक बक के बच्चे का शिकार करने की घटना हो चुकी है। इसके बावजूद वन्यजीव विभाग के अधिकारियों की कुंभकरणीय नींद नहीं टूटी। अधिकारियों की लापरवाही से शाकाहारी वन्यजीवों की जान खतरे में पड़ गई। दरअसल, अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क के पीछे थर्मल परिसर व वन मंडल का घना जंगल है। जहां पैंथर, भालू, जरख, सियार का मूवमेंट रहता है। ऐसे में सुरक्षा दीवार टूटने से इनके पार्क में घुस आने व शाकाहारी वन्यजीवों पर हमले की आशंका बनी हुई है।
गत वर्ष टूटी थी सुरक्षा दीवार
बायोलॉजिकल पार्क में गत वर्ष जुलाई माह में बारिश के दौरान पानी का बहाव अधिक होने से 24 मीटर सुरक्षा दीवार ढह गई थी और चीतल के एनक्लोजर में पानी भर गया था। जिससे वन्यजीवों में अफरा तफरी मच गई थी। इसके बावजूद विभाग ने दीवार की मरम्मत नहीं करवाई। हालांकि एक माह बाद अगस्त में 4 फीट ऊंची कच्ची दीवार बनाकर औपचारिकता पूरी कर दी। जबकि, सुरक्षा की दृष्टि से 8 फीट ऊंची पक्की दीवार का निर्माण करवाया जाना बेहद जरूरी है।
6 माह बाद भी नहीं बनी
सुरक्षा दीवार टूटे हुए 6 माह बीतने के बाद भी पक्की दीवार का निर्माण नहीं करवाया जा सका। जबकि, पार्क के पीछे जंगल में मांसाहारी जानवरों का मूवमेंट अधिक रहता है। ऐसे में रात के समय पैंथर, जरख व सियार के हमले का खतरा अधिक रहता है। पूर्व में भी घटना हो चुकी है, इसके बावजूद अधिकारियों द्वारा बजट का रोना रोया जा रहा है। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार 24 मीटर लंबी और 8 फीट ऊंची पक्की दीवार निर्माण के लिए दो लाख रुपए की लागत आएगी। लेकिन अधिकारियों द्वारा सरकार से बजट मांगने के लिए सार्थक प्रयास नहीं किए जा रहे।
पैंथर कर चुका हिरण के बच्चे का शिकार
बायोलॉजिकल पार्क में गत वर्ष 28 अप्रेल की रात को पैंथर ने बायोलॉजिकल पार्क की 8 फीट ऊंची दीवार फांद परिसर में प्रवेश किया फिर ब्लैक बक के एनक्लोजर में छलांग लगा नाइट शेल्टर तक पहुंच गया। पैंथर को सामने देख ब्लैक बक में भगदड़ मच गई। इस दौरान शेल्टर के गेट से 6 दिन का शावक बाहर निकल गया। जिस पर पैंथर ने हमला कर शिकार कर लिया। विभाग को घटना का पता अगले दिन लगा था। पार्क साढ़े तीन किमी लंबा है और वन्यजीवों की निगरानी के लिए 4 गार्ड तैनात हैं।
सीजेडए ने जताई थी आपत्ति
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने पूर्व में अभेड़ा बायोलोजिकल पार्क की सुरक्षा दीवार पर लगी लोहे की एंगलों पर आपत्ति जताई थी। प्राधिकरण का कहना था कि लोहे की एंगल की जगह सौलर वाली पैंथर प्रूफ फैंसिंग लगवाई जाए। इस फैंसिंग से वन्यजीवों को हल्का करंट का झटका लगता है। जिससे पैंथर अंदर नहीं आ सके।
24 मीटर लंबी दीवार है जो टूट गई थी। ऐसे में तत्कालीन व्यवस्था कर 4 फीट ऊंची कच्ची दीवार बना दी है। जू-मेंटिनेंस के लिए सरकार से 20 लाख का बजट मांगा है, जिसमें प्रोटेक्शन वॉल के साथ अन्य काम भी करवाए जाएंगे। जब तक बजट नहीं मिल जाता तब तक हम पक्की दीवार बनवाने की स्थिति में नहीं है।
- सुनील गुप्ता, डीएफओ, वन्यजीव विभाग कोटा
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