हाड़ौती की उपज से मुनाफा कमा रहा गुजरात, धनिया प्रोसेसिंग यूनिट नहीं होने से किसानों को नुकसान
गुजरात के व्यापारी फसल को प्रोसेस कर भेज रहे विदेश
हाड़ौती की भूमि में उत्पादित होने वाला धनिया देश ही नहीं विदेशियों की भी पहली पसंद बना हुआ है।
कोटा। हाड़ौती की भूमि में उत्पादित होने वाला धनिया देश ही नहीं विदेशियों की भी पहली पसंद बना हुआ है। खाड़ी देशों सहित अन्य देशों में यहां के धनिये की काफी डिमांड है, लेकिन विडंबना यह है कि हाड़ौती की उपज का जो मुनाफा हमारे किसानों को मिलना चाहिए वो कमाई गुजरात के व्यापारी कर रहे हैं। कोटा व बारां जिले में धनिया की सबसे उच्च क्वालिटी वाली पैदावार होती है। इसके बावजूद यहां के किसानों को क्वालिटी के हिसाब से दाम नहीं मिल पाता है। इसका कारण यह है कि हाड़ौती में धनिया की प्रोसेसिंग यूनिट नहीं हैं। जिससे यहां के किसानों से खरीदा गया धनिया गुजरात जाता है। वहां प्रोसेसिंग यूनिट में गुणवतापूर्ण करने के बाद विदेशों में भेजा जाता है। इससे गुजरात के व्यापारियों को ज्यादा मुनाफा होता है।
यहां प्रोसेसिंग यूनिट व एफपीओ की दरकार
स्थानीय किसानों को पर्याप्त प्रोत्साहन व आवश्यक संसाधनों की कमी के कारण वे अपनी उपज पर ज्यादा कमाई नहीं कर पा रहे हैं। उन्हें उचित भाव नहीं मिलने से आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। किसानों का कहना है कि जिले में दो-तीन प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित करने के साथ फार्मर प्रोड्यूसर ऑगेर्नाइजेशन (एफपीओ) बना दिए जाएं तो हमारा जिला धनिया का हब बन सकता है। इससे स्थानीय स्तर पर धनिया का निर्यात संभव होगा व रोजगार के अवसर पैदा होंगे। वर्तमान में इस फसल से जुड़े किसानों के लिए फार्मर प्रोड्यूसर आॅर्गेनाइजेशन बनाने की दरकार है। 40-50 किसानों का एक एफपीओ बनाकर उसका पंजीकरण करवाना होता है, जिस पर केंद्र सरकार की निगरानी रहती है। इससे हाड़ौती धनिया का हब बन सकता है।
यहां का धनिया इसलिए है खास
धनिया के व्यापारी मोहित जैन ने बताया कि देश के विभिन्न राज्यों में पैदा होने वाले धनिया की अलग-अलग क्वालिटी है। जिसमें सबसे ज्यादा ग्रेवी हाड़ौती संभाग की जमीन से पैदा होने वाले धनिया में निकलती है। यहां का धनिया बड़े आकार का होने के बावजूद उसका वजन कम होता है और उसमें खुशबू भी अच्छी होती है। खुशबू मालवा के खेतों से आने वाले धनिया में भी देखने को मिलती है, लेकिन उसके दाने के आकार में अंतर आता है। गुजरात में पैदा होने वाले धनिया में खुशबू नहीं होती है। इस कारण उसकी बाजार दर कम होने से हाड़ौती के धनिये को मिक्स करके बेचा जाता है। इससे वहां कें व्यापारियों को ज्यादा कमाई होती है।
विदेशों में लग चुकी प्रोसेसिंग इकाइयां
धनिया निर्यातक मुकेश गुप्ता के अनुसार विदेशों में मांसाहारी सब्जियों का सेवन ज्यादा होता है। जिसकी दुर्गंध को समाप्त करके खुशबू देने के लिहाज से उसमें सबसे ज्यादा धनिया डाला जाता है। धनिया सुगंध के साथ पाचन क्रिया में फायदेमंद होता है। जिसके कारण उसकी मांग निरंतर बढ़ रही है। विदेशों में धनिया पाउडर का प्रचलन है। कुछ मसाला कंपनियों ने तो विदेशों में अपनी प्रोसेसिंग इकाइयां तक लगाई हुई है। इसके माध्यम से वह हाड़ौती के धनिये का पाउडर बनाती है और इसके बाद बाद महंगे दामों में उसकी बिक्री करते हैं। यहां का धनिया विदेशी कंपनियों को अच्छा मुनाफा कमा कर दे रहा है।
मंडी में धनिया के भाव (रुपए प्रति क्विं)
- धनिया बादामी 5800 से 6600
- धनिया ईगल 6700 से 7100
- धनिया रंगदार 7100 से 10500
इनका कहना
सरकार को हाड़ौती में प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करनी चाहिए। इससे किसानों को अपनी उपज बेचने में आसानी होगी व उसका उचित भाव मिलेगा। जिले में प्रोसेसिंग की सुविधा हो तो ज्यादा मुनाफा हो सकता है। वहीं ज्यादा किसान यह फसल उगाने के लिए प्रोत्साहित होंगे
- मथुराप्रसाद, किसान
हाड़ौती के धनिये की विदेशों में काफी डिमांड रहती है। इस फसल में पानी की ज्यादा जरूरत नहीं होती है। इस कारण असिंचित भूमि वाले किसान भी इसकी खेती के प्रति रुझान दिखा रहे हैं। प्रोसेसिंग यूनिट का मामला राज्य सरकार के स्तर का है।
- नंदबिहारी मालव, उपनिदेशक, उद्यान विभाग

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