शहर में विसर्जन के लिए बने अलग कुंड तो स्वच्छ रहेंगे जलाशय

प्रतिमा विसर्जन को लेकर लोगों ने कहा

शहर में विसर्जन के लिए बने अलग कुंड तो स्वच्छ रहेंगे जलाशय

प्रति वर्ष की भांति अनन्त चतुर्दशी, कृष्ण जन्मोत्सव, गणेशोत्सव और नवरात्रि में सार्वजनिक पांडालों में विराजित विशाल और छोटी बड़ी लाखों प्रतिमाओं को फिर से चंबल, किशोर सागर तथा छोटे बड़े जलाशयों में विसर्जन किया जाएगा।

कोटा। कोटा स्मार्ट सिटी बनने की ओर अग्रसर है। प्रति वर्ष की भांति अनन्त चतुर्दशी, कृष्ण जन्मोत्सव, गणेशोत्सव और नवरात्रि में सार्वजनिक पांडालों में विराजित विशाल और छोटी बड़ी लाखों प्रतिमाओं को फिर से चंबल, किशोर सागर तथा छोटे बड़े जलाशयों में विसर्जन किया जाएगा। ऐसे में इन मूर्तियों से निकलने वाले रसायन और अघुलनशील प्लास्टर ऑफ पेरिस, मालाएं, कपड़ा और अन्य सामान तालाबों में समर्पित किया जाएगा। इससे फिर हमारे जलाशय प्रदूषित होंगे और जलीय जीव जंतुओं के जीवन पर संकट आएगा। ऐसे में शहर के लोगों को मिलकर ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि हमारी धार्मिक भावनाएं भी बनी रहें और हमारे जलाशय स्वच्छ बने रहें। इसी मुददे को लेकर नवज्योति ने शहर के लोगों से बातचीत की। प्रस्तुत हैं उसके अंश। उच्च न्यायालय के निर्देश अनुसार स्थानीय प्रशासन करे काम राजस्थान उच्च न्यायालय ने इस संबंध में सरकार को निर्देश दे रखे हैं। करीब आठ नौ वर्ष पहले हमारी ही याचिका पर हाई कोर्ट ने निर्देश दिए थे कि विसर्जन के लिए अलग से कुंड का निर्माण कराया जाए। भीलवाड़ा शहर में यह व्यवस्था कायम है। यदि अलग कुंड में विसर्जन होता है तो जलीय जीव जंतुओं को कोई नुकसान नहीं होगा और हमारी धार्मिक भावनाएं भी बनी रहेगी। कोटा में स्थानीय प्रशासन को भी इस संबंध में हाई कोर्ट के निर्देशानुसार निर्णय लेना चाहिए। -बाबू लाल जाजू, पर्यावरणविद

ना बिक्री पर रोक लग सकी ना क्रेज हुआ कम कोरोना काल से मजदूर और निम्न वर्ग आमदनी के संकट से परेशान है। जो लोग मूर्ति बनाकर अपने और अपने परिवारों का जीवन यापन करते हैं उन पर रोक लगाना मानवीय दृष्टि से ठीक नहीं। ऐसे में बीच का रास्ता निकालना ही अच्छा समाधान है। हर शहर में सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि नदी,तालाबों में प्रदूषण भी ना हो और धार्मिक भावनाएं बनी रहें। सात ही लोगों को रोजगार भी मिलता रहे। इसका एक मात्र समाधान विसर्जन के समय अस्थाई व्यवस्था की जाए जैसी भीतरिया कुन्ड में पिछले वर्ष की गई थी। अथवा कोई ऐसा कुन्ड बनाया जाए जहां विसर्जन हो सके और और फिर उसकी सफाई कर दी जाए। -राकेश राकू, चंबल बचाओ संघर्ष समिति

सरकार की ओर से प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां बनाने और बिक्री पर रोक लगा रखी है उसके बावजूद प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों का ना तो क्रेज कम हुआ ना ही मांग घटी। हर साल हम अभियान चलाकर पीओपी मूर्तियां ना बने इसके लिए पुलिस व प्रशासन की मदद से कलाकारों से मिलकर रोकने का प्रयास करते हैं। लेकिन फिर भी शहर में गणेशोत्सव से पहले बड़ी संख्या में मूर्तिया बिकने आती ही है। हालांकि अब लोगों में जागृति आने लगी है और मिट्टी प्रतिमाएं ही खरीद रहे हैं लेकिन नगर निगम व यूआईटी को चाहिए की गणेशोत्सव में मूर्तियों के विसर्जन के लिए सरकार हर शहर में एक कुंड तैयार करें । जहां प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों का विसर्जन किया जाए। उसके बाद उस कुंड से मूर्तियों व पानी की निकासी कर कुंड को खाली कर दें तो मूर्तिकारों को रोजगार बना रहेगा। दूसरा शहर के नदी तालाब प्रदूषण होने से बच जाएंगे। शहर के भीतरियां कुंड व किशोर सागर तालाब पर ये कुंड निर्माण करें तो अन्नत चर्तुदशी पर होने वाले विसर्जन से जल भी दूषित नहीं होगा और लोगों की धार्मिक आस्था भी बनी रहेगी। इन कुंड का बाकी समय खाद बनाने में उपयोग कर निगम दोहरा लाभ उठा सकती है। -डॉ. सुधीर गुप्ता, संयोजक

हम लोग संस्थान स्थाई ठिकाना बने सरकार की ओर से पीओपी की मूर्तियां बनाने और बिक्री पर रोक लगा दी है। साथ ही मूर्तियों की ऊंचाई को लेकर कलाकारों को नोटिस दिए जा रहे है। ऐसे में कुंभकारों का रोजगार छीनता जा रहा है। पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि नगर निगम की ओर से भीतरिया कुंड, किशोर सागर तालाब पर अलग से ऐसे कुंड का निर्माण किया जाना चाहिए जिससे प्रतिमाओं के विसर्जन का स्थाई ठिकाना बनाया जा सके। उसे समय समय पर साफ कर देने से जल प्रदूषण भी नहीं होगा। साथ ही मूर्तियों की मिट्टी भी पुन: बगीचों में काम आएगी। -कुंदन चीता, हाडौती पर्यावरण समिति

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प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों के विसर्जन के लिए बने स्थाई कुंड सरकार ने प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों की बिक्री पर रोक लगाने के बाद आजकल मूर्तिकार पानी में घुलने और कच्चे रंगों का इस्तेमाल कर रहे हैं। जिससे विजर्सन के बाद मूर्ति पानी में गल जाए और उसके कलर से जलीय जीवों को नुकसान भी नहीं हो। बड़ी मूर्तियों में नारियल की जूट का प्रयोग किया जाता है जिससे मूर्तियां पानी में विसर्जन के बाद भी घुलती नहीं है। पिछले दो साल से कलाकारों ऐसी मूर्तियां बनाना बंद कर दिया है। अब पानी में घुलनशील मिट्टी की मूर्तिया तैयार कर रहे है। हालांकि प्लास्टर ऑफ पेरिस स्थानीय कलाकार ना भी बनाए तो बाहर से त्यौहारों पर ये बिकने आती ही है। सस्ती होने से लोगों में अभी इसका क्रेज कम नहीं हुआ ना ही मांग घटी है। नगर निगम की ओर गणेशोत्सव में प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों के लिए भीतरिया कुंड, किशोर सागर तालाब में स्थाई पक्का गणेश कुंड तैयार करें जहां प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों का विसर्जन जा सके। मूर्तियों के गलने के बाद उस पानी को खाली कर उसकी मिट्टी उपयोग किया जा सकता है। जिससे मूर्तिकारों को रोजगार बना रहेगा। दूसरा शहर के नदी तालाब प्रदूषण होने से बच जाएंगे। - शंकर,मूर्तिकार कोटा

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