बेसिक संसाधन मिले तो खिलाड़ी लहरा देंगे परचम, खिलाड़ियों के लिए नहीं पूरी सुविधाएं

वर्ल्ड एथलेटिक्स डे आज: एथलेटिक्स दिवस सिर्फ एक खेल दिवस नहीं

बेसिक संसाधन मिले तो खिलाड़ी लहरा देंगे परचम, खिलाड़ियों के लिए नहीं पूरी सुविधाएं

स्वस्थ जीवनशैली और युवा सशक्तिकरण का प्रतीक भी।

कोटा। कोटा में खेल को लेकर युवाओं में जोश और जनून दोनों है। यहां के युवक युवतियां विश्व स्तर पर कोटा की पहचान बना चुके है।  लेकिन एथलेटिक्स में अभी काफी सूखा है। अभी तक राष्ट्रीय स्तर तक ही एथलेटिक्स पहुंच सके है। यहां अच्छा सिंथेट्रिक ट्रैक तो बना दिया लेकिन अच्छे कोच और खेल सामग्री नहीं होने से खिलाड़ी अभी अंतरराष्ट्रीय स्तर अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा पाए है।  विश्व एथलेटिक्स दिवस सिर्फ एक खेल दिवस नहीं है, बल्कि यह एक स्वस्थ जीवनशैली और युवा सशक्तिकरण का प्रतीक है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि खेल सिर्फ जीतने के लिए नहीं बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए आवश्यक हैं। विश्व एथलेटिक्स दिवस  हर साल 7 मई  को मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य युवाओं में खेलों, विशेषकर एथलेटिक्स के प्रति रुचि को बढ़ाना और स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता फैलाना है। यह दिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है और इसकी शुरुआत अंतरराष्ट्रीय एमेच्योर एथलेटिक्स महासंघ  द्वारा की गई थी, जिसे अब वर्ल्ड एथलेटिक्स  के नाम से जाना जाता है। 

खिलाड़ियों के लिए नहीं पूरी सुविधाएं
कोटा में एथलेटिक्स में अपना नाम रोशन करने के लिए युवा आतुर है लेकिन उनको खेल सामग्री और संसाधन नहीं मिलते जिससे वो आगे नहीं बढ़ पा रहे है। यहां अच्छे सिखाने वाले कोच की कमी है। सिंथेटिक ट्रैक तो बना दिया लेकिन अन्य संसाधन नहीं है। ऐसे में खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर भी नहीं पहुंच पाते है। अगर आपके पास अच्छा कोच है तभी आप अच्छी उपलब्धि हासिल कर सकते है। यहां अच्छी खेल एकडमी नहीं है जहां अभ्यास किया जा सकें। मैं छठी कक्षा से खेलना शुरू कर दिया। अच्छी रैंक आने लगी तो एकडमी ज्वाइन की। फिर कोच विशाल मीणा के सानिध्य में खेल सुधार हुआ और मेडल मिलने लगे। कोटा में मध्यम वर्गीय परिवार के बच्चों के लिए खेल में आगे बढ़ने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है। खिलाड़ी के लिए सबसे परेशानी आर्थिक प्रबंधन की आती है। खेल की ट्रैनिंग फिटनेस और डाइट के लिए पैसे चाहिए होते है। अभी वर्तमान 200 मीटर दौड़ में जुनियर नेशनल सिल्वर मेडिल जीता है। वेस्ट जोन में 100 व 200 मीटर दौड़ दो गोल्ड मेडिल जीते। एथलेटिक्स में युवतियों के लिए कई बेहतर विकल्प है। लड़कियां रोटिया बनाने का दम रखती तो रोटी कमाने का दम रखें खेल के साथ हर फिल्ड में लड़कियां अपना परचम फहरा रही है। मेडल लाने वाले खिलाड़ियों को आर्थिक सहायता मिलनी चाहिए। संसाधन बढ़ाने की आवश्यकता है।  जिससे  खिलाड़ी बेहतर प्रदर्शन कर सकें।  
- आइशा खानम, राष्ट्रीय एथलेटिक्स खिलाड़ी

रिजनल सेंटर में पचास फीसदी ही खेल सामग्री मिलती है
सरकार खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने के लिए कई प्रोत्साहन योजनाएं चला रही है। खेल मैदान भी विकसित कर रही है। लेकिन अभी कोटा में एथलेटिक्स के लिए पूरे संसाधन नहीं है। कोटा में श्रीनाथपुरम में साढे आठ करोड़ की लागत से सिंथेटिक ट्रैक बनाया लेकिन वहां फूटबॉल व अन्य खिलाड़ी भी अभ्यास करते है। इसके अलावा ट्रैंक पर मॉर्निंग वॉक वालों की दखल है। ऐसे में कई बार दौड़ के दौरान फूटबॉल की ट्रैंक पर आ जाती है जिससे खिलाड़ी स्पीड बाधित हो जाती है। टोकने पर खिलाड़ी आपस में भीड़ जाते है। एथलेटिक्स के लिए ही ट्रैक प्रयोग होना चाहिए। गोला फेंक, भाला फेंक, तस्तरी फेंकने अभ्यास के लिए  अलग से स्थान नहीं है। इसके लिए अलग से स्थान निर्धारित होना चाहिए। श्रीनाथपुरम स्टेडियम व उम्मेद सिंह स्टेडियम में बेसिक संसाधन तक नहीं है। रिजनल सेंटर पर खेल सामग्री 50 फीसदी ही मिलती है। संसाधन बढ़ाने की आश्यकता है। दो स्टेडियम है लेकिन  एथलेटिक्स के लिए उपयोग नहीं हो रहा है। बेसिक सुविधा की ज्यादा जरुरत है। 
- श्याम बिहारी नाहर, कोच व वरिष्ठ गोला फेंक खिलाड़ी

यहां राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर का ट्रैक है अभ्यास के लिए
कोटा में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय खेलकूद प्रतियोगिता कराने के लिए और अभ्यास के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर का श्रीनाथपुरम में स्टेडियम बना हुआ है। उसमें दौड़ के लिए सिंथेटिक ट्रैक जहां खिलाड़ी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के लिए अभ्यास कर सकते है। एथलेटिक्स के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे है। 
- यतिंद्र बहादुर सिंह खेल अधिकारी कोटा

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गोला व भाला फेंक के अभ्यास के लिए नहीं है मैदान
कोटा में एथलेटिक्स के आगे बढ़ने के लिए युवा आतुर है लेकिन यहां अभ्यास के समित संसाधन है। अभ्यास के लिए अलग से मैदान नहीं है। सभी खेलों  के खिलाड़ी एक ही स्टेडियम में अभ्यास करते है। ऐसे में कभी दुर्घटना का खतरा बना रहता है। भाला फैंक, गोला फेंक और डिस के लिए अलग से स्थान होना चाहिए जिससे खिलाड़ी सुरक्षित अभ्यास कर सकें। 
- कुंदन गुर्जर, कांस्य पदक विजेता एथलेटिक्स गोला फेंक 

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