असर खबर का - अब शहरवासियों को गड्ढ़ों के दर्द से मिलेगी निजात
पॉलीटेक्निक कॉलेज से एयरपोर्ट लिंक रोड का मामला, नई सड़क के साथ डिवाइडर पर लगेंगे विद्युत पोल
सड़क के इस हिस्से पर गहरे गड्ढ़े हो रहे थे, जो अंधेरे में दिखाई नहीं देने से दुपहिया वाहन चालक दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं।
कोटा। डीसीएम रोड स्थित पॉलिटेक्निक कॉलेज से एयरपोर्ट की ओर गुजर रहे लिंक रोड की जल्द ही दशा सुधरेगी। लंबे समय से क्षतिग्रस्त हो रही सड़क की एक लेन को दोबारा बनाया जा रहा है। जिससे वाहन चालकों को गड्ढ़ों से निजात मिल सकेगी। वहीं, हाल ही में बनाए गए डिवाइडरों पर विद्युत पोल भी लगाए जाएंगे। जिससे रात के समय सड़क पर अंधेरा पसरे रहने की समस्या का भी समाधान हो सकेगा। इन दिनों केडीए की ओर से पॉलिटेक्निक कॉलेज से एयरपोर्ट जाने वाले लिंक रोड का निर्माण करवाया जा रहा है।
नई बनेगी दो किमी डामर सड़क
यह सड़क करीब दो किमी लंबी है, जो जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हो रही थी। ऐसे में आवागमन के दौरान गहरे गड्ढ़ों के कारण वाहन चालक दुर्घटनाग्रस्त हो रहे थे। वहीं, वाहनों का मेंटिनेंस भी बढ़ रहा था। ऐसे में केडीए द्वारा सड़क को फिर से बनाया जा रहा है, जो 10 से 15 दिन की अवधि में पूरी हो जाएगी। बता दें, दैनिक नवज्योति ने लगातार इस मामले को लेकर प्रमुखता से समाचार प्रकाशित कर वाहन चालकों की परेशानियों से प्रशासन को अवगत कराया था। इसके बाद केडीए ने नए सिरे से सड़क का निर्माण कार्य शुरू करवाया।
रोशन होगी सड़क, अंधेरे से मिलेगी राहत
लिंक रोड पर आधे हिस्से पर रोड लाइटें लगी हुई और आधा हिस्सा अंधेरे में डूबा रहता है। जिसकी वजह से रात के समय यहां से गुजरने के दौरान वाहन चालक खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं। पॉलिटेक्निक कॉलेज से अपना घर आश्रम तक डिवाइडर पर लाइटें लगी होने से सड़क पर रोशनी रहती है लेकिन आश्रम से एयरपोर्ट तक डिवाइडर पर विद्युत पोल नहीं लगे होने से अंधेरा पसरा रहता है। ऐसे में बाइक सवारों को लूटपाट व अनहोनी का डर सताता है। जबकि, सड़क के इस हिस्से पर गहरे गड्ढ़े हो रहे थे, जो अंधेरे में दिखाई नहीं देने से दुपहिया वाहन चालक दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं।
इनका कहना है
यह सड़क पहले बार-बार क्षतिग्रस्त हो जाती थी। ऐसे में नई तकनीक से पूरी सड़क नई बनाई जा रही है, जो 10 से 15 दिन में बनकर तैयार हो जाएगी। वहीं, इसी अवधि में डिवाइडरों पर विद्युत पोल लगवा दिए जाएंगे। जिससे अंधेरे की समस्या भी खत्म हो जाएगी।
-रविंद्र माथूर, निदेशक अभियांत्रिकी केडीए
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