एआई लिट्रेसी को स्कूली कोर्स में शामिल करना जरूरी, लेकिन मानवीय मूल्य बने रहें
डिजिटल एजुकेशन एक्सपान्शन को स्पीड की जरूरत
रचनात्मकता बनी रहे, एआई का एथीकल यूज हो, नेशनल एआई लिट्रेसी स्ट्रेटेजी तैयार होनी चाहिए।
कोटा। दैनिक नवज्योति की ओर से प्रतिमाह आयोजित परिचर्चा की श्रंखला के तहत शुक्रवार को जब चीन छोटी क्लास से ही बच्चों को आर्टिफिशियल इंटेलीजेस(एआई) की शिक्षा दे रहा है वहां कोटा जिले में डिजीटल लिट्रेसी की क्या स्थिति है इस मुद्दे पर वक्ताओं ने विचार विमर्श किया। परिचर्चा का विषय था ( वाट इज द पॉ्जिशन आॅफ डिजिटल लिट्रेसी इन कोटा व्हेन चाइना हेज मूव टू एआई लिट्रेसी) परिचर्चा में शिक्षा विभाग की संयुक्त निदेशक, कोटा यूनिवर्सिटी की डीन, रोबोटिक इंजीनियर, इनोवेटर, एआई टीचर, शिक्षाविद, प्राइवेट व सरकारी स्कूल के संचालक , प्रिंसिपल, कम्प्यूटर एक्सपर्ट, पैरेन्ट्स और बच्चोंं ने भाग लिया। परिचर्चा में सभी वक्ताओं ने स्कूलों में छोटी क्लासेज से ही एआई को सब्जेक्ट के रूप में पढ़ाने पर जोर दिया लेकिन इसके साथ उनहोंने ऐसा केरिकुलम तैयार करने की भी जरूरत बताई जो मानवीय मूल्यों को बनाए रखे। वक्ताओं ने कहा कि सीबीएसई ने बड़ी क्लास में इसे एैच्छिक रूप से शुरू कर दिया है। इसे कम्पलसरी करना चाहिए। साथ ही पैरेन्ट्स को भी एजुकेट करने की आवश्यकता बताई। वक्ताओं का कहना था कि एआई की सबसे बड़ी थ्रेट यह है कि यह लोगों को कुन्द कर सकती है। उनकी मौलिकता और रचनात्मकता को खत्म कर सकती है। ऐसी स्थिति में हमें स्पेशल कोर्स डिजाइन कर इसे लागू करना चाहिए। सरकारी स्कूलों में लैब हब्स और टिंकरिंग लैब्स की पर्याप्त सुविधा भी विद्यार्थियों को मिलनी चाहिए।
शिक्षा में डिजिटल साक्षरता की उपयोगिता बढ़ रही
वर्तमान शिक्षा नीति में डिजिटल साक्षरता पर पूरा फोकस किया जा रहा है। स्मार्ट क्लॉस में बच्चों को डिजिटल शिक्षा के साथ एआई के उपयोग के बारे में भी पढाया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्र में टेलेंट की कमी नहीं है। सरकारी स्कूलों में शिक्षा में लगातार नवाचार किए जा रहे है। बच्चों को कम्प्यूटर शिक्षा के साथ डिजिटल साक्षरता भी दी जा रही है। एआई का प्रयोग करना भी बताया जा रहा है। सरकारी स्कूल निजी स्कूलों के मुकाबले अब बेहतर प्रदर्शन कर रहे है। निजी स्कूलों में बच्चों रटाया जाता है। लेकिन सरकारी स्कूलों बच्चों स्मार्ट बनाया जाता है। उन्हें मौलिकता के साथ डिजिटल एजुकेशन के प्रयोग भी बताए जा रहे है। अभी समिति संसाधान है लेकिन सरकार की ओर से डिजिटिल शिक्षा को लेकर काफी बदलाव किए है। 80 प्रतिशत स्कूलों में डिजिटल साक्षरता का उपयोग हो रहा है। इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं मिलने वाले क्षेत्रों में कुछ परेशानी है बाकी स्कूलों में आधुनिक कम्प्यूटर लेब स्मार्ट क्लॉस में बच्चों सारी समस्याओं का समाधान हो रहा है। हालांकि कुछ विषय के अध्यापकों की कमी है लेकिन सरकार उनके रिक्त पदों को भी भर रही है। सरकारी स्कूल के बूनियादी ढांचे में पहले की अपेक्षा काफी बदलाव आया है।
-तेजकंवर संयुक्त निदेशक शिक्षा विभाग कोटा
डिजिटल साक्षरता से युवा सोच का दायरा बढ रहा
जहां एक ओर डिजिटल साक्षरता युवाओं की सोच के दायरे को बढ़ा रही है और हर काम आसान कर रहा है। वहीं दूसरी ओर बच्चे इस पर आश्रित भी हो रहे है। वो छोटी छोटी चीजों के लिए भी एआई का सहारा ले रहे जिससे उनके अंदर नवाचार करने की प्रवृति खत्म हो रही है। डिजिटल साक्षरता जरूरी है लेकिन इस पर निर्भर नहीं होना है। इसका उपयोग अपनी सोच के दायरे को व्यापक करने तक ही सीमित रखना चाहिए। एआई के प्रयोग के साथ हमें अपने नैतिक मूल्यों के संरक्षण की भी आवश्यकता है। हर स्कूल में एआई ट्रेंड टीचर होना चाहिए जो एआई के प्रयोग को ठीक से समझा सकें। बच्चों को डिजिटल साक्षरता के लिए जागरूक करने की आवश्यकता है। हमें यह देखना होगा बच्चों की किस विषय में रूचि है। कोटा के कई स्कूलों में 9 से 12 में एआई शिक्षा शुरू हो चुकी है। डिजिटल साक्षरता से पहले हमें अभिभावकों की सोच में बदलाव लाना होगा। अभिभावकों के साथ लगातार कार्यशालाएं आयोजित कर बच्चों की क्या जरूरत है उसी के अनुसार उसे तैयार करना चाहिए। इस क्षेत्र में अभी काफी काम करने की आवश्यकता है।
-जसपिंदर साहनी, प्रिंसीपल एमबी इंटरनेशनल स्कूल
डीएमआई टेस्ट से जान सकेंगे हैं बच्चे की रूचि
कोटा में डिजिटल साक्षरता बढ़ाने की आवश्यकता है। बच्चों के सामने सबसे बड़ी समस्या केरियर चुनने की आती है। ऐसे में डीएमआईडमेर्टोग्राफिक मल्टीपल इंटेलिजेंस टेस्ट (डीएमआईटी) एक ऐसा टेस्ट है जो फिंगरप्रिंट पैटर्न का विश्लेषण करके किसी व्यक्ति की जन्मजात प्रतिभा, व्यक्तित्व और बुद्धि के बारे में जानकारी प्रदान करता है। यह एक वैज्ञानिक रूप से समर्थित मूल्यांकन है जो व्यक्ति की अद्वितीय क्षमताओं और संभावित सीखने की शैली को समझने में मदद करता है। डीएमआईटी का मतलब है डमेर्टोग्लिफिक्स मल्टीपल इंटेलिजेंस टेस्ट। डमेर्टोग्लिफिक्स उंगलियों और हथेलियों पर पाए जाने वाले अनूठे पैटर्न का अध्ययन है। यह टेस्ट फिंगरप्रिंट के पैटर्न का विश्लेषण करके मस्तिष्क के विभिन्न क्षेत्रों से उनके संबंध को समझने का प्रयास करता है, जिससे व्यक्ति की जन्मजात क्षमताओं और सीखने की शैली के बारे में जानकारी मिलती है। टेस्ट रिपोर्ट व्यक्ति की ताकत, कमजोरियों, सीखने की शैली और संभावित करियर विकल्पों के बारे में जानकारी मिल जाती है। यह टेस्ट छात्रों को उनकी ताकत और कमजोरियों के आधार पर सही शैक्षणिक मार्ग चुनने में मदद करता है।
-जितेंद्र वर्मा, एआई शिक्षक आई स्टार्ट नेस्ट
कोरोना काल में अपनाई एआई तकनीक
किसान परिवार से होने के कारण किसानों की समस्याओं को नजदीकी से देखा। किसानों को खेती के हर काम के लिए अलग मशीन का उपयोग करना पड़ता है। कक्षा 10 वीं तक पेंटिग का शौक रहा। उसी समय कोरोना काल आया। जिसमें डिजिटल तकनीक का अधिक उपयोग हुआ। ऐसे में किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए स्टार्टअप किया और ऐसी तकनीक इजात की। जिससे एक ही मशीने किसानों की हर जरूरत को पूरा कर रही है। उनके इस काम को प्रधानमंत्री ने भी सराहा तो आगे काम करने का अवसर मिला।
-आर्यन सिंह, फाउंडर मेरा साथी प्रा. लि.
प्रतिस्पर्धा के लिए तकनीक का ज्ञान जरूरी
दुनिया के साथ चलना है और विश्व के अन्य देशों से प्रतिस्पर्धा करनी है तो तकनीक का ज्ञान जरूरी है। लेकिन उसके साथ ही भारतीय संस्कृति को भी जीवित रखना होगा। ग्रामीण क्षेत्रों मेंं बच्चों में छिपा टेलेंट अधिक है। उसे सही दिशा में ले जाने की जरूरत है। एआई का उपयोग जानकारी के लिए किया जाना अच्छा है लेकिन उसके दुरुपयोग को भी रोकने की जरूरत है। वहीं बच्चों को उनकी रूचि के हिसाब से आगे बढ़ाना होगा तभी वे अपने क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर सकेंगे।
-अशोक कुमार गुप्ता, फ्रोफेसर रिटा. प्रिंसिपल जेडीबी
एआई का सही दिशा में हो उपयोग
एआई पर कोटा में हर स्तर पर काम हो रहा है। यूनिवर्सिटी में भी अच्छा काम हो रहा है। डिजिटल लिट्रेसी बढ़ रही है। वर्तमान समय में डिजिटल व एआई तकनीक का ज्ञान जरूरी है। लेकिन उसके साथ ही संस्कृति का ह्रास न हो इसका भी ध्यान रखना होगा। तकनीक का उपयोग करने के साथ ही बच्चों की सोच में वैज्ञानिक दृुष्टिकोण विकसित करने की जरूरत है। एआई का जितना लाभ है उससे अधिक नुकसान भी है। एआई को सोशल मीडिया अधिक प्रभावित कर रहा है। ऐसे में बच्चों के साथ ही परिजनों में भी जागरूकता की जरूरत है। इसकी शुरुआत खुद से करनी होगी।
- रीना दाधीच, प्रोफेसर कोटा यूनिवर्सिटी
बच्चों में टेलेंट, सही दिशा देने की जरूरत
आज के बच्चों में टेलेंट काफी है। जरूरत उन्हें सही दिशा देने की है। शहरों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे डिजिटल तकनीक का अधिक उपयोग कर रहे हैंं वह भी सकारात्मक रूप में। स्किल के साथ डिजिटल तकनीक का उपयोग पिछले 5 साल में अधिक बढ़ा है। इस दिशा में सहरिया बच्चे भी काफी आगे हैं। जरूरत है कि एआई के नकारात्मक पहलुओं को रोका जाए। जिससे उसके दुष्परिणाम नहीं हो।
-विभा शर्मा, डायरेक्टरसीएसटी कम्प्यूटर इंस्टीट्यूट
एआई से रीयल टेलेट हो रहा खत्म
वर्तमान में हर क्षेत्र में एआई का अधिक उपयोग होने लगा है। संगीत में भी इसका उपयोग तेजी से होने लगा है। एआई के आने से रीयल टेलेंट खत्म हो रहा है। समय के साथ चलना है तो डिजिटल तकनीक का उपयोग भी जरूरी है। लेकिन उसके नकारात्मक पहलुओं को रोकने की भी जरूरत है। क्रियटिविटी बनी रहे। हालांकि आज की यह जरूरत है लेकिन इसके नकारात्मक पहलुओं पर भी हमें सोचना होगा।
-शिल्पी सक्सेना, डायरेक्टर संगीत वाटिका
शिक्षा में अपग्रेट हमेशा होना चाहिए
डिजिटल साक्षरता और शिक्षा में अंतर समझना होगा। वर्तमान में शिक्षा के साथ डिजिटल साक्षरता वर्तमान की जरुरत है लेकिन इसका उपयोग किस प्रकार से किया जा रहा है विचारणीय प्रश्न है। स्कूलों में मौलिक शिक्षा के साथ डिजिटल शिक्षा जरूरी है। चायना में प्राइमेरी स्तर पर ही लोगों को व्यवसायी शिक्षा के लिए तैयार किया जाता है। वहां एआई कक्षा छह से शुरू कर रहे हमारे यहां डिजिटल और एआई को शिक्षा में समावेश किया है लेकिन अभी उसका व्यापक उपयोग नहीं हो रहा है। शिक्षा में एआई व डिजिटल शिक्षा को सोच समझकर लागू करने की आश्यकता है। शिक्षा में अपग्रेट हमेशा होना चाहिए लेकिन उसका उपयोग कैसा होगा इस पर भी ध्यान देने की आवश्कता है। हमें विदेशी संस्कृति के पीछे दौडना रोकना चाहिए लेकिन समय के साथ चलना भी आज की जरूरत है।
-देव शर्मा, चेयरमैन कम मैनेजिंग डायरेक्टर क्रेडीजी कोटा
आधी अधूरी लर्निंग से खत्म हो रही क्रियटिविटी
वर्तमान समय में डिजिटल शिक्षा यूथ के लिए जरूरी हो गई है। कारण की भारत डिजिटल क्षेत्र में काफी आगे ग्रोथ कर रहा है। स्कूल कॉलेज में युवाओं को थ्यौरी तो पढाई जाती है। लेकिन प्रेक्टिकल ज्ञान नहीं दिया जाता है। टेक्नोलॉजी में कोडिग नहीं सिखाई जा रही है। युवा एआई से मदद लेकन अपने प्रोजेक्ट पूरा कर रहा है लेकिन वो प्रोजेक्ट कैसे तैयार हुआ उसको बेसिक नॉलेज नहीं मिल रहा है। डिजिटल साक्षरता से युवाओं की क्रिएटिविटी खत्म हो रही है। एआई युवाओं के सीधा मस्तिष्क पर अटैक कर रहा वो स्वयं कोई इनोवेशन नहीं करना चाहता सारा ज्ञान वो एआई से ही लेकर अपने प्रोजेक्ट तैयार कर रहा जो ठीक नहीं प्रेक्टिकल की जगह युवा आएई पर अधीन होता जा रहा है।
-साक्षी गुप्ता, स्टूडेंट
डिग्री की नहीं स्किल बेस शिक्षा की जरूरत
एआई तकनीक का उपयोग तो बहुत अधिक होने लगा है। लेकिन उसके बारे में सही जानकारी का भी होना आवश्यक है। इसके लिए स्कूल से ही बच्चों को इस बारे में सही दिशा में जानकारी देनी की आवश्कता है। जिससे शिक्षा पूरी करने तक बच्चे में विशेषज्ञता आएगी। वर्तमान में डिग्री की नहीं स्किल बेस शिक्षा की जरूरत है। आगे बढ़ने के लिए डिजिटल व तकनीकी शिक्षा बहुत जरूरी है। वर्तमान में जिस तरह से एआई का उपयोग बढ़ रहा है। ऐसे में 2030 तक इससे संबंधित लाखों नौकरियां आने वाली है।
-अरविंद गुप्ता, शिक्षाविद
बच्चे तकनीक का उपयोग करें, पंगु नहीं बनाएं
भारत विकासशील और चीन विकसित देश है। भारत में टेलेंट की कमी नहीं है। दुनिया में सबसे अधिक टेलेंट भारत का ही काम कर रहा है। एआई जो काम अब कर रहा है। वह काम भारत में शंकराचार्य बहुत पहले से कर रहे हैं। बच्चों को एआई और डिजिटल तकनीक का उपयोग करना आना चाहिए लेकिन उसके कारण बच्चों को पंगु नहीं बनाएं। हर माता पिता को चाहिए कि बच्चों को तकनीक का सही उपयोग करना बताएं। मानवीय मूल्यि बने रहने चाहिए।
-नीलम विजय, सोशल एक्टिविस्ट
एआई लोगों की सोच को अपग्रेड करने का एक टूल
कोटा में अभी डिजिटल साक्षरता के क्षेत्र में काम तो हो रहा है लेकिन जिस प्रकार से विकसित देशों में खासतौर से चाइना में इसका उपयोग हो रहा है उस स्तर का अभी भारत में नहीं हो रहा है। लोगों को लगता है एआई आने से लोगों की नौकरियां खत्म होगी यह गलत धारणा है। एआई के प्रयोग से जॉब खत्म नहीं होगा उसका नैचर बदलेगा लोगों को उसके अनुरूप ही अपने को अपग्रेट करना होगा। एआई लोगों को सोच को अपग्रेट करने का एक टूल है। अपनी सोच को व्यापक बनाने के साधन के रूप में देखना चाहिए। वर्तमान शिक्षा नीति में डिजिटल साक्षरता और एआई अपना स्थान बनाने लगी है। लेकिन इसका उपयोग सोच समझकर करने की आवश्यकता है। हर बच्चे में योग्यता की कोई कमी नहीं है उसे सही दिशा देने की आवश्यकता है। वर्तमान शिक्षा थ्यौरी पर ज्यादा जोर दिया जाता है। प्रेक्टिकल पर कम । वर्तमान में डिजिटल साक्षरता लोगों के जीवन का हिस्सा बनती जा रही है। कोटा बेगलूरू से दस साल पीछे चल रहा है। लोगों को नवाचार को अपनाना होगा। कोटा के यूथ को ब्रेन अन्य देशों में काम आ रहा है।
-ओमप्रकाश सोनी, रोबोटिक इंजीनियर एटीएल इंचार्ज
एआई के प्रयोग से शिक्षा अब सार्वभौमिक हो गई है
भारत में नई राष्टÑीय शिक्षा नीति 2020 में आर्टिफिशियल इंटीलीजेंस की महत्वपूर्ण भूमिका के चलते ही इसको एजुकेशन सिस्टम में शामिल करने की सिफारिश की गई है। शिक्षा में एआई की सार्वभौमिकता पहुंच एवं वैश्विक कक्षाएं सर्वसुलभ होने लिए स्कूली शिक्षा में एआई व टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने के लिए सीबीएसई ने एआई तथ इंटरनेट आॅफ थिंग्स को कक्षा 6 से 10 तक के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। चीन की बात करें तो वहां नेक्स्ट जनरेशन एआई डवलमेंट प्लान 2017 को अधिक गहनता से शिक्षा में सम्मलित किया गया है। हमारे देश राष्टÑीय शिक्षा नीति 2020 का लक्ष्य स्थानीय भाषाओं को बढावा देते हुए डिजिटल शिक्षा को बढावा देना है। तथा हॉलिस्टिक एजुकेशन की ओर लेकर जाना है। वहीं चीन का लक्ष्य 2023 तक एआई में वैश्विक नैतृत्व पाना है। देश में सीबीएसई ने कक्षा 9 से 11 तक में एआई को इलेक्टिव पेपर के रूप में रक्षा है वहीं चीन में इसे प्राथमिक कक्षाओं से ही पढ़ाया जा रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस अब भविष्य का वादा नहीं रह गया है। बल्कि आज शिक्षा में सक्रिय रूप से आगे बढाया जा रहा है। इसके द्वारा ड्रीम बॉक्स, स्मार्ट स्पैरो जैसे प्लेटफार्म द्वारा उन्नत वैयक्तिक शिक्षण हो रहो रहा है। ग्रेड स्कोप जैसे उपकरणों में एएआई द्वारा ग्रेडिंग शेड्यूलिंग, रिपोर्ट निर्माण जैसे कार्य किए जा रहे हंै।
-डॉ. मीनू माहेश्वरी, कोटा विश्व विद्यालय
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