सरकारी कॉलेजों में एमए नहीं, यूजी के बाद ही छूट रही बेटियों की पढ़ाई
ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी कॉलेजों में 7 से 21 साल बाद भी पीजी नहीं हुई शुरू
एमए के लिए 60 से 75 किमी भटकने को मजबूर विद्यार्थी।
कोटा। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित सरकारी कॉलेजों में 7 से 21 साल बाद भी एमए शुरू नहीं हो सका। यूजी के बाद विद्यार्थियों को पीजी करने के लिए 60 से 75 किमी दूर कोटा या झालावाड़ जाना पड़ता है। लेकिन, ग्रामीण परिवेक्ष में लड़कियां इतनी दूरी पर नहीं जा पाती। नतीजन, बीए के बाद उनकी पढ़ाई छूट जाती है। रही बात लड़कों की तो उन्हें शहरी कॉलेजों में सीमित सीटों के कारण पीजी में रेगुलर एडमिशन नहीं मिल पाता। नतीजन, हजारों विद्यार्थी पीजी (एमए) करने से वंचित रह जाते हैं। जबकि, इन महाविद्यालयों में विद्यार्थियों द्वारा एमए शुरू किए जाने की डिमांड कर चुके हैं, इसके बावजूद कॉलेजों में एमए शुरू नहीं हो पा रहा। दरअसल, कोटा ग्रमीण क्षेत्रों के इटावा, कनवास, रामगंजमंडी व सांगोद में राजकीय महाविद्यालय संचालित हुए करीब 7 से 21 साल हो चुके हैं। इसके बावजूद यहां पीजी संकाय शुरू नहीं किए गए। हालांकि, राजकीय महाविद्यालय सांगोद में पिछले सत्र में ही राजनेतिक विज्ञान में एमए शुरू हुई है। लेकिन, 6 अन्य विषयों में पीजी शुरू नहीं हो सकी।
कोटा या झालावाड़ जाना मजबूरी
रामगंजमंडी कॉलेज के छात्रों का कहना है कि वर्ष 1999 में महाविद्यालय खुला था। यहां दो संकाय कला और वाणिज्य चलता है। दोनों ही यूजी स्तर पर है लेकिन पीजी नहीं खोला गया। इसके लिए विधायक, मंत्री व मुख्यमंत्री के नाम तक ज्ञापन दे चुके। धरना प्रदर्शन भी किए, आयुक्तालय कमीशनर के नाम पत्र भी लिखे लेकिन हर प्रयास विफल हो गए। ऐसे में बीए व बीकॉम करने के लिए विद्यार्थियों को राजगंजमंडी से कोटा 70 किमी तथा झालावाड़ 21 किमी जाने का ही विकल्प बचता है। ऐेसे में बड़ी संख्या में विद्यार्थी पीजी करने से वंचित रह जाते हैं।
1999 के बाद से एमए, एमकॉम नहीं
राजकीय महाविद्यालय रामगंजमंडी को शुरू हुए 21 साल बीत चुके हैं। इसके बावजूद यहां आर्ट्स व कॉमर्स में पीजी संकाय शुरू नहीं हो सका। जबकि, महाविद्यालय के छात्रों ने अनगिनत बार आयुक्तालय के नाम ज्ञापन देकर एमए शुरू करवाए जाने की मांग कर चुके हैं। इसके बावजूद 1999 के बाद से अब तक एमए व एमकॉम संचालित नहीं हो सका। जबकि, रामगंजमंडी कॉलेज विधान सभा क्षेत्र में बहुत बड़े एरिया को कवर करता है। छात्रों की अपेक्षा छात्राओं की पढ़ाई छूट जाती है।
बीए के बाद पढ़ाई चौपट
कॉलेज शिक्षकों का कहना है, रामगंजमंडी, कनवास, इटावा कॉलेजों में पीजी संकाय नहीं है। जबकि, इन महाविद्यालयों में यूजी में लड़कियों की संख्या अधिक होती है। ऐसे में बीए या बीकॉम करने के बाद लड़कियों का रामगंजमंडी, कनवास, इटावा व सांगोद से कोटा जाना आसान नहीं होता। चूंकि, ग्रामीण परिवेक्ष में अभिभावक भी 60 से 75 किमी दूर कोटा शहर के कॉलेजों में बेटियों को पीजी करने नहीं भेज पाते। नतीजन, यूजी के बाद उनकी पढ़ाई छूट जाती है। यदि, ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी कॉलेजों में ज्योग्राफी, इतिहास, होम साइंस, चित्रकला या उर्दू-संस्कृत में एमए संकाय शुरू किया जाए तो बड़ी संख्या में विद्यार्थी लाभांवित होंगे।
शहरी कॉलेजों में सीट पाने की मारामारी
ग्रामीण कॉलेजों में पीजी संकाय नहीं होने के कारण बड़ी संख्या में विद्यार्थी शहरी कॉलेजों की ओर रुख करते हैं। लेकिन, यहां एमए की सीटें सीमित होने के कारण दाखिले को लेकर मारामारी की स्थिति बनी रहती है। ऐसे में रेगुलर एडमिशन से वंचित छात्रों को स्वयंपाठी विद्यार्थी के रूप में दाखिला लेना पड़ता है। वहीं, कई तो एमए ही नहीं कर पाते। हालात यह है, सबसे ज्यादा विद्यार्थी आर्ट्स के होते हैं और कला में पीजी दो ही कॉलेजों में होती है, जिनमें गवर्नमेंट आर्ट्स कॉलेज कोटा और जेडीबी आर्ट्स कॉलेज शामिल हैं। लेकिन गर्ल्स कॉलेज में कुछ विषय वहां नहीं होने से वह भी गवर्नमेंट आर्ट्स कॉलेज में आती हैं, ऐसे में लड़कों को सीट पाना और मुश्किल हो जाता है।
90 गांवों को कवर करता कॉलेज
महाविद्यालय में एमए शुरू किए जाने की सख्त आवश्यकता है। मंत्री से लेकर लोकसभा अध्यक्ष तक को ज्ञापन दे चुके हैं। आयुक्तालय को कई बार पत्र भेजे हैं। लेकिन आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला। जबकि, कॉलेज में अध्ययनरत विद्यार्थियों में छात्राओं की संख्या अधिक है। जिन्हें मजबूरी में बीए के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ती है। कनवास तहसील में 90 से ज्यादा गांव शामिल हैं। ऐेस में बड़ी संख्या में छात्राएं बीए तक की पढ़ाई तो कर लेती हैं लेकिन एमए की बारी आते ही पढ़ाई छूट जाती है। सरकार को छात्रहित में यहां पीजी संकाय शुरू करना चाहिए।
- अर्जुन खटीक, छात्रनेता राजकीय महाविद्यालय कनवास
क्या कहते हैं प्राचार्य
राजकीय कनवास महाविद्यालय वर्ष 2018 में खुला था। तब से लेकर आज तक यहां एमए संकाय खुल नहीं सका। जबकि, इन 7 साल में कई बैच बीए पास आउट हो चुके हैं। एमए के लिए हर दिन डिमांड आती है, जिसे आयुक्तालय को भेज दिया जाता है। क्षेत्र में एमए संकाय खुलने की सख्त आवश्यकता है। पीजी नहीं होने के कारण बीए के बाद लड़कियों की पढ़ाई छूट जाती है, क्योंकि वह 40 से 45 किमी दूर शहर नहीं जा पाती। हालांकि, हमने राजनेतिक विज्ञान व ज्योग्राफी में पीजी संकाय खोलने को लेकर आयुक्तालय को विद्यार्थियों की डिमांड भेजी है। नए सत्र से पीजी संकाय शुरू होने की उम्मीद है।
- प्रो. जयश्री राठौर, प्राचार्य राजकीय महाविद्यालय कनवास
हमारे कॉलेज में सत्र 2024-25 में पॉलिटिकल साइंस विषय में एमए शुरू हुआ है। जिसके प्रथम सेमेस्टर का एग्जाम भी हो चुका है। विद्यार्थियों ने अंग्रेजी में भी एमए शुरू किए जाने की मांग की है, उनके ज्ञापन को आयुक्तालय को प्रेषित कर दिया है। छात्रों ने ऊर्जा मंत्री को भी ज्ञापन दिया था। अभी यूजी में ज्योग्राफी, हिन्दी, संस्कृत, ऊर्द, लोकप्रशासन, चित्रकला व होम साइंस विषय संचालित हैं। इनमें से ज्योग्राफी में विद्यार्थियों की संख्या अधिक हैं। यदि, अन्य विषयों में भी एमए शुरू होता है तो ग्रामीण परिवेक्ष के हजारों विद्यार्थी लाभांवित होंगे।
- प्रो.अनिता वर्मा, प्राचार्य राजकीय महाविद्यालय सांगोद
संबंधित कॉलेजों से विद्यार्थियों की डिमांड आती है तो उसे आयुक्तालय को भेज दी जाती है। इसी के साथ पीजी संकाय खोले जाने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। सरकार हर साल कहीं न कहीं पीजी संकाय खोलती है।
- प्रो. विजय पंचौली, क्षेत्रीय सहायक निदेशक, आयुक्तालय
इटावा क्षेत्र बहुत बड़ा है। यहां वर्ष 2018 में राजकीय महाविद्यालय खुला था, तब से अब तक एमए नहीं खुला। जबकि, सबसे ज्यादा डिमांड भूगोल विषय की है। ऐसे में बीए के बाद विद्यार्थी को एमए के लिए 70 से 80 किमी दूर कोटा शहर जाना पड़ता है। छात्रों से आने वाली डिमांड आयुक्तालय को प्रेषित कर दी जाती है। हाल ही में कॉलेज स्वयं की नई बिल्डिंग में शिफ्ट हुआ है। यहां कक्षा-कक्ष से लेकर फर्नीचर, लाइब्रेरी सहित अन्य सुविधाएं हैं। ऐसे मे उम्मीद है कि नए सत्र से पीजी संकाय की भी सौगात मिल जाए।
- डॉ. रामदेव मीणा, प्राचार्य राजकीय महाविद्यालय इटावा
रामगंजमंडी कॉलेज को खुले 21 साल हो चुके हैं। यहां यूजी में कला और वाणिज्य संकाय संचालित है। क्षेत्र का सबसे बड़ा कॉलेज होने के नाते यहां पीजी संकाय खोले जाने की सख्त आवश्यकता है। विद्यार्थियों की डिमांड आती है, जिसे आयुक्तालय को भेजते हैं लेकिन अब तक एमए व एमकॉम शुरू नहीं हो सका। वर्तमान में बीए फाइनल में 150 तथा बीकॉम में 100 विद्यार्थी हैं। पीजी नहीं होने से इन्हें कोटा या झालावाड़ जाना पड़ता है। कॉलेज में एमए व एमकॉम खुलना चाहिए।
- डॉ. संजय गुर्जर, प्राचार्य राजकीय महाविद्यालय रामगंजमंडी

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