संस्कृत व इंग्लिश में एक भी एडमिशन नहीं

गवर्नमेंट गर्ल्स कॉलेज: कैथून व सुकेत में छात्राओं ने नहीं लिए सब्जेक्ट, डाबी में 5 छात्राओं ने ही लिया संस्कृत

संस्कृत व इंग्लिश में एक भी एडमिशन नहीं

झालावाड़ को छोड़ कोटा व बूंदी जिले के नवीन गर्ल्स कॉलेजों में संस्कृत व अंग्रेजी साहित्य विषय लेने में रुचि नहीं दिखाई।

कोटा। मुख्यमंत्री बजट घोषणा में छात्राओं के लिए खोले गए राजकीय कला कन्या महाविद्यालयों में छात्राओं का एडमिशन लेने में रुझान नहीं दिखा। कैथून व सुकेत में बीए प्रथम वर्ष में एक भी छात्रा ने संस्कृत विषय नहीं लिया है। जबकि, सुकेत महाविद्यालय में तो इंग्लिश लिक्टेचर में भी शुन्य नामांकन है।  वहीं, बूंदी जिले के डाबी में 5 छात्राओं  ने जी संस्कृत विषय लिया है। लेकिन, आयुक्तालय के नियमानुसार  प्रत्येक विषय में 10 छात्राओं का नामांकन होने पर ही उसकी कक्षाएं संचालित की जा सकती है। ऐसे में इन छात्राओं में संस्कृत की कक्षा संचालन को लेकर असमंजस बना हुआ है।  स्थानीय छात्राओं व अभिभावकों का तर्क है कि आयुक्तालय ने नए कॉलेजों को विषय आवंटन में क्षेत्र की मांग को नजरअंदाज किया है।  जबकि, यहां उर्दू व होम साइंस की डिमांड थी।  दरअसल, वर्ष 2025 में सरकार ने कोटा-बंूदी व झालावाड़ में कॉलेज एजुकेशन सोसायटी के अधीन चार राजकीय कला कन्या महाविद्यालय खोले थे। जिसमें झालावाड़ को छोड़ कोटा व बूंदी जिले के नवीन गर्ल्स कॉलेजों में संस्कृत व अंग्रेजी साहित्य विषय लेने में रुचि नहीं दिखाई।

संस्कृत व अंग्रेजी साहित्यके प्रति बेरुखी 
राजकीय कन्या कला महाविद्यालय कैथून में एक भी छात्रा  ने संस्कृत विषय नहीं लिया। हालांकि, नोडल जेडीबी आर्ट्स महाविद्यालय प्रशासन का कहना है कि छात्राओं द्वारा सब्जेक्ट चेंज करने की एप्लीकेशन दी जा रही है। वहीं, सुकेत महाविद्यालय में तो संस्कृत के साथ अंग्रेजी साहित्य में भी एक भी बालिका ने दाखिला नहीं लिया। ऐसे में यहां इन दोनों विषयों की कक्षाएं संचालित नहीं हो सकेगी। 

डाबी कॉलेज : छात्राओं में असमंजस
आयुक्तालय के नियमानुसार, किसी भी विषय की कक्षा के संचालन के लिए 10 विद्यार्थियों का होना आवश्यक है। ऐसे में यहां संस्कृत व अंगे्रजी साहित्य में बालिकाओं की संख्या दस से कम है। ऐसे में जिन्होंने इन विषयों में दाखिला लिया है, उनमें अब कक्षा संचालन को लेकर असमंजस बना हुआ है। इधर, कॉलेज प्रशासन का कहना है, नए महाविद्यालय होने के नाते 5 स्टूडेंट पर भी आयुक्तालय द्वारा कक्षा संचालन की अनुमति दे सकता है।  

4 बार एडमिशन का मौका फिर भी सीटें खाली
कॉलेज आयुक्तालय द्वारा 4 बार आॅनलाइन आवेदन करने की अंतिम तिथि बढ़ाकर छात्राओं को एडमिशन का मौका दिया था। इसके बावजूद बालिकाओं ने नए कॉलेजों में दाखिला लेने के बजाए पुराने स्थापित महाविद्यालयों में ही रुचि दिखाई। नतीजन, कोटा, बूंदी के तीन राजकीय कला कन्या महाविद्यालयों में 600 में से 400 से ज्यादा सीट्स खाली रह गई। हालांकि, आयुक्तालय द्वारा रिक्त सीटों को भरने के लिए आॅफलाइन आवेदन भी लिए जा रहे हैं। इसके बावजूद इन तीनों महाविद्यालय में सीटें खाली रहेंगी। 

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नामांकन घटने का कारण 
नाम न छापने की शर्त पर राजकीय महाविद्यालय कोटा के प्रोफेसर ने बताया कि नवीन गर्ल्स कॉलेजों में घटते नामांकन के पीछे कई कारण हैं, जो इस प्रकार है। 
- आवश्यकता से अधिक गर्ल्स कॉलेज खोलना।
- नए कॉलेजों के पास न खुद का भवन व न ही स्थाई फैकल्टी।
- दो-दो कमरों में कॉलेज संचालित करना। भौतिक संसाधनों की कमी। 
- क्षेत्र की आवश्यकता के विपरीत सब्जेक्ट आवंटित करना। 
- नए कॉलेजों का प्रचार-प्रसार का अभाव।
- नए महाविद्यालयों में सुविधाओं की उपलब्धता को लेकर आशंकाएं। 

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कब-कब बड़ी आवेदन की अंतिम तिथि 
- राजकीय महाविद्यालयों में गत 4 जून से ही प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो गई थी। 
- दूसरी बार अंतिम तिथि 16 जून से बढ़ाकर 20 जून कर दी गई। 
- तीसरी बार में 5 दिन और बढ़ाकर अंतिम तिथि 25 जून कर दी गई। 
- सीटों के मुकाबले आवेदन नहीं आने पर फिर से लास्ट डेट बढ़ाकर 3 जुलाई कर दी गई। 
- 7 जुलाई को प्रथम वरियता सूची जारी की गई। 
- 16 जुलाई को विभिन्न श्रेणियों में रिक्त रही सीटों पर फिर से आवेदन मांगे गए। 
- अब गत 18 अगस्त से 23 अगस्त तक खाली रह गई सीटों पर आॅफलाइन एडमिशन देने के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए हैं।  

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क्या कहती हैं छात्राएं व अभिभावक
सरकार ने नए कॉलेज तो खोल दिए लेकिन बिल्डिंग व फैकल्टी भी स्थाई नहीं है। गत वर्ष भी राजसेस महाविद्यालयों में प्रथम सेमेस्टर की परीक्षाएं शुरू होने के एक से डेढ़ माह पहले ही शिक्षकों को हटा दिया था। इस बार भी ऐसी  स्थिति रहने की आशंका के चलते बूंदी गर्ल्स कॉलेज में दाखिला लेना ज्यादा मुनासिब लगा। 
-अहिल्या कंवर, छात्रा डाबी

कस्बे में नया कॉलेज खुला तो खुशी थी लेकिन ऐसे विषय अलॉट कर दिए, जो छात्राओं के लिए रुचिकर नहीं है। यहां होम साइंस व उर्दू विषय दिया जाना चाहिए था। इसलिए सुकेत कॉलेज में दाखिला लेने की बजाए रामगंजमंडी महाविद्यालय की ओर रुख करना ज्यादा सही लगा। 
-पार्वती कुमारी,  रेहाना, (परिवर्तित नाम) सुकेत 

कस्बे का कॉलेज राजकीय सीनियर सैकंडरी स्कूल के तीन कमरोें में चल रहा है।  क्षेत्र की आवश्यकतानुसार सब्जेक्ट नहीं होना नामांकन में कटौती का मुख्य कारण है। यहां उर्दू, जीपीएम व होम साइंस विषय नहीं खोला गया। बीए में तीन आॅफनल सब्जेक्ट लेने होते हैं। ऐसे में छात्राओं ने कस्बे से बाहर शहर के कॉलेजों में दाखिला लिया है।  
- मोहम्मद अख्तर, बंशीलाल, अभिभावक कैथून 

इनका कहना है
अभी यह कॉलेज नए हैं। सुविधाएं विकसित होने में थोड़ा समय लगेगा। यदि, छात्राओं की ओर से विषयों को लेकर कोई कम्पलेन आती है तो उसे आयुक्तालय भिजवाकर समाधान करवाया जाएगा। 
-डॉ. विजय पंचौली, क्षेत्रीय सहायक निदेशक आयुक्ताल कोटा 

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