नकली व मिलावटी माल की जांच में रोड़ा, लक्ष्य के अनुरूप नहीं ले पाए सैंपल
10 निरीक्षकों के भरोसे चल रहा गुण नियंत्रण अभियान
कृषि निरीक्षकों का टोटा, मंद पड़ी सैंपल लेने की गति।
कोटा। खरीफ सीजन की शुरुआत होते ही जिले में किसानों ने खाद-बीज की खरीदारी तेज कर दी है। आगामी दिनों में खेतों में बुवाई का दौर चलेगा, ऐसे में अधिकांश किसान अभी से खाद-बीज की व्यवस्था करने में जुट गए हैं। इस दौरान नकली खाद-बीज की बिक्री होने की संभावना अधिक रहती है। इसलिए कृषि विभाग की ओर से जिले में खाद-बीज और कीटनाशकों की जांच के लिए गुण नियंत्रण अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन कृषि विभाग में कृषि निरीक्षकों के पद रिक्त होने के कारण लक्ष्य के अनुरूप कृषि उर्वरकों के सैंपल नहीं ले पा रहे हैं। जिलेभर में करीब 995 से अधिक कृषि आदान विक्रेताओं की दुकानें है, लेकिन इनके मुकाबले वर्तमान में केवल 10 कृषि निरीक्षक ही कार्यरत हैं, इस कारण ना तो सघन निरीक्षण हो पा रहा है और ना ही नकली व मिलावटी माल की समय पर जांच हो पा रही है।
लक्ष्य के अनुरूप नहीं ले पाए सैंपल
खरीफ सीजन में नकली उर्वरकों की बिक्री रोकने के लिए कृषि आयुक्तालय ने प्रत्येक जिले को कृषि उर्वरकों को सैंपल लेने के लक्ष्य दिए हैं। कोटा जिले ूमें अलग-अलग उर्वरकों के सैंपल लेने के लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। इसके तहत जिले में उर्वरक के 230 सैंपल लेने है, लेकिन अभी तक विभाग के निरीक्षक 69 सैंपल ही ले पाए हैं। वहीं बीज के भी 230 सैंपल लेने का लक्ष्य दिया गया है। जिसमें से अभी तक केवल 28 सैंपल दुकानों से लिए जा सके हैं। इसी तरह की स्थिति पेस्टीसाइड के नमूने को लेकर है। इनके भी लक्ष्य के अनुरूप सैंपल नहीं ले पाए हैं। समय पर सैंपल नहीं लेने का खामियाजा किसान को भुगतना पड़ता है। किसान खेतों में उर्वरक और बीज डाल देता है, उसके बाद जांच रिपोर्ट आती है, ऐसे में नकली का पता नहीं चलने पर किसानों को काफी नुकसान होता है। ऐसे में समय रहते जांच होना जरूरी है।
धरतीपुत्रों को थमा रहे कच्चे बिल
किसान फूलचंद व धूलीलाल के अनुसार कई कृषि आदान विक्रेता किसानों को हाथ से बने कच्चे बिल थमा रहे हैं या फिर बिल दे ही नहीं रहे है। इससे नकली कृषि उर्वरकों की बिक्री होने की संभावना बनी रहती है। कच्चे बिल के आधार पर सामग्री खरीदने का नुकसान किसानों को ही उठाना पड़ता है। इससे नकली माल के खिलाफ सबूत नहीं मिलता है और किसान शिकायत नहीं कर पाते हैं। हालांकि कृषि विभाग की ओर से किसानों को पक्का बिल लेने की समझाइश की जा रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर इसकी निगरानी बेहद कमजोर नजर आ रही हैं। कृषि निरीक्षकों के सघन निरीक्षण के अभाव का फायदा कई विक्रेता उठा लेते हैं। कच्चे बिल के आधार पर माल बेच देते हैं।
अब तक पांच सैंपल हो चुके फेल
खरीफ सीजन को लेकर जिले में चलाए जा रहे गुण नियंत्रण अभियान के तहत कृषि उर्वरकों के सैंपल लिए जा रहे है और इनकों जांच के लिए प्रयोगशालाओं में भी भेजा रहा है। अब तक खाद और बीज के पांच सैंपल जांच में फेल हो चुके हैं। ऐसे में इनकी बिक्री करने वाले कृषि विक्रेताओं के खिलाफ कृषि अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा रही है। जिले में कृषि क्षेत्र को देखते हुए यहां 25 से 30 निरीक्षकों की जरूरत है, लेकिन निरीक्षकों के कुल 14 पद ही स्वीकृत कर रखे हैं। इनमें भी 10 पद ही भरे हुए है और चार पद खाली चल रहे है। ऐसे में यह पद भी कृषि प्रधान क्षेत्र सांगोद और सुल्तानपुर में रिक्त हैं। इससे यहां पर दुकानों का निरीक्षण प्रभावी ढंग से नहीं हो पा रहा है।
फैक्ट फाइल
402 जिले में बीज की दुकान
386 जिले में खाद की दुकान
208 जिले में कीटनाशक की दुकान
मिलावटी खाद-बीज के कारण किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। कई दुकानदार अपने फायदे के लिए नकली बीज और कीटनाशी की बिक्री करने लग जाते हैं। इससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है। कृषि विभाग की ओर से इस सम्बंध में लगातार जांच अभियान चलाना चाहिए।
- रामलाल लोधा, किसान
कृषि निरीक्षक नियमित रूप से फील्ड में जाकर सैंपलिंग कार्य कर रहे हैं, ताकि नकली और मिलावटी उत्पादों पर समय रहते कार्रवाई की जा सके। अभी जिले में निरीक्षकों के कई पद रिक्त हैं। यदि किसी दुकान पर बिना लाइसेंस, नकली या बिना बिल का माल बेचा जा रहा है तो इसकी शिकायत कर सकते हैं।
- आतिश कुमार शर्मा, संयुक्त निदेशक कृषि विभाग
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