तैयारी बह गई पानी में, दावे हुए हवा हवाई
जरा सी बरसात ने खोल दी तैयारी की पोल
पानी भरने पर बस्तियों में चलानी पड़ी नाव, आधा दर्जन बहे, युवती की हुई मौत।
कोटा। मानसून के सीजन में अधिक बरसात से होने वाली परेशानी से बचने के लिए जिला प्रशासन की ओर से मानसून पृूर्व ही सभी तैयारियां पूरी होने के दावे किए जा रहे थे जो सोमवार को हुई जरा सी बरसात में ही हवा हवाई हो गए। बरसात से बस्तियों में भरे पानी से फंसे लोगों को निकालने के लिए नावें चलानी पड़ी। वहीं करीब आधा दर्जन लोग पानी में बह गए और एक युवती की मौत तक हो गई। मानसून के दौरान हर साल तेज बरसात होने के साथ ही मध्य प्रदेश में हुई बारिश का पानी भी बांधों के माध्यम से शहर में छोड़ा जाता है। जिससे शहर में और निचले इलाकों में पानी भरने व कई क्षेत्र डूब में होने से उन्हें हर बार जिला प्रशासन, एसडीआरएफ व निगम और सिविल डिफेंस के माध्यम से रेस्क्यू किया जाता है। इस बार प्रशासन द्वारा दावा किया गया था कि मानसून के दौरान अधिक वर्षा व जल भराव की स्थिति से निपटने के लिए पूरी तैयारी कर ली गई है।
इस तरह किए थे दावे
जिला प्रशासन द्वारा बरसात के दौरान आवश्यक होने पर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को रेस्क्यू कर पुनर्वास के लिए सामुदायिक भवन, सरकारी स्कूल, आश्रय स्थलों को अधिग्रहित करने, वहां उनके ठहरने और खाने की व्यवस्था का दावा किया गया। आपदा प्रबंधन के लिए कंट्रोल रूम स्थापित किया गया। गोताखोर, रेस्क्यू टीम, उपकरण व संसाधनों की पर्याप्त उपलब्धता बताई गई। इतना ही नहीं चम्बल नदी के किनारे बसी बस्तियों को समय पर खाली करवाने का दावा तक किया गया था। लेकिन हालत यह है कि रविवार रात से सोमवार को दोपहर तक हुई मूसलाधार बरसात में ही प्रशासन में भगदड़ मच गई। कैथून, दीगोद,बंधा धर्मपुरा व रानपुर और आलनिया समेत कई जगह पर इतना अधिक पानी भर गया कि लोग घरों से बाहर ही नहीं निकल सके। जो लोग निकल गए तो वे रास्ते में ही पानी में फंस गए। शहर में अनंतपुरा, तलाब बस्ती, कौटिल्य नगर, सुभाष विहार समेत कई कॉलोनियों और यहां तक कि जवाहर नगर, बाला कुंड व केशवपुरा में इतना अधिक पानी भर गया कि लोग सोच में पड़ गए। कौटिल्य नगर समेत कई जगह पर तो नावें चलानी पड़ी। करीब 150 से 200 लोगों को रेस्क्यू कर पानी से बाहर निकालना पड़ा। हालांकि गोताखोर व रेस्क्यू टीमें मुस्तैद होने से तुरंत जलभराव क्षेत्रों में पहुंच गई थी। उसके बाद भी दीगोद में पानी के तेज बहाव में 6 लोग बह गए। रानपुर में स्कूटी सवार एक युवती के बहने से उसकी मौत हो गई। अचानक आए इतने अधिक पानी को देखते हुए व्यवस्थाओं व राहत कार्यो का जायजा लेने के लिए जिला कलक्टर समेत पुलिस व प्रशासन और निगम अधिकारियों को मौके पर जाना पड़ा।
बैराज के गेट खुलते ही बढ़ी धड़कन
मध्य प्रदेश में पानी की आवक अधिक होने पर जैसे ही वहां से पानी छोड़ा। वैसे ही कोटा बैराज के 12 गेट खोलकर करीब 2 लाख क्यूसेक पानी की निकासी की गई। एक साथ इतना अधिक पानी छोड़ने से नदी किनारे की बस्तियों में रहने वालों की धड़कने बढ़ गई। हालांकि प्रशासन की ओर से डूब क्षेत्र व नदी किनारे की निचली बस्तियों में रहने वालों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए सतर्क कर दिया गया है। जानकारों का कहना है कि अभी तो बरसात की शुरुआत है। आने वाले दिनों में इससे भी अधिक बरसात होने पर और बैराज के अधिक गेट खोलने पड़े तो प्रशासन कैसे निपटेगा। हालांकि मौसम विभाग की ओर से कोटा संभाग में मंगलवार व बुधवार को भी भारी से अति भारी बारिश होने का यलो अलर्ट जारी किया हुआ है। लेकिन मंगलवार को दिनभर तेज धूप निकलने से प्रशासनिक अधिकारियों व रेस्क्यू टीम ने राहत की सांस ली। एक दिन पहले जो पानी भरा था वह बहकर निकल चुका है। आने वाले दिनों में जल भराव से निपटने को प्रशासन फिर से तैयार है।
जब पूर्व तैयारी तो ऐसी नौबत क्यों
लोगों का कहना है कि जब प्रशासन ने मानसून पूर्व की तैयारी कर रखी थी तो फिर जरा सी बरसात में ही ऐसी नौबत क्यों आई। कंसुआ निवासी महेश सिंघल का कहना है कि जब कौटिल्य नगर, सुभाष विहार, देवली अरब रोड और अनंतपुरा समेत कई जगह पर हर बार बरसात में पानी भरता है तो बरसात के दौरान वहां के लोगों को पहले से ही सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा देना चाहिए। जिससे न तो उनके फ़ंसने की समस्या होगी और न ही प्रशासन को भागदौड़ व रेस्क्यू करना पड़ेगा। तेज बहाव में बहने व किसी के डूबने तक की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। रायपुरा निवासी सत्येन्द्र गौतम का कहना है कि जिन क्षेत्रों में पानी भरता है वहां के लोगों को पहले से ही सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा देना चाहिए। पानी भरने या लोगों के बहने पर रेस्क्यू करने का इंतजार ही नहीं करना चाहिए। तब तो तैयारी व दावे सही साबित होंगे। वरना लोग इसी तरह से हर बार पानी में बहते व डूबते रहेंगे।
नवज्योति ने पहले ही चेताया था
गौरतलब है कि मानसून से पहले ही नव’योति ने प्रशासन को इस संबंध में चेता दिया था। 21 जून को पेज 5 पर ‘पानी के साथ सेल्फी व रील बनाना हो सकता है खतरनाक’और 2 जुलाई को पेज 5 पर बरसात शुरु, अब हो रहा जर्जर भवनों का सर्वे’ शीर्षक से प्रकाशित समाचारों में प्रशासन को आगाह किया था। जिसमें कहा था कि मानसून के दौरान किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। जिसमें बरसात शुरु होने के बाद जर्जर भवनों का सर्वे करवाने और उनके बरसात में ढहने के खतरे से लेकर बरसात में सेल्फी व रील बनाने से होने वाली घटनाओं की जानकारी दी थी। साथ ही बताया था कि मानसून के दौरान आपदा होने पर प्रशासन को सामुदायिक भवन, आश्रय स्थल व भोजन समेत अन्य व्यवस्थाएं समय पर जुटानी होंगी। उस समय प्रशासन ने दावा किया था कि उनकी तरफ से सभी तैयारी पूरी कर ली गई है। कंट्रोल रूम स्थापित करने के साथ ही रेस्क्यू टीमों को मुस्तैद किया गया है। सामुदायिक भवन व सरकारी स्कूलों व आश्रय स्थलों को पुनर्वास के लिए तैयार रखा गया है।
इनका कहना है
मानसून के सीजन में हर बार अधिक बरसात होती है। इस बार भी मौसम विभाग ने औसत से अधिक व समय-समय पर भारी बारिश होने का अलर्ट जारी किया जाता है। उसे देखते हुए प्रशासन ने डूब क्षेत्र के लोगों के पुनर्वास के लिए सामुदायिक भवन व आश्रय स्थलों की व्यवस्था की हुई है। निगम, एसडीआरएफ व सिविल डिफेंस की टीमें भी तैयार है। डूब क्षेत्र व निचली बस्तियों के अलावा जिन कॉलोनियों में पानी भरता है वहां के लोगों को मुनादी करवाकर समय से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचने के लिए समझाइश की जाती है। लेकिन लोग मानते ही नहीं है। पानी अधिक भरने पर ही रेस्क्यू करने के लिए कहते है। वैसे प्रशासन की तैयारी पूरी है। अचानक तेज बहाव से अधिक बरसात होने पर कुछ समय के लिए पानी भरा था। बरसात थमते ही सारा पानी बह गया। नालों के अवरूद्ध होने या प्रशासन की कमी के कारण कोई हादसा नहीं हुआ है।
- कृष्णा शुक्ला, एडीएम सीलिंग

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