रक्षाबंधन पर्व : राखी बाजार से चाइना आउट, इस साल स्वदेशी राखियों की बढ़ी डिमांड
चाइनीज आइटम को ग्राहकों ने नकारा
बाजार में बच्चों की राखियों ने अलग ही रंग बिखेर रखा है।
कोटा। रक्षाबंधन पर्व जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे बाजारों की रौनक बढ़ती जा रही है। हर साल की तरह इस बार भी कोटा शहर में राखियों का बाजार सज चुका है, लेकिन इस बार कुछ अलग नजारा है। कुछ साल पहले तक स्थानीय बाजार में चाइनीज राखियों का बोलबाला हुआ करता था। इस बार स्वदेशी राखियों की चमक बाजार में देखने मिल रही है। स्वदेशी राखियों की मांग में जबरदस्त उछाल आया है और चाइनीज राखियों को लोगों ने लगभग नकार ही दिया है। बाजारों में अब केवल नाममात्र की चाइनीज राखियां ही दिखाई दे रही हैं। दुकानदार बताते हैं कि पिछले साल से ही ग्राहकों का रुझान पूरी तरह से देसी राखियों की ओर है। ऐसे में अधिकांश दुकानदारों ने चाइनीज राखियों का आर्डर ही नहीं किया है। ऐसे में कुछ ही जगहों पर चाइनीज राखियां आई है, लेकिन इस साल उनकी खरीदारी नहीं हो रही है।
लुभा रही राखियों की नई डिजायन
शहर के राखी विक्रेताओं के अनुसार इस बार खरीदारों की प्राथमिकता पारंपरिक, हस्तशिल्प और स्थानीय डिजाइनों पर आधारित राखियां हैं। शहर के छावनी क्षेत्र के दुकानदार मुरारी व बंटी बताते हैं कि स्टोन, मौली, रुद्राक्ष और इलेक्ट्रॉनिक डिजाइनों से बनी राखियों की मांग सबसे अधिक है। ब्रेसलेट टाइप राखियों और कड़े जैसी डिजाइन वाली राखियां भी खूब बिक रही हैं। राखियों की कीमतें में इस साल कुछ उछाल तो आया है, लेकिन खरीदारी में कोई कमी नहीं है। फोम राखी 2 रुपए, स्टोन और स्पिनर लाइट राखी 100 रुपए, रक्षा रोल राखी, मौली, रुद्राक्ष, और पेपर राखियों की भी कीमतें 5 से लेकर 100 रुपए के बीच में हैं। ब्रेसलेट डिजाइन की राखियां युवाओं को खूब भा रही हैं। इनमें स्टोन वर्क, जरदोजी, मिरर वर्क और रेशमी धागों का बहुत ही अच्छा काम हुआ है। इसके कीमत कुछ अधिक हैं।
चांदी के भाव तेज, फिर भी ब्रेसलेट राखी की धूम
शहर के सर्राफा बाजार में इस साल भी चांदी की राखी भी मिल रहे हैं। चांदी से बनी चेन और ब्रेसलेट लुक की राखी 03 ग्राम से लेकर 30 ग्राम तक की है। इसके दाम 200 से 2000 रुपए तक हैं। सर्राफा कारोबारी नागेन्द्र स्वर्णकार ने बताया कि इस बार ब्रेसलेट की तरह दिखने वाली चांदी की राखी बनवाई है। इस समय चांदी के भाव तेज है, इसके बावजूद ब्रेसलेट वाली राखी कुछ डिमांड हुई है। इसे रक्षाबंधन के दिन राखी के रूप में प्रयोग करने के बाद और दिन इसे ब्रेसलेट के रूप में लोग पहन सकते हैं। वहीं शहर के प्रमुख बाजारों में कई दुकानें राखियों की सजी हुई है। बाजार में बच्चों की राखियों ने अलग ही रंग बिखेर रखा है। डोरेमोन, शिनचैन, छोटा भीम, मोटू-पट्लू, स्पाइडरमैन और बाहुबली जैसे मशहूर कार्टून किरदारों पर आधारित राखी बच्चों को खूब लुभा रही हैं।
इस बार हमारे पूरे परिवार ने तय कर लिया था कि चाइनीज राखियों की खरीदारी नहीं की जाएगी। बाजार में स्वदेशी राखियां आकर्षक डिजाइन में उपलब्ध हो रही है। इसलिए परिवार ने स्वदेशी राखियां ही खरीदी है।
- भूमिका चौहान, गृहिणी
हमने 10 से ज्यादा महिलाओं को राखी निर्माण से जोड़ा है। हर महिला रोज 150 से 200 राखियां बना रही है। इससे घर बैठे रोजगार मिल रहा है। इस साल स्वदेशी राखियों की बिक्री अधिक हो रही है।
- पुष्पा साहू, संयोजिका महिला स्वयं सहायता समूह
इस बार हमने चाइनीज राखियां मंगवाई ही नहीं। लोगों की सोच बदल रही है। ग्राहक भी अब पूछते हैं कि ये देशी है या विदेशी। चीन की राखी बिक ही नहीं रही है।
- राजेन्द्र गर्ग, राखी विक्रेता
पहले जहां चीन की राखियां 60% बाजार में होती थीं, अब 90% तक ग्राहक स्वदेशी राखियां ही ले रहे हैं। इससे लोकल कारीगरों को बड़ा फायदा हो रहा है।
- राहुल अग्रवाल, राखी विक्रेता

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