बूंदी वन मंडल में सड़क बनने का मामला जयपुर पहुंचा, सवालों से बचते रहे डीएफओ
बूंदी के जजावर वनखंड-बी में अवैध सड़क बनाने का मामला
वन सुरक्षा प्रमुख बोले-वनभूमि पर लगातार सड़कें बनना अत्यंत गंभीर।
कोटा। बूंदी वनमंडल की नैनवां रैंज के जजावर-बी वनखंड में पीडब्ल्यूडी द्वारा डामर सड़क बनाए जाने का मामला जयपुर अरण्य भवन पहुंच गया है। वन विभाग के आला अधिकारियों ने भारत सरकार के वन संरक्षण अधिनियम 1980 व वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 का लगातार उल्लंघन कर वनभूमि पर सड़क बनने को अत्यंत गंभीर माना। उन्होंने बूंदी डीएफओ से मामले को लेकर विस्तृत रिपोर्ट तलब की है।
मार्च में सड़क बनी, अब तक कार्रवाई नहीं
जजावर वनखंड-बी में गत मार्च के प्रथम सप्ताह में वन अधिकारियों की मौन स्वीकृति पर पीडब्ल्यूडी ने 100 मीटर लंबी और 3.80 मीटर चौड़ी डामर सड़क बना दी। बूंदी डीएफओ को घटना का पता करीब 26 मार्च को लग गया था। इसके बावजूद उनके द्वारा पीडब्ल्यूडी अधिकारियों व संवेदक के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। जबकि, भारत सरकार के वर्ष 2021-22 के सर्कुलर के तहत डीएफओ को जिला न्यायालय में इस्तगासा पेश कर संबंधित कार्यकारी एजेंसी के खिलाफ प्रकरण दर्ज कराने के निर्देश हैं। लेकिन उप वन संरक्षक द्वारा कार्यकारी एजेंसी को पत्र लिखे जाने के अलावा कोई कार्रवाई नहीं की गई।
उड़ा रहे कानून का मखौल
बूंदी वनमंडल में गत वर्ष से अब तक 14 माह में तीन अलग-अलग रेंजों में तीन बार सड़कें बन चुकी है। इसके बावजूद एक भी मामले में कार्रवाई नहीं की गई। हालात यह है, वन अफसर ही भारत सरकार के कानून वन संरक्षण अधिनियम 1980 का जमकर मखौल उड़ाने में कसर नहीं छोड़ रहे। जबकि, इस कानून का उल्लंघन वन विभाग में जघन्य अपराध की श्रेणी में आता है।
सवालों से बचते रहे डीएफओ
मामला उजागर होने के बाद नवज्योति ने बूंदी वनमंडल के डीएफओ देवेंद्र सिंह भाटी से सम्पर्क किया लेकिन उन्होंने कॉल अटैंड नहीं किया। इसके बाद मैसेज कर उनका पक्ष जानने का प्रयास किया लेकिन उन्होंने इसका भी जवाब नहीं दिया।
वन्यजीवों का हैबीटाट हो रहा नष्ट
बूंदी वनमंडल के जंगलों में लगातार पक्की सड़कों के निर्माण से वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहा है। कहीं सीसी तो कहीं डामर सड़कों के निर्माण से छोटे जीवों व सरीसृपों का घरौंदा झाड़-झाड़ियां व पेड़-पौधे नष्ट कर दिए गए। वहीं, जेसीबी व अन्य मशीनरी के शोर-शराबे से वन्यजीव अपना रहवास छोड़ पलायन को मजबूर हो गए। जबकि, उनके सुरक्षित जीवन की जिम्मेदारी वन अफसरों की है और वो ही स्वार्थ के चलते उनकी दुनिया उजाड़ने में लगे हैं।
इनका कहना है
बूंदी वनमंडल में लगातार एफसीए कानून का उल्लंघन कर वन भूमि पर सड़कें बनना अत्यंत गंभीर है। यह वन सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है। मामले को लेकर डीएफओ से रिपोर्ट मांगी जा रही है। जिसके आने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
- केसी मीणा, अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक, वन सुरक्षा जयपुर
आपके द्वारा मामला संज्ञान में आया है। संबंधित अधिकारी से रिपोर्ट मांगी है।
- अरुण प्रसाद, अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक, एफसीए जयपुर

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