खत्म नहीं हो रहा दीगोद-ग्वालियर रेलवे लाइन का इंतजार
12 वर्षों से अटकी पड़ी है परियोजना : युवाओं ने दी आंदोलन की चेतावनी
दीगोद-ग्वालियर रेलवे लाइन परियोजना जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण 12 सालों से अटकी पड़ी है। एक दशक से भी अधिक समय पूर्व स्वीकृत हुई परियोजना अब तक ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है। इन 12 वर्षों में 2 सरकारी बदल गई है। लेकिन कार्य का श्रीगणेश तक नहीं हो सका है।
सुल्तानपुर। दीगोद-ग्वालियर रेलवे लाइन परियोजना जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण 12 सालों से अटकी पड़ी है। एक दशक से भी अधिक समय पूर्व स्वीकृत हुई परियोजना अब तक ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है। इन 12 वर्षों में 2 सरकारी बदल गई है। लेकिन कार्य का श्रीगणेश तक नहीं हो सका है। अब युवाओं ने प्रस्तावित परियोजना का सर्वे करवाने की मांग को लेकर आंदोलन की चेतावनी दी है।
जानकारी के अनुसार 24 फरवरी 2010 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार में पेश हुए रेल बजट में ग्वालियर से श्योपुर होते हुए राजस्थान के दीगोद तक ब्रॉडगेज लाइन को मंजूरी दी गई थी जो कि करीबन 285 किलोमीटर लंबी लाइन थी। परियोजना में ग्वालियर श्योपुर के 190 किलोमीटर नैरो गेज लाइन को बड़ी लाइन में बदला जाना था। श्योपुर से दीगोद की 94 किलोमीटर की नई लाइन बिछाई जानी है। इसमें कोटा जिले का क्षेत्र है। लेकिन 12 वर्षों के बाद भी काम शुरू नहीं हो सका है। इलाहाबाद जोन में होने के कारण पता भी नहीं चल पा रहा है कि यह कार्य कब शुरू हो पाएगा। सूत्रों के अनुसार इसके तहत दीगोद-सुल्तानपुर-बड़ौद होकर नई रेल लाइन बिछाई जानी थी। लेकिन अब तक कोई काम शुरू नहीं हो सका है। दीगोद-श्योपुर रेल लाइन में काफी हिस्सा कोटा जिले का है। लेकिन कोटा में इस परियोजना का काम शुरू नहीं हो सका है।
साढ़े तीन हजार करोड़ रुपए का है पूरा प्रोजेक्ट
ग्वालियर से श्योपुर गेज परिवर्तन एवं श्योपुर से दीगोद नई रेल लाइन प्रोजेक्ट की कुल स्वीकृत लागत 3597 करोड़ की है। इसमें से 224 करोड़ 39 लाख 61 हजार रुपए मार्च 2021 तक व्यय हो चुके हैं। जबकि वित्तीय वर्ष 2021-22 मे 296 करोड रुपए का बजट मिला था। लेकिन अब पिछले दिनों केंद्र सरकार ने बजट में इस प्रोजेक्ट में वर्ष 2022-23 के लिए 700 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। जिसमें प्रोजेक्ट का काम श्योपुर-दीगोद लाइन पर भी शुरू होने की उम्मीद जगी है। लेकिन अभी उम्मीद पूरी होती नजर नहीं आ रही है।
94 किलोमीटर की होगी श्योपुर-दीगोद लाइन
बताया जा रहा है कि गवालियर-श्योपुर और दीगोद रेल लाइन प्रोजेक्ट की कुल लंबाई 284 किलोमीटर है। इसमें से लगभग 190 किलोमीटर में जहां गवालियर श्योपुर के बीच गेज परिवर्तन होना है जबकि श्योपुर से दीगोद के बीच 94 किलोमीटर की नई लाइन बिछनी है। इस लाइन पर 8 रेलवे स्टेशन नए बनाए जाने का प्रस्ताव है।
इन गांवों को मिलेगा लाभ
इस योजना के पूर्ण होने के बाद दीगोद, सुल्तानपुर, बड़ौद, दौलतपुरा, गणेशगंज, पीपल्दा व उजाड़ के साथ इटावा क्षेत्र के गांवों को भी लाभ मिल सकेगा। यहां अभी रेल लाइन नहीं है। जिसके चलते लोगों को पहले सड़क मार्ग से कोटा, भौंरा या बारां पहुंचना पड़ता है। ऐसे में क्षेत्र को रेल लाइन की काफी जरूरत है। इसको लेकर युवाओं द्वारा आंदोलन की चेतावनी दी गई है।
व्यापार में होगी बढ़ोतरी
नगर वासी रवि शर्मा, पंकज शर्मा, दिलीप शर्मा आदि ने बताया कि यदि प्रस्तावित रेलवे लाइन बनती है तो श्योपुर-ग्वालियर होते हुए सीधा प्रयागराज व कोलकाता से जुड़ाव हो जाएगा। जहां व्यापार में भी बढ़ोतरी होगी। कपड़ा, जूट आदि सामग्री का क्षेत्र में सीधा परिवहन होगा। रेलवे लाइन क्षेत्र में अटके विकास को भी काफी गति मिलेगी।
जनप्रतिनिधियों को करवा चुके हैं अवगत
सुरेश शर्मा खंडगांव का कहना है कि प्रस्तावित रेल परियोजना को लेकर कई बार जनप्रतिनिधियों को लिखित व मौखिक रूप से अवगत करवाया गया है। लेकिन कोई इस पर बात तक नहीं करता। उन्होंने इसके दोबारा सर्वे कराने की मांग की।
उजाड़ क्षेत्र के लोगों को मिलेगा लाभ
दिलीप शर्मा का कहना है कि परियोजना में सुल्तानपुर कस्बे में भी रेलवे स्टेशन बनेगा। जिससे उजाड़ उजाड़ क्षेत्र के लोगों को भी लाभ मिलेगा।
इनका कहना है
रेलवे बोर्ड से इस परियोजना की जानकारी लेने के बाद ही स्थिति का पता चल पाएगा कि यह परियोजना स्वीकृत है या नहीं या सिर्फ प्रपोजल में ही है।
-रोहित मालवीय, मंडल वाणिज्य प्रबंधक

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