रोहिंग्याओं को ट्रेनिंग देकर क्षेत्र में अशांति बढ़ाने का प्लान : बांग्लादेश ने रोहिंग्या कॉरिडोर का इरादा छोड़ा, यूनुस और पाकिस्तान मिलकर कर रहे भारत के खिलाफ साजिश

माउंगडॉ में एक सुरक्षित क्षेत्र के निर्माण का रास्ता निकल सकता

रोहिंग्याओं को ट्रेनिंग देकर क्षेत्र में अशांति बढ़ाने का प्लान : बांग्लादेश ने रोहिंग्या कॉरिडोर का इरादा छोड़ा, यूनुस और पाकिस्तान मिलकर कर रहे भारत के खिलाफ साजिश

बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार गृहयुद्ध से जूझते म्यांमार के अराकान क्षेत्र के लिए एक अहम प्लान पर काम कर रही है

ढाका। बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार गृहयुद्ध से जूझते म्यांमार के अराकान क्षेत्र के लिए एक अहम प्लान पर काम कर रही है। यह प्लान बांग्लादेश की सीमा के पास के म्यांमार के अराकान क्षेत्र और रोहिंग्या शरणार्थियों को लेकर है। इससे बड़े पैमाने पर अशांति पैदा होने की संभावना है। इस अशांति का असर बांग्लादेश और म्यांमार के अलावा दूसरे पड़ोसी देशों में हो सकता है। इस क्षेत्र में भारत भी शामिल है। वहीं यूनुस सरकार में ढाका में पैठ बनाने में जुटा पाकिस्तान भी इसमें अपने लिए मौका तलाश रहा है। द डिप्लोमैट की रिपोर्ट के मुताबिक,बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में दस लाख से ज्यादा रोहिंग्या शरणार्थी रह रहे हैं। 1970 के दशक में म्यांमार सेना के इस समुदाय के खिलाफ पहला निकासी अभियान शुरू किए जाने के बाद से इनकी संख्या बांग्लादेश में लगातार बढ़ी है। बांग्लादेश रोहिंग्या संकट का तत्काल और स्थायी समाधान चाहता है। यूनुस सरकार किसी भी सूरत में रोहिंग्याओं को वापस भेजना चाहती है। इसके लिए वह खास प्लान पर काम कर रही है।

रखाइन कॉरिडोर का विचार
बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने रोहिंग्या संकट के समाधान के लिए रखाइन कॉरिडोर का प्रस्ताव रखा। इसमें बांग्लादेश के कॉक्स बाजार से म्यांमार के रखाइन प्रांत से जोड़ने वाले एक गलियारे की बात कही गई। इसका उद्देश्य रोहिंग्या शरणार्थियों की स्वदेश वापसी के लिए एक सुरक्षित और वैश्विक निगरानी वाला मार्ग स्थापित करना है। अमेरिका ने रखाइन कॉरिडोर के लिए समर्थन व्यक्त किया लेकिन यह कॉरिडोर कई विवादों में घिर गया है। इस कॉरिडोर के पीछे बांग्लादेश सरकार का असली उद्देश्य रखाइन प्रांत में रोहिंग्याओं के लिए सुरक्षित क्षेत्र स्थापित करना माना गया। नियोजित कॉरिडोर टेकनाफ से होकर गुजरना था, जिसका म्यामार के विद्रोही गुट अराकान आर्मी ने विरोध किया। सूत्रों ने आरोप लगाया कि बांग्लादेश की योजना भारी सहायता लाने और रोहिंग्या सशस्त्र समूहों को सहायता लूटने के लिए सशक्त बनाने की थी फिलहाल यह रुक गई है।

गलियारा के बाद क्या है प्लान
बांग्लादेश में इस बात को लेकर चिंता थी कि यह गलियारा उसकी संप्रभुता का उल्लंघन करेगा। इसका भूरणनीतिक लाभ के लिए अमेरिका समर्थन कर रहा है। वामपंथी दलों, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) सहित कई राजनीतिक दलों ने इसका विरोध किया। इस परियोजना को मई के अंत में खत्म मान लिया गया, जब सेना प्रमुख जनरल जमां ने इसका विरोध किया।

 पर्यवेक्षकों का दावा है कि बांग्लादेश सरकार अमेरिका के समर्थन से रोहिंग्याओं के लिए कॉरिडोर का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए प्रयासरत है। यूनुस सरकार की योजना रोहिंग्या लड़ाकों को हथियारों से लैस करने की है। ये एए के खिलाफ युद्ध छेड़ेंगे। इससे एए दो मोर्चों पर लड़ने के लिए मजबूर होगा। इससे माउंगडॉ में एक सुरक्षित क्षेत्र के निर्माण का रास्ता निकल सकता है।

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रोहिंग्याओं को ट्रेनिंग
रिपोर्ट कहती है कि रोहिंग्याओं के लिए बांग्लादेश में ट्रेनिंग कैंप चल रहे हैं। मयमनसिंह स्थित सैन्य परिसर कथित तौर पर उन सक्रिय केंद्रों में से एक है, जहां रोहिंग्याओं के छोटे समूहों को प्रशिक्षित और हथियारों से लैस किया जा रहा है। कॉक्स बाजार और बागेरहाट में भी ट्रेनिंग सेंटर हैं। यहां सेना के चुनिंदा दस्ते रोहिंग्याओं को प्रशिक्षण दे रहे हैं।

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आरएसओ और अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी (एआरएसए) ने सोशल मीडिया पर भी अपने सशस्त्र लड़ाकों के बारे में जानकारी दी है। आरएसओ की एक पोस्ट में कहा गया कि उनका विशेष बलों का एक समूह दुश्मनों को निशाना बनाने के उद्देश्य से अराकान (म्यांमार) में भी घूम रहा है। बांग्लादेश में ये लोग लगातार ट्रेनिंग पा रहे हैं।

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पाकिस्तान की दखल, भारत की टेंशन
बांग्लादेश में यूनुस सरकार आने के बाद पाकिस्तान को कट्टरपंथी समूहों को मजबूत करने में भरपूर मदद की है। पाकिस्तानी अफसर म्यांमार की सीमा से लगे कॉक्स बाजार के दौरे कर चुके हैं। भारत सरकार के अधिकारियों का एक वर्ग मानता है कि पाकिस्तान का उद्देश्य रोहिंग्याओं को उनकी मातृभूमि (म्यांमार) वापस भेजने से ज्यादा भारत में अशांति फैलाना है। पाकिस्तानी सेना के एक जनरल ने हाल ही में कहा था कि हम पूर्व से शुरूआत करेंगे। इसका मतलब है कि पाकिस्तान पूर्व से भारत के खिलाफ अभियान शुरू करने के लिए बांग्लादेश का इस्तेमाल करेगा। एक्सपर्ट का मानना है कि बांग्लादेश ने कॉरिडोर का विचार छोड़कर रोहिंग्याओं को ट्रेनिंग का दो रास्ता अपनाया है, उससे क्षेत्र में अशांति और रक्तपात हो सकता है।

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