डेंगू पसार रहा पैर, मरीजों में घट रही प्लेटलेट्स
बढ़ा हीमोग्लोबिन नुकसानदायक
सरकारी आंकड़ों की बात करें तो जयपुर में एक जनवरी से अब तक 570 से ज्यादा मरीज डेंगू के पंजीकृत हैं, हकीकत में ये एक हजार से ज्यादा हैं।
जयपुर। शहर में बारिश से पनपे मच्छरों से डेंगू, मलेरिया, वायरल से आमजन परेशान है। इन दिनों डेंगू सबसे ज्यादा घातक है। सरकारी आंकड़ों की बात करें तो जयपुर में एक जनवरी से अब तक 570 से ज्यादा मरीज डेंगू के पंजीकृत हैं, हकीकत में ये एक हजार से ज्यादा हैं। अकेले सवाई मानसिंह की मेडिसिन ओपीडी में बीमारियों के 25 प्रतिशत मरीज डेंगू के हैं। वहीं अस्पतालों में प्लेटलेट्स को लेकर मारामारी है। हालांकि शहर के अस्पतालो में भर्ती डेंगू पॉजिटिव मरीजों में प्लेटलेट्स घट रही है, वहीं हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि मरीज में प्लेटलेट्स कम होने के मुकाबले हीमोग्लोबिन का बढ़ना नुकसानदायक है।
क्यों बढ़ता है हीमोग्लोबिन
डॉक्टर्स की मानें तो एक स्वस्थ पुरुष में 13 से 16 और महिलाओं में 12 से 14 ग्राम हीमोग्लोबिन होना चाहिए, इससे कम हीमोग्लोबिन वाला व्यक्ति एनीमिया की विभिन्न ग्रेड में आता है। सामान्य से ज्यादा हीमोग्लोबिन को एलेथ्रोसाइटोसिस कहते हैं। डेंगू में खून की नलियों से प्लाज्मा लीक करने लगता है। ऐसे में हीमोग्लोबिन-हीमेटोक्रिट बढ़ जाता है। प्लाज्मा लीक होने से मरीज का ब्लड प्रेशर डाउन हो जाता है और वह शॉक में चला जाता है। डेंगू में मरीज की छोटी रक्त धमनियों से रक्तस्राव होने लगता है। यह मरीज के लिए खतरनाक है।
यूं समझें प्लेटलेट्स की गणित
एक स्वस्थ व्यक्ति में डेढ़ लाख से साढ़े चार लाख प्लेटलेट्स होते हैं। इससे अधिक बढ़ने को थ्रांबोसाइटोसिस कहते हैं। डेंगू व अन्य वायरल इंफेक्शन से प्लेटलेट्स घटती हैं। ऐसे में ब्लीडिंग न हो तो 20 से 30 हजार प्लेटलेट्स आने तक कोई खतरा नहीं है। इससे कम होने पर खतरा बढ़ जाता है।
डेंगू के मरीज इन दिनों बढ़े हैं। एसएमएस की मेडिसिन ओपीडी में भी फिलहाल कुल मरीजों के 25 प्रतिशत डेंगू के हैं। डेंगू में अक्सर प्लेटलेट्स गिरती है और हीमोग्लोबिन बढ़ जाता है। प्लाज्मा लीकेज की वजह से हीमोग्लोबिन बढ़ जाता है। इसे समय रहते इलाज देकर ठीक किया जा सकता है। '
-डॉ. रमन शर्मा, सीनियर प्रोफेसर, मेडिसिन विभाग, एसएमएस अस्पताल
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